लिंग भेदभाव पर निबंध (Essay on Gender Discrimination in Hindi) लैंगिक समानता या जेंडर समानता वह अवस्था है जब सभी मनुष्य अपने जैविक अंतरों के बावजूद सभी अवसरों, संसाधनों आदि के लिए आसान और समान पहुंच प्राप्त कर सकते हैं।

Essay On Gender discrimination in Hindi
लिंग भेदभाव पर निबंध (Essay on Gender Discrimination in Hindi)

लिंग भेदभाव पर निबंध (Essay on Gender Discrimination in Hindi)

लैंगिक भेदभाव पर निबंध पर 10 पंक्तियाँ (10 lines on essay on gender discrimination)
  1. लैंगिक भेदभाव का तात्पर्य व्यक्तियों के लिंग के आधार पर उनके साथ असमान व्यवहार से है।
  2. यह पूरे इतिहास में एक प्रचलित मुद्दा रहा है और आज भी दुनिया के कई हिस्सों में मौजूद है।
  3. लैंगिक भेदभाव कई रूप ले सकता है, जिसमें असमान वेतन, सीमित नौकरी के अवसर और लिंग आधारित हिंसा शामिल हैं।
  4. यह बुनियादी मानवाधिकारों का उल्लंघन है और इसका व्यक्तियों और समाज पर समग्र रूप से नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
  5. महिलाएं और लड़कियां अक्सर लैंगिक भेदभाव की प्राथमिक शिकार होती हैं।
  6. लैंगिक भेदभाव शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और अन्य आवश्यक संसाधनों तक पहुंच को सीमित कर सकता है।
  7. यह सामाजिक मानदंडों और दृष्टिकोणों से कायम है जो महिलाओं को पुरुषों से कमतर समझते हैं।
  8. लैंगिक भेदभाव उन पुरुषों और लड़कों को भी प्रभावित कर सकता है जो पारंपरिक लैंगिक भूमिकाओं के अनुरूप नहीं हैं।
  9. लैंगिक भेदभाव को संबोधित करने के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है जिसमें नीतिगत परिवर्तन, शिक्षा और सांस्कृतिक बदलाव शामिल हैं।
  10. एक निष्पक्ष और न्यायपूर्ण समाज बनाने के लिए लैंगिक समानता हासिल करना आवश्यक है जहां सभी व्यक्तियों को अपनी पूरी क्षमता तक पहुंचने का अवसर मिले।

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लैंगिक असमानता से तात्पर्य (What is Gender Discrimination in hindi)

  • लैंगिक असमानता का तात्पर्य लैंगिक आधार पर महिलाओं के साथ भेदभाव से है। परंपरागत रूप से समाज में महिलाओं को कमज़ोर वर्ग के रूप में देखा जाता रहा है।
  • वे घर और समाज दोनों जगहों पर शोषण, अपमान और भेदभाव से पीड़ित होती हैं। महिलाओं के खिलाफ भेदभाव दुनिया में हर जगह प्रचलित है। 
  • वैश्विक लैंगिक अंतराल रिपोर्ट, 2020 के अनुसार भारत 153 देशों में 112वें स्थान पर रहा। इससे साफ तौर पर अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि हमारे देश में लैंगिक भेदभाव की जड़ें कितनी मज़बूत और गहरी हैं।

चिंताजनक हैं आँकड़े (Essay on gender inequality in hindi)

  • वैश्विक लैंगिक अंतराल रिपोर्ट, 2020 के अनुसार, महिला स्वास्थ्य एवं उत्तरजीविता तथा आर्थिक भागीदारी के मामले में भारत सूची में निम्न स्थान प्राप्त करने वाले पाँच देशों में शामिल है।
    • स्वास्थ्य एवं उत्तरजीविता के क्षेत्र में भारत (150वाँ स्थान) का प्रदर्शन बहुत खराब रहा है। 
    • जबकि भारत के मुकाबले हमारे पड़ोसी देशों का प्रदर्शन बेहतर रहा- बांग्लादेश (50वाँ), नेपाल (101),श्रीलंका (102वाँ), इंडोनेशिया (85वाँ) और चीन (106वाँ)। 
    • जबकि यमन (153वाँ), इराक़ (152वाँ) और पाकिस्तान (151वाँ) का प्रदर्शन सबसे खराब रहा।
  • राजनीतिक सशक्तीकरण और भागीदारी में अन्य बिंदुओं की अपेक्षा भारत का प्रदर्शन (18वाँ स्थान) बेहतर रहा है।
    • लेकिन भारतीय राजनीति में आज भी महिलाओं की सक्रिय भागीदारी बहुत ही कम है, आकड़ों के अनुसार, केवल 14 प्रतिशत महिलाएँ ही संसद तक पहुँच पाती हैं ( विश्व में 122वाँ स्थान)।
    • रिपोर्ट के अनुसार, भारत के इस बेहतर प्रदर्शन का कारण यह है कि भारतीय राजनीति में पिछले 50 में से 20 वर्षों में अनेक महिलाएँ राजनीतिक शीर्षस्थ पदों पर रही है। ( इंदिरा गांधी, मायावती, ममता बनर्जी, जयललिता आदि)
  • महिलाओं के लिये शैक्षिक अवसरों की उपलब्धता के मामले में भारत का स्थान विश्व में 112वाँ है।
    •  जबकि इस मानक पर वर्ष 2018 में भारत का स्थान 114वाँ और वर्ष 2017 में 112वें स्थान पर रहा। 
  • रिपोर्ट के अनुसार, 2006 में पहली बार प्रकाशित आकड़ों की तुलना में आर्थिक क्षेत्र में महिलाओं के लिये सक्रिय भागीदारी के अवसरों में कमी आई है।
    • 153 देशों में किये गए सर्वे में भारत एकमात्र ऐसा देश है जहाँ आर्थिक क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी का प्रतिशत राजनीतिक क्षेत्र से कम है।
    • WEF के आँकड़ों के अनुसार, अवसरों के मामले में विभिन्न देशों में आर्थिक क्षेत्र में महिलाओं की स्थिति इस प्रकार है- भारत (35.4%), पाकिस्तान (32.7%), यमन (27.3%), सीरिया (24.9%) और इराक़ (22.7%)।

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