टीचिंग लर्निंग मटेरियल (Teaching Learning Material in Hindi) हिंदी में शिक्षा के क्षेत्र में अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह उन सभी साधनों को संदर्भित करता है जो छात्रों के अध्ययन और सीखने की प्रक्रिया को सुगम एवं आसान बनाते हैं। इसमें कई तरह के मटेरियल शामिल होते हैं जैसे कि:

Teaching Learning Material in Hindi
  1. वीडियो लेक्चर: हिंदी में वीडियो लेक्चर एक उत्कृष्ट टीचिंग लर्निंग मटेरियल हैं। इनमें विषयों को दर्शाया जाता है जिन्हें छात्रों को समझने में मदद मिलती है।
  2. बुक्स और नोट्स: हिंदी में बुक्स और नोट्स भी एक उत्कृष्ट टीचिंग लर्निंग मटेरियल हैं। इनमें संग्रहीत जानकारी से संबंधित सभी विषयों को समझाया जाता है।
  3. ऑडियो लेक्चर: हिंदी में ऑडियो लेक्चर भी एक उत्कृष्ट टीचिंग लर्निंग मटेरियल हैं। इनमें विषयों को समझाने के लिए बोली गई जानकारी होती है।
  4. दूरदर्शन पाठ्यक्रम: हिंदी में दूरदर्शन पाठ्यक्रम भी एक बहुत अच्छा टी
  5. चिंग लर्निंग मटेरियल होता है। यहां छात्रों को अलग-अलग विषयों पर फिल्में और डॉक्यूमेंट्रीज़ दिखाई जाती हैं जिनसे उन्हें सीखने में मदद मिलती है।
  6. गतिविधियों का संग्रह: हिंदी में गतिविधियों का संग्रह भी एक उत्कृष्ट टीचिंग लर्निंग मटेरियल है। इसमें विषय से संबंधित रोचक गतिविधियों को संग्रहित किया जाता है जो छात्रों को सीखने में मदद करती हैं।
  7. प्रश्न-उत्तर सत्र: हिंदी में प्रश्न-उत्तर सत्र भी टीचिंग लर्निंग मटेरियल के रूप में उपयोगी होते हैं। इसमें संग्रहीत प्रश्नों के जवाब दिए जाते हैं जो छात्रों को सीखने में मदद करते हैं।
  8. इंटरनेट वेबसाइट्स: हिंदी में उपलब्ध अनेक वेबसाइट्स हैं जो टीचिंग लर्निंग मटेरियल के रूप में उपयोगी होते हैं। इनमें विभिन्न विषयों से संबंधित सूचनाएं, फोटो, वीडियो, बुक्स, नोट्स और प्रश्न-उत्तर सत्र शामिल होते हैं।
  9. प्रेजेंटेशन्स: हिंदी में बनाए गए प्रेजेंटेशन्स भी टीचिंग लर्निंग मटेरियल के रूप में उपयोगी होते हैं। इनमें विषय से संबंधित जानकारी, विभिन्न उदाहरण और सॉल्व्ड एक्सरसाइज शामिल होते हैं जो छात्रों को समझाने में मदद करते हैं।
  10. टीचिंग लर्निंग ऐप्स: हिंदी में उपलब्ध टीचिंग लर्निंग ऐप्स भी छात्रों को सीखने में मदद करते हैं। इनमें विषय से संबंधित सॉल्व्ड प्रैक्टिकल बुक्स, वीडियो लेक्चर, टेस्ट सीरीज और नोट्स शामिल होते हैं।

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इस प्रकार, हिंदी में अनेक प्रकार के टीचिंग लर्निंग मटेरियल छात्रों को सीखने में मदद करते हैं और उन्हें बेहतर तरीके से विषयों को समझने में सहायता प्रदान करते हैं। इन मटेरियल का सही उपयोग छात्रों को अधिक ज्ञान का संग्रह करने में मदद करता है और उन्हें उनके विषयों में अधिक आत्मविश्वास प्रदान करता है।

इसलिए, हिंदी में टीचिंग लर्निंग मटेरियल का उपयोग सिर्फ छात्रों के लिए ही नहीं होता है, बल्कि शिक्षकों के लिए भी उपयोगी होता है। शिक्षक अपने विषयों के लिए उपलब्ध मटेरियल का उपयोग करके अपने छात्रों को समझाने में और उनकी सीख को स्थायी बनाने में मदद कर सकते हैं।

संक्षेप में, हिंदी में टीचिंग लर्निंग मटेरियल छात्रों और शिक्षकों दोनों के लिए उपयोगी होते हैं। इन्हें सही तरीके से उपयोग करने से छात्रों की सीख और शिक्षकों की शिक्षा दीक्षा बढ़ती है।

Teaching Learning Material (Teaching Aids)

शिक्षण अधिगम सामग्री की विशेषताएं (Features of teaching learning material)

1. छात्रों के ध्यान को शिक्षण अधिगम की ओर आकर्षित रखता है।
2. शिक्षण में विविधता उत्पन्न करने में सहायक है।
3. अमूर्त और स्पष्ट विचारों को डायग्राम तथा चित्रों के माध्यम से स्पष्ट करने में सहायक है।
4. छात्रों को मानसिक रूप से तैयार करता है जिससे प्रदर्शित सामग्री के कौन-से शिक्षण बिंदुओं पर ध्यान देना है, यह स्पष्ट करता है।
5. समय की बचत होती है।
6. विषय की नीरसता और कठीनता समाप्त करने में सक्षम है।
7. छात्रों का पर्यावरण एवं सामाजिक वातावरण के साथ प्रत्यक्ष अंतः क्रिया का अवसर प्रदान करती है।
8. अभिवृत्ति विकास और व्यवहार परिवर्तन में सहायक।
9. भूतकाल की घटनाओं को स्पष्ट रूप से प्रस्तुत किया जा सकता है।
10. अधिगम रुचिकर होता है।
11. अमूर्त विचारों को मूर्त रूप में प्रस्तुत करने में सहायक।
12. कठिन शिक्षण इकाइयों को आसानी से स्पष्ट किया जा सकता है।
13. प्रभावशाली एवं स्थाई अधिगम हेतु।

शिक्षण अधिगम सामग्री के प्रकार (Types of TLM)

Types of teaching learning material

शिक्षण अधिगम सहायक सामग्री तीन प्रकार की होती है –
1. श्रव्य सहायक सामग्री – मौखिक उदाहरण, रेडियो, टेप रिकॉर्डर, ग्रामोफोन आदि।
2. दृश्य सहायक सामग्री – श्यामपट्ट, बुलेटिन बोर्ड, फ्लेनील बोर्ड, मानचित्र, ग्लोब, चित्र, रेखाचित्र, कार्टून, मॉडल, पोस्टर, सलाइड्स, फिल्म स्ट्रिप्स आदि।
3. श्रव्य दृश्य सामग्री – चलचित्र, नाटक, कठपुतली, टेलीविजन आदि।
उपर्युक्त वर्गीकरण का आधार ज्ञानेंद्रियां है।
प्रौद्योगिकी के आधार पर – १. हार्डवेयर २. सॉफ्टवेयर
प्रक्षेपण के आधार पर – १. प्रक्षेपित २. अप्रक्षेपित ३. प्रत्यक्ष अनुभव सामग्री या क्रियाप्रधान सामग्री।

प्रोजेक्टर और ओवर हैड प्रोजेक्टर (OHP) प्रक्षेपण सामग्री है जो दृश्य सहायक सामग्री में आता है।

Teaching Learning Material For Primary Classes in hindi

1. श्रव्य सहायक सामग्री (Audio aids) –

  • श्रव्य सहायक सामग्री में छात्र अपनी श्रव्य इंद्रियों के द्वारा सुनकर ज्ञान ग्रहण करता है।
  • मौखिक उदाहरण (Oral example) – मौखिक उदाहरणों का प्रयोग प्रमुख रूप से सूक्ष्म भावों के शब्द चित्र खींचने के लिए किया जाता है। किसी वस्तु, स्थिति या विचार को मौखिक वार्तालाप के माध्यम से सरल स्वरूप प्रदान करने में उदाहरणों का प्रयोग जीवन की विभिन्न परिस्थितियों में किया जाता है।
  • ग्रामोफोन (Gramophone) – ग्रामोफोन श्रव्य साधनों का सबसे पुराना उदाहरण है। इसके माध्यम से किसी घटना, विवरण, गीत, कहानी, वार्तालाप आदि को सुना जा सकता है।
  • टेप रिकॉर्डर (Tape recorder) – टेप रिकॉर्डर ग्रामोफोन का वैज्ञानिक एवं विकसित रूप है। इसके माध्यम से महत्वपूर्ण भाषण अथवा सामग्री रिकॉर्ड करके स्थाई तौर पर रखी जा सकती है और भविष्य में कभी भी सुना जा सकता है।
  • रेडियो (radio) – रेडियो श्रव्य साधन और मनोरंजन उपकरण की दृष्टि से सबसे अच्छा सुलभ और सस्ता उपकरण है। ज्ञानवाणी नाम से रेडियो कार्यक्रम इग्नू के द्वारा संचालित किया जा रहा है जिसके माध्यम से छात्र घर बैठे शिक्षण कर सकते हैं।

2. दृश्य सहायक सामग्री (Visual aids) –

  • दृश्य सहायक सामग्री के द्वारा छात्र अपनी दृश्य इंद्रियों के द्वारा देखकर ज्ञान अर्जित करता है।
  • श्यामपट्ट (Blackboard) – इसे अध्यापक का विश्वसनीय मित्र भी कहा जाता है। यद्यपि यह स्वयं कोई दृश्य सामग्री नहीं है तथापि इसका उपयोग एक अच्छी दृश्य सामग्री के रूप में किया जा सकता है। श्यामपट्ट कार्य की सफलता अध्यापक पर निर्भर करती है। श्यामपट्ट का प्रयोग रेखाचित्र, मानचित्र, पाठ सार, ग्रह कार्य देने के लिए किया जा सकता है।
  • प्रतिरूप (Model) – पर्यावरण अध्ययन शिक्षण में प्रतिरूप का बहुत बड़ा महत्व है। प्रतिरूप को कक्षा में प्रदर्शित करने से छात्रों को वास्तविक वस्तु का ज्ञान होता है। जो वस्तु आकार की दृष्टि से बहुत बड़ी हो, उनको कक्षा कक्ष में लाना संभव नहीं है। अतः उस वस्तु का प्रतिरूप जो छोटे आकार का होता है आसानी से कक्षा कक्ष में प्रस्तुत किया जा सकता है।
    • उदाहरण के लिए भूगोल शिक्षण में ज्वालामुखी पर्वत के बारे में बताना हो तो ज्वालामुखी पर्वत को उठाकर कक्षा कक्ष में लाना संभव नहीं है अतः ज्वालामुखी के प्रतिरूप को छात्रों को दिखाया जा सकता है।
  • फ्लैनल बोर्ड (Flannel board) – प्लाईवुड अथवा भारी कार्ड बोर्ड पर चिपकाया हुआ खादी का कपड़ा होता है जो कि एक समतल धरातल पर चिपकाया जाता है। कार्ड बोर्ड के छोटे-छोटे टुकड़ों पर तैयार चित्रों को फ्लैनल बोर्ड पर चिपकाया जाता है।
  • रेखाचित्र (Sketch) – रेखा चित्र विभिन्न विषयों के शिक्षण में बड़ी प्रभावी सहायक सामग्री है। इसमें रेखाओं तथा प्रतिकों के द्वारा अंतः संबंध स्पष्ट किए जाते हैं।
  • बुलेटिन बोर्ड (Bulletin board) – इसे सूचनापट्ट भी कहा जाता है। यह प्लाईवुड या मजबूत गत्ते का बना होता है। इस पर प्रदर्शन साम्रगी को लगाने के लिए ड्राइंग पिन का प्रयोग किया जाता है।
    • बुलेटिन बोर्ड का प्रयोग प्रतिभाशाली छात्रों की स्वनिर्मित रचनाएं, देश-विदेश की घटनाएं एवं समाचार प्रतिदिन लिखकर किया जा सकता है। इससे विषय वस्तु से संबंध किसी चित्र अथवा परिस्थिति का रेखाओं के माध्यम से सांकेतिक प्रदर्शन होता है।
  • मानचित्र (Map) – मानचित्र छोटे पैमाने से प्रदर्शित सम धरातल पर दिखाए जाने वाला पृथ्वी का चित्र होता है। यह भूगोल शिक्षण में बहुत ही प्रभावशाली साम्रगी है। मानचित्रों के समूह को एटलस का जाता है। इसके द्वारा छात्रों के सम्मुख अमूर्त वस्तुओं का ज्ञान मूर्त कर दिया जाता है। मानचित्र में अत्यधिक तथ्य नहीं होने चाहिए। संकेत स्पष्ट तथा पैमाना निश्चित होना चाहिए।
    • मानचित्र का उपयोग उचित समय पर करना चाहिए तथा अवसर समाप्त होने पर उसे हटा देना चाहिए।
  • चित्र (Image) – चित्र बालकों की जिज्ञासा वृद्धि एवं कल्पना शक्ति को बढ़ाने में मदद करता है। चित्र सरल, सही और सत्य रूप में प्रदर्शित होना चाहिए। चित्र का आकार कक्षा के आकार के अनुकूल तथा उसमें शीर्षक दिया हुआ होना चाहिए।
  • ग्लोब (Glob) – ग्लोब गोल आकृति पर त्रिपक्षीय चित्र है। ग्लोब पृथ्वी के धरातल का शुद्धतम रूप से प्रतिनिधित्व करता है। इसका प्रयोग उस समय करना चाहिए जब स्थान, आकार, दूरी, दिशा तथा भूमि की बनावट एवं सागर आदि की सापेक्षिक समस्याओं का प्रतिनिधित्व कराना हो। ग्लोब के द्वारा भूगोल शिक्षण में निम्न प्रकरण पढ़ाए जा सकते हैं – पृथ्वी की आकृति, उत्तरी दक्षिणी गोलार्ध, अक्षांश – देशांतर रेखाएं, पृथ्वी की गति आदि।
  • चार्ट (Chart) – चार्ट किसी घटना का क्रमिक विकास दिखाने के लिए प्रयोग में लाया जाता है। चार्ट में जलवायु तथा तापमान आदि का प्रदर्शन भी सरलता से किया जा सकता है। चार्ट के द्वारा किसी वस्तु का अंतर्संबंध तथा संगठन, भावों, विचारों तथा विशेष स्थलों को दृश्य रुप से प्रदर्शित किया जाता है।
  • पोस्टर एवं कार्टून पोस्टर (Posters & Cartoon Posters) – यह सहायक सामग्री किसी सूचनात्मक ज्ञान एवं व्यंग्यात्मक अभिव्यक्ति को स्पष्ट करने का सरल माध्यम है। भारत की विविधता में एकता को भारत में बसने वाले लोगों को एक पोस्टर में अपनी अपनी वेशभूषा में प्रस्तुत करके दर्शाया जा सकता है। बच्चों को अच्छी आदतों, स्वच्छता, परिवार नियोजन, जल संरक्षण, दहेज प्रथा, पर्दा प्रथा, धूम्रपान, वनों की सुरक्षा, आदि को पोस्टरों एवं कार्टूनों के माध्यम से स्पष्ट किया जा सकता है।
    • पोस्टर का प्रयोग करने से पूर्व उनके आकार, प्रकार, रंग, उपयुक्तता का पूरा ध्यान रखना चाहिए। क्योंकि त्रुटिपूर्ण पोस्टर एवं कार्टून से गलत धारणा बन जाती है।
  • स्लाइड, फिल्म स्ट्रिप्स (Slides, film strips) – स्लाइड तथा फिल्म स्ट्रिप्स की सहायता से बालक प्रत्येक चीज को बड़े आकार में पर्दे पर देखते हैं। यांत्रिक उपकरण के माध्यम से एक एक परिस्थिति को जिन चित्रों के सहारे प्रदर्शित किया जाता है वह स्लाइड्स होती है। स्लाइड्स छोटे आकार की फोटो नेगेटिव रील तथा कांच पर कैमरे द्वारा उतारे गए चित्र होते हैं, जिन्हें फिल्म स्ट्रीप प्रोजेक्ट द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।
  • ग्राफ (Graph) – संख्यात्मक आंकड़ों को प्रस्तुत करने का सर्वश्रेष्ठ तरीका है। ग्राफ के द्वारा आंकड़ों का तुलनात्मक अध्ययन भी किया जा सकता है। जैसे वर्ष में गेहूं का उत्पादन दर्शाना हो तो इन्हें ग्राफ के द्वारा प्रदर्शित करके तुलना की जा सकती है कि किस वर्ष में गेहूं का उत्पादन सबसे ज्यादा हुआ तथा किस वर्ष में सबसे कम हुआ।

3. श्रव्य-दृश्य सामग्री (Audio-visual material) –

श्रव्य दृश्य सामग्री में छात्र अपने श्रव्य एवं दृश्य इंद्रियों दोनों के द्वारा देखकर तथा सुनकर ज्ञान ग्रहण करता है। इस सहायक सामग्री के द्वारा प्राप्त ज्ञान अधिक स्थाई होता है।

  •  नाटक (drama) – किसी भी विषय को रंगमंच पर नाटक के माध्यम से संजीव बनाया जा सकता है। इसके द्वारा संवाद बोलने एवं रंगमंच पर अभिनय करने की कला में दक्षता आती है। नाटक के माध्यम से भगवान राम का आदर्श चरित्र, पन्ना धाय का त्याग, सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र आदि प्रकरण पढ़ाए जा सकते हैं।
  • चलचित्र (Movies) – चलचित्र में छात्र व्यक्तियों को वास्तविक परिस्थितियों में कार्य करते हुए देखता है। चलचित्र छात्रों की सभी ज्ञान इंद्रियों को प्रभावित करते हैं। शिक्षाप्रद चलचित्रों को छात्रों को देखने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
  • दूरदर्शन (television) – टेलीविजन जनसंपर्क का अत्यंत प्रभावशाली माध्यम है। जिसके द्वारा समाचार पत्रों, रेडियो, सिनेमा आदि सभी की एक साथ पूर्ति हो सकती है। सरकार इसके माध्यम से नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, शैक्षिक आदि पक्षों की जानकारी देती है।
  • ज्ञानदर्शन नामक शैक्षिक दूरदर्शन चैनल इग्नू के द्वारा संचालित किया जा रहा है। जिसके माध्यम से छात्र घर बैठे शिक्षण का कार्य कक्षा कक्ष जैसा कर सकते हैं।
  • कठपुतली (Puppet) – निर्जीव कठपुतलियों के माध्यम से पर्यावरणीय अध्ययन शिक्षण कि अधिकांश विषय वस्तु का अध्यापन नाटकीय विधि से बड़े प्रभावशाली ढंग से किया जाता है।Teaching Learning Material in Hindi

Teaching aids in Hindi


टीचिंग लर्निंग मैटेरियल क्या है?

TLM के अंतर्गत छात्रों को चित्र,ग्लोब,चार्ट,मॉडल आदि के माध्यम से प्रत्यय (Topic) को समझाने का कार्य किया जाता हैं। जिससे अधिगम-प्रक्रिया में छात्र अपनी सक्रिय भूमिका निभाते हैं। शिक्षण सहायक सामग्री को TLM एवं Teaching Aids के नाम से भी जाना जाता हैं। यह शिक्षण को प्रभावशाली बनाने का एक उत्तम साधन हैं।

शिक्षण अधिगम सामग्री कितने प्रकार की होती है?

शिक्षण-अधिगम सामग्री को तीन प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है, जैसे श्रव्य साधन, दृश्य साधन और श्रव्य-दृश्य साधन।


TLM कितने प्रकार के होते हैं?

NCERT के अनुसार 6 प्रकार के TLM होते हैं.

  • ग्राफ़िक्स चित्र – Comics, Cartoon.
  • डिस्प्ले सामग्री – ब्लैकबोर्ड, फ्लेनेट बोर्ड
  • त्रिआयामी सामग्री – मॉडल, चार्ट
  • प्रक्षेपी सामग्री – स्लाइड, प्रोजेक्टर
  • प्रक्रिया सामग्री – अभिनय करना, क्षेत्र भ्रमण करनाश्रव्य सहायक सामग्री –
  • श्रव्य सामग्री – रेडियो, टेप रिकॉर्डर आदि.
त्रिआयामी शिक्षण सामग्री क्या है?

त्रि-आयामी सहायक सामग्री का शिक्षण सहायक सामग्री के रूप में बहुत प्रभावशीलता के साथ उपयोग किया जाता है। सभी श्रव्य-दृश्य सामग्री या त्रि-आयामी सहायक सामग्री जीवित अनुभवों के सबसे निकट होती है। वे आकस्मिक अनुभव हैं जहां वास्तविकता शिक्षण उद्देश्यों के लिए परिवर्तित या सरल होती है


शिक्षण में संसाधन सामग्री क्या है?

एक शिक्षण संसाधन एक ऐसी सामग्री है जिसे सीखने और ज्ञान प्राप्त करने में मदद करने के लिए डिज़ाइन किया गया है ।

Tlm full form in hindi

टीचिंग लर्निंग मटेरियल (Teaching Learning Material ) शिक्षण अधिगम सामग्री

What is teaching learning material (What is TLM) ?

वह सामग्री जो शिक्षा को सरल, सुगम, आकर्षक, हृदयग्राही तथा बोधगम्य बनाती हो तथा शिक्षण में मददगार सामग्री, शिक्षण अधिगम सामग्री (TLM) कहलाती है।Teaching Learning Material in Hindi

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