10-20 Words List Best Worksheets In Hindi Matra ka Gyan

Hindi Matra ||chindi matra words || Matra
Hindi Matra मात्राओं का ज्ञान – की मात्रा वाले शब्द hindi matra words

हिंदी के स्वर कितने होते हैं?

Hindi Letter वर्णों को व्यवस्थित करने के समूह को वर्णमाला कहते हैं। हिन्दी में उच्चारण के आधार पर 52 वर्ण होते हैं। इनमें 11 स्वर और 41 व्यंजन होते हैं

तो आइये सीखते है अ से ज्ञ तक। हिंदी वर्णमाला में कुल 52 वर्ण शामिल होते हैं। इनमें से वर्णो में 11 स्वर, 4 संयुक्त व्यंजन, 4 अन्तस्थ व्यंजन, 1 अनुस्वार, 4 ऊष्म व्यंजन, 25 स्पर्श व्यंजन, 2 द्विगुण व्यंजन और 1 विसर्ग शामिल हैं। बच्चों की वर्णमाला पुस्तक में 49 वर्ण (अक्षर) हैं

  • स्वर – अ आ इ ई उ ऊ ऋ ए ऐ ओ औ ऑ
  • अनुस्वार – अं
  • विसर्ग – अ:
  • व्यंजन – क ख ग घ ङ च छ ज झ ञ ट ठ ड ढ ण त थ द ध न प फ ब भ म य र ल व श ष स ह (क़ ख़ ग़ ज़ ड़ ढ़ फ़ श़ )
  • संयुक्त व्यंजन– क्ष त्र ज्ञ श्र

मात्रा क्या कहलाता है?

मात्रा एक गुण है जो बहुलता या परिमाण के रूप में अस्तित्व में हो सकता है। मात्राओं की तुलना “अधिक”, “कम”, या “बराबर” के संदर्भ में, या “कोई मापन के मात्रक के संदर्भ में संख्यात्मक मूल्य निर्दिष्ट करके” की जा सकती हैं। गुण, पदार्थ, परिवर्तन, और संबंध, के साथ-साथ मात्र चीज़ों के मूलभूत वर्गों में से एक हैं।

हिंदी भाषा में प्रत्येक स्वर या ध्वनि से जुड़े प्रतीक होते हैं और शब्द का उच्चारण प्रत्येक अक्षर से जुड़ी मात्रा के अनुसार किया जाता है। उच्चारित ध्वनि उस स्वर की होती है जिससे मत्रा जुड़ा होता है।

हम जब भी कोई वर्ण बोलते हैं तो वर्ण के बोलने के बाद भी हम उसके उच्चारण में कुछ समय लेते हैं और जो बाद में समय लगता है वही मात्रा होता है। जैसे- क + ा = का (यहाँ पर ‘का’ का उच्चारण करने में क के बाद का लगा समय मात्रा है।)

Hindi Matra हिंदी में मात्राएँ कितनी होती है?

Matra in Hindi

मात्रा matra in hindi स्वर का ही एक रूप होता है। जो स्वर का ही प्रतिनिधित्व करता है मात्राओं की संख्या ग्यारह (11) होती है। लेकिन दृश्य रूप में मात्राओं की संख्या दश (10) होती है।

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Hindi Matra words

आ की मात्रा वाले शब्द | Aa ki matra wale shabd

Aa ki matra wale shabd: आ की मात्रा वाले कई से ऐसे ऐसे शब्दों को हम इस पोस्ट में नीचे उदाहरण में दिए है, जिन्हे आपने शायद पहले भी पढ़ा नही होगा। अतः सभी नामों और शब्दों को अंत तक ध्यान पूर्वक पढ़े।

आ की मात्रा का चिन्ह – ा

कानमाननाकहाथतारासाथ
रातबातसाराखारादातहारा
नाराबाजाजानराजामालाछाता
दानागानाकालानानाचाचादादा
मामाबाबाकाकाचादरकपासबादल
मकानआकाशजहाजपातालचरखाचावल
अपनागाजरसपनाशारदाआशाबताशा
पाठशालाअखबारटमाटरकारखानाआजदवाखाना

पढ़ो और याद करो

सागर बाजा बजा। गाना गा। खाना खाकर पाठशाला जा। चाचा बाजार जा। माता का कहना मान। बादल आया जल बरसाया।

कान नाक साफ कर। आज का अखबार पढ़। अपना पाठ याद कर।

छोटी इ की मात्रा वाले शब्द | Chhoti e ki matra wale shabd

chhoti e ki matra wale shabd hindi mein: छोटी इ की मात्रा के कई शब्द हमने नीचे क्रम से बताए है। कृपया किसी भी शब्द को मिस न करे सभी को ध्यान से पढ़ें–
छोटी इ की मात्रा का चिन्ह – ि

बिटियाडिबियाचिड़ियाटिकियारिमझिम
झिलमिलकिशमिशपिकनिकगिरगिटकिला
खिलाछिलाजिलादिलाकिनारा
धनियाबनियाविमलाचिमटातकिया

पढ़ो और याद करो

विमल दिन निकल आया। चिड़िया तिनका लायी। साइकिल पर बाजार जा। धनिया किसमिस तथा नारियल ला। निशा सितार बजा। किताब निकाल कर पढ़। अनिल हिल मिल कर रह। माता-पिता का कहना मान। अभिमान मत कर। गिन-गिन कर हिसाब लिख। बारिश थम गई। निनि चाय पिला।

बड़ी ई की मात्रा वाले शब्द | badi ee ki matra wale shabd

chhoti e ki matra wale shabd hindi mein: बड़ी ई की मात्रा के कई शब्द हमने नीचे क्रम से सूची में सजाए है। कृपया कोई भी शब्द को मिस न करे, सभी को अच्छे से पढ़ें–
बड़ी ई की मात्रा का चिन्ह – ी

तितलीनकलीजमीनतकलीफअसलीलालची
बिजलीमशीनरंजीतपसीनामहीनालड़की
लकड़ीदीवारकालीपीलीनीलीडाली
भिकारीबीमारीभाभीकाकीमामीचाची
दादीनानीखीराचीनीपानीसाथी
खिलाड़ीबकरीमछलीदिल्लीचलीकमीज
सीसाजीवचाबीसिटीमालीगली
बलीसिटीबड़ीदीवारगिलहरीदीपावली

पढ़ो और याद करो

मनीष मीठी रबड़ी खा। मीठा-मीठा गीत गा। नानी परी की कहानी कह। दीपक आलसी मत बन। बाजार जा ककड़ी, पपीता, नाशपाती खरीद कर ला। बकरी नीम की टहनी चबा रही थी। दीपक जला। हमारी गाय हरी घास खाती थी। शीला की साड़ी नीली थी।

छोटा उ की मात्रा वाले शब्द | chhota u ki matra wale shabd

chhota u ki matra wale shabd hindi mein: छोटा उ की मात्रा के शब्द नीचे क्रम से दिए है।
छोटा उ की मात्रा का चिन्ह – ु

उदाहरण–

खुशपशुमधुफुलवारीबुलबुलमुलायम
गुलाबकछुआजामुनसाबुनगुदगुदागुड़िया
गुणगुरुतुमधुनमधुचुप
कुछरुपगुलाबतुलसीधनुषचतुर
साबुनपुजारीबुढ़ियासुपारीगुजरातमथुरा
यमुनापुलकाबुलकुमारबुखारदुम

पढ़ो और याद करो

सुनील सुबह हुई। साबुन लगा कर नहा। यमुना का पानी पी। कुसुम मधुर धुन सुना। फुलवारी महक गई। गुलाब खिल गया। बुलबुल चहक उठी। चुहिया किताब कुतर गई। सुमन चुटकुला सुना। मधुर गीत गुनगुना। बुरा मत सुन। चुनमुन पुजारी की पुकार सुन। गुलशन गुमसुम मत रह।

बड़ा ऊ की मात्रा वाले शब्द | bada oo ki matra wale shabd

Bada oo ki matra wale shabd hindi mein: बड़ा ऊ की मात्रा के शब्द नीचे क्रम से दिए है।
बड़ा ऊ की मात्रा का चिन्ह – ू

उदाहरण–

भालूनाखूनघूमखूबतूफानझूला
जूताबूटनाखूनभालूतराजूमयूर
कूड़ादानसूरजतरबूजजादूगरमजबूतचूहा
तराजूटापूखजूरआलूकबूतरमूली
झूठसूरजजरूरीचाकूसूचनाकपूर
पूरातूफानसबूततराजूजूसजरूर

पढ़ो और याद करो

राजू पूजा कर। धूप जला। फूल चढ़ा। धूप निकल आई। फूल खिल गए। नाखून काट कर अमरुद खा। आलू तथा कचालू की चाट बना। तरबूज तथा खरबूजा काट मत उड़ा। झाड़ू लगा कर चबूतरा साफ कर। बिरजू मदारी आया भालू साथ लाया। भालू झूम-झूम कर

ऋ की मात्रा वाले शब्द | Ri ki matra wale shabd

Rishi ki matra wale shabd: ऋ की मात्रा वाले कई ऐसे ऐसे शब्दों को भी हम इस पोस्ट नीचे उदाहरण में दिए है, जिन्हे आपने शायद पहले भी पढ़ा नही होगा। अतः सभी नामों और शब्दों को ध्यान पूर्वक पढ़े।
ऋ की मात्रा का चिन्ह – ृ

वृतघृतदृढनृतमृतगृह
वृथाभृगुतृषाघृणाकृपापितृ
कृतिअमृतकृपावृतिकृषिकृपाण

पढ़ो और याद करो
ऋषि के गृह के पास एक वृक्ष है। कृषक के पास एक मृग है। मृग चल रहा है। हमें किसी से घृणा नहीं करनी चाहिए। अमृतलाल के पास दो वृषभ हैं। वह कृषि करता है। पृथ्वी गोल है। घृणा के पात्र मत बनो। भारत हमारी मातृभूमि है। किसी से वृथा वचन मत कह। वृक्ष के पास ही मृग खड़ा है।

ए की मात्रा वाले शब्द | a ki matra ke shabd

A ki matra wale shabd: कई नामों को लिस्ट में हम नीचे क्रम से सूचीबद्ध कर रहे हैं।
ए की मात्रा का चिन्ह – े

उदाहरण:

देशशेरजेबपेड़वेतनलालटेन
ठठेराहथेलीबेसनहवेलीबेरबेच
खेतपेड़भेजलेटमेरामेला
सेवासेलठेलासहेलीसवेराचमेली
सपेराजलेबीसपनेपहेलीरेशमअपने
रेशममेहनतसपेरासहेलीदेरगहने

पढ़ो और याद करो

रमेश सवेरे उठ। महेश अपने कपड़े पहन। एक दिन दिनेश तथा उसकी बहन नेहा मेला देखने गए। उनके साथ राजेश, रमेश, कमलेश, राकेश भी चले दिए। मेले में नेहा तथा कमलेश ने भेलपूरी तथा जलेबी खाई। सबने सेब तथा केले खरीदे। दिनेश की जेब से तेईस रूपये निकले।

की मात्रा वाले शब्द | ai ki matra wale shabd

Ai ki matra wale shabd: किसी भी ऐ की मात्रा वाले नाम को छोड़े नही क्योंकि ऐसे शब्द आसानी से कही नही मिलते।
ऐ की मात्रा का चिन्ह – ै

उदाहरण

शैतानमैदानबैठकहैरानगवैयाछैला
पैदापैसाबैठकतैयारनैनीतालमटमैला
गैरकैदीजैसागैसवैसाकैसा
बैलगाड़ीकैदखानाछैलापैसापैदलपैर

पढ़ो और याद करो

कैलाश पैदल सैर के लिए जाता है। डकैत ने कैलाश के पैर छीन लिए। शैली के भैया का नाम वैभव है। वैभव सैनिक है। सुबह सुरैया बैल को चारा खिलाती है। वैभव और भैरव कैलाश के साथ नैनीताल सैर करने गए। जब नैया में बैठकर सुरैया के घर गए। वैभव को तैरना भी आता है।

ओ की मात्रा वाले शब्द | o ki matra wale shabd

O ki matra wale shabd: नीचे लिस्ट में बहुत से शब्द हैं से अतः ध्यान पूर्वक पढ़े–
ओ की मात्रा का चिन्ह – ो

चोरमोरगोलचोकनोटखोल
बोलीलोटाढोलघोड़ाढोलीतोता
मोदीरोगीसोनामोनातोताछोटा
बोलपोलखोजमोचसोचलोहा
भोजनमनोहरकटोरीबोतलकोयलदोपहर

पढ़ो और याद करो

सोहन भोर हो गई। देर तक नहीं सोना चाहिए। आज सोमवार है। मोहन तथा सोहन घूमने के लिए निकले। दोनों ने आसमान की ओर देखा। एक तोता उड़ता हुआ नजर आया। देखो मोर नाच रहा है। देखो मोर नाच रहा है। एक डाली पर कोयल कूक उठी। हाथ धोकर भोजन करो। धीरे बोलो शोर मत मचाओ।

औ की मात्रा वाले शब्द | Au ki matra ke shabd

Au ki matra wale shabd: कठिनाई से पोस्ट में इतने सारे नाम ले कर आए हैं। अतः समस्त को पढ़े।
औ की मात्रा का चिन्ह – ौ
उदाहरण–

दौड़पौधानौकरमौसमनैनिहालचौकीदार
दौलतकौनरौनकसौदापकौड़ीकचौरी
औरतगौरवगौरवखिलौने फौजफौजी
मौसीचौपहियाचौकीकचौरीलौटामौका

पढ़ो और याद करो

सौरभ और कौशल नौका में बैठकर धोलपुर गए। चौराहे पर उसे गौरव मिला। गौरव पकौड़ी और कचौड़ी ला रहा था। घर पर मौसी आई। सौरभ कौन था। गौरव एक फौजी है। मौसम सुहावना है। गौरव चौकी ठीक कर रहा था। सभी चौक में मेला देखने गए। गौरव ने खिलौने खरीदे।

अं की मात्रा वाले शब्द | an ki matra ke shabd

An ki matra wale shabd: सभी नामों की लिस्ट में हम नीचे बता रहे हैं।
अं की मात्रा का चिन्ह – ं
उदाहरण:

संघहंसबंदअंगूरआनंदचंदन
 शंखअंदर पंखरंगबंदरसंग
जंगलगंदाअंडासुरंगअंगूरपलंग
पंखाअंदरभंडारपतंगसंगमंगल
गंगाधरसंतरागंगारामसरपंचघंटाघरजंगल

पढ़ो और याद करो

आज मंगलवार है। चंदन और चंचल दोनों गंगा तट पर गए। गंगा किनारे एक मंदिर था। मंदिर शंकर भगवान का था। आज बसंत पंचमी भी है। संजय और पिंटू पतंग उड़ा रहे हैं। उनके पास कई रंगों की पतंगे हैं। कल हम संगीता के साथ जंगल जाएंगे। जंगल में सुंदर पंखों वाले मोर देखेंगे। बंदरों को पेड़ों पर उछलते हुए भी देखेंगे।

अ: की मात्रा वाले शब्द | aha ki matra ke shabd

Aha ki matra wale shabd: कई नामों को लिस्ट में हम नीचे बता रहे हैं।
अ: की मात्रा का चिन्ह – ः
उदाहरण:

निःशब्दईश्वरःमूलत:भूर्भुवः
क्रमशःजना:सुशान्ताःशक्तिः
कुत:इश्वरःफलत:अंततः
अधःपतननिःसहायप्रातःकालशुभेच्छा:
नम:निःशेषविशेषतःनिःसंकोच
फलतःसंभवतःछःलोकाः
लक्ष्मी:धृति:सायंकालःमिलामः
भवतःदुःसाहसपुन:नमस्कारः
मात:शतशःदुःखनिःस्वार्थ
शंकर:शुभाशयाःतपःदुःशासन

श्रुतलेखन का अर्थ है ‘सुने हुए को लिखना’ या ‘सुनकर लिखना’। ‘श्रुत’ का अर्थ होता है,’सुना हुआ’। इस विधि में एक व्यक्ति बोलता है तथा दूसरा सुन कर उसे लिखता है। विद्यालयों में श्रुतलेखन का उपयोग वर्तनी सुधारने हेतु किया जाता है। आजकल बहुत सी इलेक्ट्रॉनिक युक्तियों में सुनकर लिखने की क्षमता है।

प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों को शुद्ध भाषा सिखाने के लिए बहुधा श्रुतलेख लिखवाया जाता है। श्रुतलेख लेखन का अभ्यास सभी विद्यालयों में होता है। इस अभ्यास के अंतर्गत शिक्षक का यह ज़ोर रहता है। कि बच्चे अपनी भाषा में शुद्धता लाएं। इसके लिए वे अपनी मात्रा व वर्तनी संबंधी त्रुटियों पर ध्यान दें तथा सुधार करें। इन त्रुटियों को सुधारने के लिए शिक्षक श्रुतलेख लिखवाने के बाद त्रुटियों को सुधारने के लिए उसी शब्द को पांच या सात बार लिखवाने का अभ्यास करवाते हैं। एक ही शब्द को बच्चों से बार-बार लिखवाना बच्चों की दृष्टि से नीरस अभ्यास है। इस अभ्यास पर अगर ध्यान दें तो हमें पता चलता है कि बच्चों के लिए इसमें कुछ भी रोचक नहीं है। हां, यह ज़रूर हो सकता है कि इस तरह से एक ही शब्द को लिखते-लिखते वे शब्दों से चिढ़ने लगें और उनकी भाषा सीखने के प्रति रुचि कम हो जाए।

श्रुतिलेख

किसी राजा के राजमहल में एक बन्दर सेवक के रुप में रहता था । वह राजा का बहुत विश्वास-पात्र और भक्त था । अन्तःपुर में भी वह बेरोक-टोक जा सकता था ।
एक दिन जब राजा सो रहा था और बन्दर पङखा झल रहा था तो बन्दर ने देखा, एक मक्खी बार-बार राजा की छाती पर बैठ जाती थी । पंखे से बार-बार हटाने पर भी वह मानती नहीं थी, उड़कर फिर वहीं बैठी जाती थी ।
बन्दर को क्रोध आ गया । उसने पंखा छोड़ कर हाथ में तलवार ले ली; और इस बार जब मक्खी राजा की छाती पर बैठी तो उसने पूरे बल से मक्खी पर तलवार का हाथ छोड़ दिया । मक्खी तो उड़ गई, किन्तु राजा की छाती तलवार की चोट से दो टुकडे़ हो गई । राजा मर गया ।
“मूर्ख मित्र की अपेक्षा विद्वान्‌ शत्रु ज्यादा अच्छा होता है।”

एक बार दो गायें करित खाने के लिए गौशाला गई। वहाँ पहुँचते ही अपनी नाँद में उन्हें एक कुत्ता बैठा दिखाई दिया। कुत्ते को देखकर कुत्ते जोर-जोर से जलने लगे। उसे लगा कि बर्नकने से गाने डरकर भाग लेंगे। उनमें से एक लड़के ने कुत्ते से कहा, “देखो भाई, हमें भूख लगी है। हमें घास खाना चाहिए। यह हमारा भोजन है। गाय की बातें सुनकर कुत्ता चिढ़ गया। वह और जोर-जोर बर्नकेन से लगे। फाइल्री गायें वापस लौटें I। 

बाद में एक गाने में एक बैल को बुलाओ। बैल ने कुत्ते से कहा, “अरे भाई, तू तो घास खाता नहीं! यह गायों का करित है। तू यहाँ से चला जा।” पर बैल की बात का कुत्तों पर कोई असर नहीं पड़ा। वह जमकर वहीं डटा रहा है। यह देखकर बैल क्रोधित हो गया। वह जोर-जोर डकारने लगा। उसका सिंह तनकर वह कुत्तों पर युद्ध करने के लिए तैयार हो गया। कुत्ते ने देखा कि बैल एरर में है। इसलिए वह तुरंत दुबका हुआ हिस्सा बन गया।

एक पहाड़ की ऊँची चोटी पर गरूड़ रहता था। पहाड़ की तलहटी में एक बड़ा पेड़ था। पेड़ पर एक खोआ अपना निवास स्थान रखता था। एक दिन तलहटी में कुछ भेंड़े घास चर रही थीं। गरूड़ की नजर एक मेमने पर पूछताछ की। उसने पहाड़ की चोटी से उड़ान भरी। तलहटी में आने वाले मेमने पर झपट्टा मारा। वह चंगुल में लेकर उड़ते हुए फिर घोंसले में लौट गया। गरूड़ का यह प्रदर्शन कौए को भी जोश आ गया। 

उसने सोचा, “यदि आवश्यक हो तो ऐसा पराक्रम कर सकते हैं, तो मैं क्यों नहीं कर सकता?” दूसरे दिन कौए ने भी एक मेमने को तलहटी में चरते देखा। वह भी उड़ता हुआ और आसमान से जितना ऊपर जा सकता था, उड़ता चला गया। फिर उसने मेमन को पकड़ने के लिए गरूड़ की तरह जोर से झपट्टा मारा। 

मगर मेमने तक पहुंचने की बजाय वह एक चट्टान से टकरा गया। उसका सिर फूट गया, चोंच टूट गया और उसका प्राण-पखेरू उड़ गया।

एक जंगल में एक समझौता रहता था। वह बहुत डरपोक था। कहीं जरा-सी भी उम्मीदवार के रूप में खारिज कर दिया। वह डरकर दृष्टिकोण करता है। डर के मारे वह हर वक्त अपने कान व्यक्त करता है। इसलिए वह कभी सुख से सो नहीं पाता था। एक दिन समझौता एक आम पेड़ के नीचे सो रहा था। तभी पेड़ से एक आम उसके पास आया गिरा। आम गिरने की आवाज सुनकर वह हड़बड़ाकर उठा और लुढ़ककर दूर जा खडा हुआ। “भागो! भागो! आसमान गिर रहा है।” गोली मार दिया सरपट लगा।

रास्ते में उसे एक हिरन मिला। हिरन ने उससे पूछा, “अरे भाई तुम इस तरह भाग क्यों रहे हो? आख़िर मामला क्या है? समझौता ने कहा, अरे भाग, भाग! जल्दी भाग! स्काई गिरिंग है। हिरण भी डरपोक था। इसलिए वह आत्मा से उसके साथ प्रवास करता है। भागते-भागते दोनो जोर-जोर से चिल्ला रहे थे, “भागो! भागो! आसमान गिर रहा है।” उनके देखे डर के मारे जिराफ, भेडिया, लोमडी, गिदड़ और अन्य जानवरों के झुंड भी उनके साथ चलने लगे। 

सभी भागते-भागते एक साथ चिल्लाते जा रहे थे, भागो! भागो! स्काई गिरिंग है। उस समय सिंह अपनी छुट्टी में सो रहा था। जानवरों का शोर सुनकर वह हडबड़ाकर जाग उठा। बाल से बाहर आया, तो उसे बहुत क्रोध आया। उसने दहाड़ते हुए कहा, रूको! रूको! आख़िर क्या बात है? सिंह के डर से सभी जानवर रूक गए। सबने एक स्वर मे कहा, “आसमान नीचे गिर रहा है।”

यह सुनकर सिंह को बड़ी हंसी आई। हंसीते-हंसते उसकी आंखो में आंसू आ गए। उसने अपनी अजीब सी रोककर कहा, ”आसमान को आंखों ने देखा है?” सब एक-दूसरे का मुँह तकने लगे। अंत में सभी अभिमत की ओर मुड़े उसके मुँह से निकले, “आसमान का एक टुकड़ा तो उस आम के पेड़ के नीचे ही गिरा है।” “अच्छा चलो, हम वहाँ चल रहे हैं।” सिंह ने कहा।

सिंह के साथ पशु की पूरी पलटन आम के पेड़ के पास पहुंचे सभीने शोक- उद्धर की सैर की। किसी को आकाश का कोई टुकड़ा कहीं नजर नहीं आया। हाँ, एक हम निश्चित रूप से जमीन पर गिरते हुए दिखाई दिए। सिंह ने समझौता करते हुए आम तौर पर इशारा करते हुए पूछा, “यही है, आकाश का टुकड़ा, जिसके लिए काम करते हुए आत्माभिव्यक्ति दिया?” अब समझौता को अपनी भूल में आई। उसका सर शर्म से झुक गया। वह थर-थर कांपने लगा। दूसरे जानवर में भी इस घटना से बहुत शार्मिंदा हुए। वे गलती से अपनी पर पछता रहे थे कि सुन-सुनई बात से डरकर वे बहुत कम भाग ले रहे थे।

एक कुम्हार था। उसने एक कुत्ता और एक दाब पाल रखा था। कुम्हार के घर के चारों ओर पत्थरों की चौरदीवारी थी। कुत्ते रोज चारदीवारी के अंदर उसके घर और मिट्टी के निशानों की रखवाली करता था। अपने मालिक का बोझ बोझ उठाने का काम करता है। डोब डॉग का विश्वासपात्र था। वह मन ही मन सोचता है, “कुत्ते का जीवन कितना आरामदेह है! केवल चारदीवारी के भीतर इघर-उर घूमना और किसी अजनबी को देखकर बर्नकना।” ऊपर से मालिक उसे प्यार से थपथपाता है। 

उसे अच्छा खाना खिलाता है। मैं दिन भर भारी बोझ फिरता हूँ। बदले में कुम्हार मुझे क्या देता है? वह मेरी पीठ थपथपाता है और खाने के लिए बचा-खुचा घटिया खाना बनाता है। यह तो वास्तव में घोर अन्याय है।” कुछ दिन बाद गढ़ को विचार आया, “क्यों न मैं भी मालिक को कुत्ते की तरह खुश करने की कोशिश करूँ? मालिक घर लौट आता है, तो कुत्ता खुश करने के लिए उससे कितना प्यार करता है, बर्नता है। पुँछ हिलते हुए उसके पास पहुँचता है।

उसका अगला पैर उसके शरीर पर निर्भर करता है। मुझे भी ऐसा ही करना चाहिए। फिर मालिक मुझे भी प्यार करेगा।” दाब मन-ही-मन सोच रहा था कि उसी समय उसने मालिक को आते देखा। उसके स्वागत में दाब ढींचू- ढींचू करते रेंकने लगा, खुशी से अपनी पूँछ हिलाने लगा। 

आगे बढ़ा उसने अपने दोनों पैर कुम्हार की जाँघो पर रखे। गढ़ की इस हरकत से कुम्हार हक्का बक्का रह गया। उसका दाब पागल हो गया है। उसने मोटा-सा डंडा उठाया और गढ़ की खूब पिटाई की। बिजलीघर ने अपने मालिक को खुश करने की कोशिश की थी, पर बदले में उसे डंडे खाने पड़े।

बंटी नाम का एक जुड़ाव था। उन्हें टफियाँ बहुत पसंद थीं। एक दिन वह अपनी मां के साथ अपनी मौसी के घर गया। मौसी बंटवारे की साझेदारी से परचित थी। इसलिए वह टफियों से पूरी मार्तबान ही के लिए खरीदारी कर रहा था। मौसी ने अलमारी से टाफियों का मर्तबान तोड़कर तोड़कर सामने रख दिया। टूटकर इतनी सारी टाफियां देखकर पुलकित हो गए। मौसी ने कहा, जितना भी सभी टाफियों को तोड़ना चाहिए। 

टूटने ने झट पट मबान आर्ट का ढक्कन खोलकर हाथ अंदर डाल दिया। जितनी भी कठिनाइयाँ मुटठी में समा सकती थीं, उतनी ही टाफियाँ मुटठी में भर लीं। मर्ताबान का मुँह बहुत छोटा था। टाफियों से भरी मुट्ठी शहीद के मुंह से बड़ी हो गई। इसलिए टूटने का हाथ नहीं निकल रहा था। 

उसने बहुत कोशिश की अपने दूसरे हाथ से मरताबान को आगे सींक। उसे तेज़ी से गोल-गोल जाने लगे। उसका हाथ नहीं निकला। टूटी हुई परेशानी को देख माँ ने कहा, बेटा! अक्ल से काम लो अपनी मुट्ठी खोलकर कुछ टाफियां गिरा दो फिर कक्षा हाथ आसानी से निकल आया। बंटी ने वही किया। उसके हाथ-पैर छूटने से निकल आए।

एक दिन मुझे कहीं से भी भेड़ की खाल मिल गई। खाल ओढ़कर वह मैदान में चर रही भेड़ों के झुंड में शामिल हो गया। भेड़िये ने सोचा, “सूर्य अस्त हो जाने के बाद गड़रिया भेड़ों को बाड़े में बंद कर देंगे। भेड़ों के साथ मैं भी नौकरी में घुस जा नौकरी। रात को किसी एक भेड़ को मोटी को उठा कर भाग लें, योजनाओं और मजे से खायें।” शाम हुई तो गड़रिया भेड़ों को बाड़े में बंद कर घर चला गया। भेड़िया अंगारा होने का इंतजार कर रहा है। 

धीरे-धीरे अँधेरा गहराने लगा। यहाँ तक तो सब कुछ भेड़िये की योजना के अनुसार ही हुआ। फिर एक अनहोनी घटना घट गई। एक एक गड़रिए का नौकर नौकर में आया। उसके मालिक ने रात को खाना खाने के लिए एक मोटा-मोटा भेड़ लाने के लिए उसे भेजा था। संयोग से नौकर भेड़िये की खाल ओढ़े भेड़िये को ही उठाने लगा और उसे हलाल कर दिया। भेड़िया भेड़ खाने के लिए आया था, लेकिन उस रात वह गड़गड़ाहट और उसका प्रशासन बन गया।

एक आदमी के पास एक घोड़ा और एक दाब था। एक दिन वह दोनों को लेकर बाजार जा रहा था। उन्होंने गढ़ की पढ़ाई पर खूब सामान लादा था। घोड़े की पढ़ाई पर कोई सामान नहीं था। रास्ते में गढ़ ने घोड़े से कहा, भाई मेरी पीठ पर बहुत अधिक वजन है। थोड़ा सा बोझ तुम भी अपनी पीठ पर ले लो। घोड़े ने कहा, बोहोश ज्यादा हो या कम, इससे मुझे कुछ लेना-देना नहीं है। यह दृष्टिहीनता है और इसे देखने वाला उठता है। मेरे बारे में कुछ मत कहो। यह सुनकर दाब चुप हो गया। 

फिर वे तंयांग लगे। थोड़ी देर बाद भारी बोझ के कारण गढ़ के पाँव लड़खड़ाने लगे और वह रास्ते पर गिर पड़ा। उसके मुँह से झाँकने लगा। इसके बाद उस आदमी ने गढ़ की पीठ से सारा सामान उतार दिया और सारा सामान बिस्तर पर लाद दिया। चलते-चलते घोड़े को लगता है, अगर मैंने गढ़ का कुछ भार अपनी पीठ पर लिया होता है, तो कितना अच्छा होता है। अब मुझे सारा बोक्स मार्केट तक ले जाया 

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