अक्षांश एवं देशांतर (Latitude and Longitude in Hindi)

Latitude and longitude
Latitude and Longitude अक्षांश एवं देशांतर

अक्षांश एवं देशांतर ( Latitude and Longitude in Hindi ) NCERT Syllabus पर आधारित है।यह कक्षा (Class) 5, 6,7,8,9,10,11,12 तक व सभी प्रतियोगी परीक्षाओं (All Competitive exams) के लिए भी बहुत उपयोगी है।

ग्लोब(Globe in Hindi)

Globe-ग्लोब
ग्लोब(Globe)

ग्लोब(Globe):- ग्लोब हमारी पृथ्वी का एक छोटा मॉडल है। ग्लोब को दो पिवट के बीच लगा दिया जाता है ताकि यह एक अक्ष के चारों ओर घूम सके। ग्लोब अलग-अलग आकार में आते हैं। धरती के बारे में अध्ययन करने में ग्लोब से बहुत मदद मिलती है।

ध्रुव(Pole): पृथ्वी की ऊपरी और निचले भाग को ध्रुव कहते हैं। ऊपरी भाग को उत्तरी ध्रुव और निचले भाग को दक्षिणी धुव कहते हैं।

अक्ष(Axis): जिस तरह ग्लोब पिवट के चारों ओर घूमता है, उसी तरह धरती एक काल्पनिक रेखा के चारों ओर घूमती है। इस काल्पनिक रेखा को पृथ्वी का अक्ष कहते हैं।

विषुवत रेखा(Equator): पृथ्वी की सतह के बीच से एक काल्पनिक रेखा गुजरती है। इस रेखा को विषुवत रेखा या विषुवत वृत्त कहते हैं। यह रेखा पृथ्वी को दो बराबर भागों में बाँटती है। उत्तर वाले भाग को उत्तरी गोलार्ध और दक्षिण वाले भाग को दक्षिणी गोलार्ध कहते हैं।

अक्षांश एवं देशांतर ( Latitude and Longitude Meaning In Hindi)

Latitude and Longitude in hindi
latitude longitude picture
Latitude and Longitude

अक्षांश रेखाएँ (Latitude lines)

ग्लोब पर पश्चिम से पूर्व की ओर खींची गईं काल्पनिक रेखाओं को अक्षांश रेखाएं कहते हैं।अक्षांश रेखाएं समानांतर रेखाएं होती हैं । इनके बीच की दूरी प्रत्येक स्थान पर समान होती है।अक्षांश रेखाएं वे हैं जिन्हें पृथ्वी के दोनों ध्रुवों के समानांतर वृत्ताकार रूप में खींचा गया है । सभी अक्षांश रेखाएं पृथ्वी पर वृहद वृत्त बनाती हैं । ग्लोब पर अक्षांशों की कुल संख्या 181 है ।180 अक्षांश रेखाएंऔर 1 विषुवत रेखा (180 +1=181) होती हैं ।

  • सबसे बड़ी अक्षांश रेखा 0 डिग्री अक्षांश रेखा /भूमध्य रेखा /विषुवत रेखा है । भूमध्य रेखा पृथ्वी को दो गोलार्द्धों उत्तरी गोलार्द्ध औ दक्षिणी गोलार्द्ध में बांटती है ।
  • 1. उत्तरी गोलार्ध
  • 2.दक्षिणी गोलार्ध
  • विषुवत रेखा के उत्तर में उत्तरी ध्रुव तक अवस्थित सभी अक्षांशों को उत्तरी अक्षांश के नाम से जाना जाता है ।
  • कर्क रेखा (Tropic of cancer):-भूमध्य रेखा के 23½° डिग्री उत्तर में स्थित रेखा को कर्क रेखा के नाम से जाना जाता है ।
  • कर्क रेखा भारत के बीचो बीच से होकर गुजरती है कर्क रेखा पर भारत के 8 राज्य पढ़ते हैं –गुजरात ,राजस्थान ,मध्य प्रदेश ,छत्तीसगढ़ ,झारखंड ,पश्चिम बंगाल ,त्रिपुरा ,मिजोरम I
  • विषुवत रेखा के दक्षिण में दक्षिणी ध्रुव तक अवस्थित सभी अक्षांशों को दक्षिणी अक्षांश के नाम से जाना जाता है ।
  • मकर रेखा (Tropic of Capricorn):-भूमध्य रेखा के 23½° डिग्री दक्षिण में स्थित रेखा को मकर रेखा के नाम से जाना जाता है ।

प्रत्येक वर्ष दो संक्रांति होती हैं
कर्क संक्रांति (Summer Solstice) – 21 जून को सूर्य कर्क रेखा पर लम्बवत चमकता है। इस स्थिति को कर्क संक्रांति (Summer Solstice) कहते हैं। इस दिन उत्तरी गोलार्ध में सबसे बड़ा दिन होता है I
मकर संक्रांति (Winter Solstice)– 22 दिसम्बर को सूर्य मकर रेखा पर लम्बवत चमकता है। इस स्थिति को मकर संक्रांति (Winter Solstice) कहते हैं। इस दिन दक्षिणी गोलार्ध में सबसे बड़ा दिन होता है I

प्रमुख समानांतर रेखाएँ: विषुवत रेखा (0 डिग्री) और ध्रुवों (90°) के अलावा चार अन्य प्रमुख समानांतर रेखाएँ हैं, जो इस प्रकार हैं।

Latitude  lines
  1. कर्क रेखा 23½° उ
  2. मकर रेखा 23½° द
  3. विषुवत रेखा /भूमध्य रेखा (0°)

देशांतर रेखाएं ( Longitude)

longitude lines
Longitude

ग्लोब पर उत्तर से दक्षिण की ओर खींची जाने वाली काल्पनिक रेखाओं को देशांतर रेखाएं कहते हैं I यह रेखाएं ध्रुवों पर मिल जाती हैं I ये पृथ्वी पर वृहद वृत्त नहीं बनातीं हैं । ये पृथ्वी की सतह पर अर्द्ध वृत्ताकार रूप में हैं । पृथ्वी की सतह पर इनकी कुल संख्या 360 है। ये सभी एक दूसरे से 1° की दूरी पर खींची गई हैं । पृथ्वी को 1° देशांतर के घूर्णन में 4 मिनट का समय लगता है। 

अक्षांशों के ठीक उलट, हर देशांतर रेखा की लम्बाई समान होती है। इसलिए जीरो डिग्री देशांतर निर्धारित करना बहुत मुश्किल है। इसलि सभी देशों की सहमति से ग्रीनिच से होकर गुजरने वाले देशांतर को जीरो डिग्री मान लिया गया है। ग्रीनिच में ब्रिटिश रॉयल ऑब्जरवेटरी के रहने के कारण ऐसा संभव हो पाया। जीरो डिग्री देशांतर को प्रमुख याम्योत्तर भी कहते हैं। 0° देशांतर से पूर्व में स्थित देशांतर रेखाओं को पूर्वी देशांतर औऱ इससे पश्चिम में अवस्थित देशांतर रेखाओं को पश्चिमी देशांतर के नाम से जाना जाता है । 180° पू और 180° प देशांतर; दोनों ही एक ही रेखा पर पड़ते हैं। दोनों ही देशांतर पृथ्वी को दो बराबर हिस्सों में बाँटते हैं।

पृथ्वी के ताप कटिबंध

latitude lines

उष्ण कटिबंध: कर्क रेखा और मकर रेखा के बीच दोपहर का सूर्य साल में कम से कम एक बार ठीक सिर के ऊपर होता है। ऐसा इसलिए होता है कि सूर्य की किरणें इन अक्षांशों के बीच कम से कम एक बार बिलकुल सीधी पड़ती हैं। इसलिए पृथ्वी के इस भाग को सूर्य से सबसे अधिक उष्मा मिलती है। इस क्षेत्र को उष्ण कटिबंध कहते हैं।

शीतोष्ण कटिबंध: कर्क रेखा और मकर रेखा के बाहर कभी भी सूर्य सिर के ठीक ऊपर नहीं होता है, क्योंकि इन क्षेत्रों में सूर्य की किरण हमेशा तिरछी पड़ती है। इसलिए पृथ्वी के इस हिस्से में मध्यम तापमान रहता है। इस क्षेत्र को शीतोष्ण क्षेत्र कहते हैं।

शीत कटिबंध: ध्रुव वृत्त और ध्रुव के बीच वाले क्षेत्र पर सूर्य की किरण अत्यधिक तिरछी पड़ती है। इसलिए इन क्षेत्रों में सूर्य कभी भी क्षितिज से बहुत ऊपर नहीं दिखता है। इसलिए इस भाग में तापमान बहुत कम होता है। इस भाग को शीत कटिबंध कहते हैं।

अक्षांश और देशांतर के उपयोग

longitude and latitude use
Longitude and Latitude use

अक्षांश और देशांतर (Latitude and Longitude) की मदद से हम पृथ्वी पर किसी भी स्थान की सही स्थिति का पता लगा सकते हैं। जब हम कहते हैं कि दिल्ली 28° उ में है तो इससे केवल यह पता चलता है कि दिल्ली उत्तरी गोलार्ध में 28° के अक्षांश पर है। लेकिन इससे प्रमुख देशांतर के संदर्भ में दिल्ली की स्थिति का पता नहीं चलता है। दिल्ली की सही स्थिति का पता करने के लिए हमें इसके देशांतर की जानकारी भी चाहिए। दिल्ली का देशांतर लगभग 77° पूर्व है। अब, दिल्ली की सही स्थिति बताने के लिए यह बताना पड़ेगा कि दिल्ली 28° उ और 77° पू में स्थित है।

इसे और अच्छी तरह से समझने के लिए एक कागज पर लम्बवत और क्षैतिज रेखाओं से एक ग्रिड बनाइए। अब जैसा कि चित्र में दिखाया गया है, इस ग्रिड पर विषुवत रेखा और प्रमुख देशांतर मार्क कीजिए। अब आप आसानी से A, B, C और D की सही स्थिति बताने के लिए अक्षांश और देशांतर के मान लिख सकते हैं।

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Latitude and Longitude
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मानक समय एवं समय जोन (time zone)

समय को मापने का सबसे अच्छा साधन पृथ्वी, चंद्रमा एवं ग्रहों की गति है। सूर्योदय एवं सूर्यास्त प्रतिदिन होता है। अतः स्वाभाविक ही है कि यह पूरे विश्व में समय निर्धारण का सबसे अच्छा साधन है। स्थानीय समय का अनुमान सूर्य के द्वारा बनने वाली परछाईं से लगाया जा सकता है, जो दोपहर में सबसे छोटी एवं सूर्योदय तथा सूर्यास्त केसमय सबसे लंबी होती है।

ग्रीनविच  पर स्थित प्रमुख याम्योत्तर पर सूर्य जिस समय आकाश के सबसे ऊँचे बिंदु पर होगा, उस समय याम्योत्तर पर स्थित सभी स्थानों
पर दोपहर होगी। चूँकि, पृथ्वी पश्चिम से पूर्व की ओर चक्कर लगाती है, अतः वे स्थान जो  ग्रीनविच  के पूर्व में हैं, उनका समय ग्रीनविच समय से आगे होगा तथा जो पश्चिम में हैं, उनका समय पीछे होगा ।

meridian

विभिन्न समय क्षेत्र में समय की गणना

डिग्री की कुल संख्या = 360
दिन में घंटों की कुल संख्या = 24
इसलिए प्रति घंटे डिग्री की संख्या = 360 ÷ 24 = 15
चूँकि 1 घंटे में 60 मिनट होते हैं।
इसलिए 15 डिग्री = 60 मिनट
इसलिए 1 डिग्री = 60 ÷ 15 = 4 मिनट

इसका मतलब यह हुआ कि जब हम पूर्व की ओर 1 डिग्री चलते हैं तो समय 4 मिनट से आगे हो जाता है। दूसरी ओर, जब हम पश्चिम की ओर 1 डिग्री चलते हैं तो समय 4 मिनट पीछे हो जाता है।भारतीय मानक समय

time zone india
  • भारत के मध्य भाग इलाहाबाद के मिर्जापुर के नैनी से होकर गुजरने वाली  याम्योत्तर रेखा (82,1/2°) (Standard Mediterranean Line) के स्थानीय समय को देश का मानक समय माना जाता है।
  • पृथ्वी लगभग 24 घंटे में अपने अक्ष पर 360° घूम जाती है अर्थात्  1 घंटे में (360/24) 15°  एवं 4 मिनट में 1° घूमती है। अर्थात डिग्री देशांतर दुरी तय करने में 4 Minute का समय लगता है
  • भारत में गुजरात के द्वारका तथा असम के डिब्रूगढ़ वेफ स्थानीय समय में लगभग 1 घंटा 45 मिनट का अंतर है।
  • भारत और ग्रीनविच (लंदन) के समय में 5:30 घंटे का अंतर है , इसलिए जब लंदन में दोपहर के 2 बजे होंगे, तब भारत में शाम के 7ः30 बजे होंगे।
  • कुछ देशों का देशांतरीय विस्तार अधिक होता है, जिसके कारण वहाँ एक से अधिक मानक समय अपनाए गए हैं। उदाहरण के लिए, रूस में 11 मानक समयों को अपनाया गया है।
  • विषुवत रेखा पर इसके बीच की दूरी अधिकतम 111.32 Km होती है।
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