पंच परमेश्वर | Panch Parmeshwar | Class 5 Hindi Vatika Chapter 2 SCERT UP Board textbook Kalrav ( Vatika ) कक्षा 5 हिन्दी कलरव “वाटिका” पाठ 2 पंच परमेश्वर कहानी, लेखक मुंशी प्रेमचंद
पंच परमेश्वर | Panch Parmeshwar | Class 5 Hindi Vatika Chapter 2
पंच परमेश्वर शब्दार्थ
स्वादिष्ट = जायकेदार
गृहस्वामिनी = घर की मालकिन
दैवयोग = ईश्वर की इच्छा
परिश्रम = मेहनत
धृष्टता = ढिठाई
कबूल = स्वीकार
जिरह = बहस
सर्वोच्च = सबसे ऊँचा।
परमेश्वर पाठ का सारांश
जुम्मन शेख और अलगू चौधरी बहुत गहरे मित्र थे। जुम्मन की खाला ने अपनी जायदाद जुम्मन के नाम कर दी थी। रजिस्ट्री होने के बाद जुम्मन और उसकी बीबी करीमन खाला को परेशान करने लगे। खाला ने जुम्मन की शिकायत कर दी। मामला पंचायत में गया। अलगू चौधरी को सरपंच बनाया गया। अलगू चौधरी ने फैसला सुनाया, “खालाजान को माहवार खर्च दिया जाए, नहीं तो रजिस्ट्री रद्द समझी जाए।”
जुम्मन को यह फैसला खटकने लगा। वह बदला लेने की ताक में था। ऐसा अवसर जल्द ही आ गया। समझू साहु ने अलगू चौधरी से एक महीने बाद दाम देने का वादा करके बैल खरीद लिया। बैल समझू की लापरवाही के कारण मर गया। समझू ने अलगू चौधरी को बैल के दाम नहीं दिए। मामला पंचायत में गया। जुम्मन को सरपंच बनाया गया, जिसने अपनी जिम्मेदारी अच्छी प्रकार निभाई। जुम्मन ने फैसला सुनाया कि यह उचित है कि समझू साहू बैल के पूरे दाम दे। जिस समय उसने बैल लिया था, बैल को कोई बीमारी नहीं थी। उसकी मृत्यु ज्यादा बोझ लादने और चारे-पानी के कुप्रबंध के कारण हुई।
अलगू चौधरी ने पंच परमेश्वर की जय-जयकार की। जुम्मन अलगू के पास आए और उनके गले से लिपट गए।
पंच परमेश्वर (Panch Parmeshwar)
Exercise ( अभ्यास )
प्रश्न ( 1 ) : बोध प्रश्न : उत्तर लिखिए –
( क ) जायदाद की रजिस्ट्री होते ही जुम्मन का व्यवहार बदल गया | इससे जुम्मन के स्वभाव के बारे में क्या पता चलता है ?
उत्तर : इससे जुम्मन के स्वार्थी होने का पता चलता है |
( ख ) ” मैं अलग पका-खा लूँगी ” खाला ने ऐसा क्यों कहा ?
उत्तर : जुम्मन की पत्नी के रोज-रोज के ताने सुनकर खाला परेशान हो चुकी थी और जुम्मन भी निठुर हो गए थे इसलिए खाला ने ऐसा कहा |
( ग ) जुम्मन ने खाला को रोटी – कपड़ा देना क्यों कबूल किया था ?
उत्तर : जुम्मन ने बूढ़ी खाला को जायदाद के बदले में रोटी-कपड़ा देना कबूल किया था |
( घ ) फैसला सुनते ही जुम्मन सन्नाटे में क्यों आ गए ?
उत्तर : फैसला सुनते ही जुम्मन सन्नाटे में आ गए क्योंकि जुम्मन को आशा थी कि अलगू चौधरी तो उनके पक्के मित्र हैं इसलिए वो फैसला भी उन्हीं के पक्ष में सुनायेंगे लेकिन अलगू चौधरी ने फैसला बूढ़ी खाला के पक्ष में सुनाया |
( ड.) सरपंच का आसन ग्रहण करते हुए जुम्मन में कौन सा भाव पैदा हुआ ?
उत्तर : सरपंच का आसन ग्रहण करते ही जुम्मन में अपनी जिम्मेदारी का भाव पैदा हुआ और उन्होंने सत्य से तनिक भी विचलित ना होने का विचार किया |
प्रश्न ( 2 ) : सही विकल्प पर (✓) का निशान लगाइए –
( क ) जुम्मन का मित्र होते हुए भी पंचायत में अलगू ने उनके खिलाफ फैसला दिया क्योंकि –
- अलगू सच्चा मित्र नहीं था |
- जुम्मन के घमंडी स्वाभाव से अलगू नाराज था |
- सरपंच का आसन ग्रहण करने वाला व्यक्ति निष्पक्ष होकर न्याय करता है | (✓)
( ख ) जुम्मन शेख ने समझू साहू के विरुद्ध फैसला दिया कि बैल का पूरा दाम अलगू चौधरी को दें क्योंकि –
- जुम्मन सेख ने सरपंच बनकर समझू साहु से बदला लिया |
- जुम्मन शेख ने अपने मित्र अलगू चौधरी का पक्ष लिया |
- बैल की मृत्यु केवल इस कारण से हुई कि उससे कठिन परिश्रम लिया गया और उसके दाने चारे का प्रबंध नहीं किया गया | (✓)
प्रश्न ( 3 ) : कहानी से सम्बंधित वाक्य गलत क्रम में लिखे गए हैं , उन्हें सही क्रम में लिखिए –
उत्तर – सही क्रम –
- जुम्मन शेख की एक बूढ़ी खाला थी |
- उनके पास थोड़ी जायदाद थी , परन्तु उनके निकट सम्बन्धियों में कोई न था |
- जुम्मन ने लम्बे-चौड़े वाडे करके वह जायदाद अपने नाम लिखवा ली थी |
- एक दिन संध्या के समय एक पेड़ के नीचे पंचायत बैठी |
- अलगू चौधरी ने जुम्मन से जिरह शुरू की |
- सरपंच का आसन ग्रहण करते हुए जुम्मन में अपनी जिम्मेदारी का भाव पैदा हुआ |
- थोड़ी देर बाद जुम्मन अलगू के पास आये और उनके गले से लिपट गए |
प्रश्न ( 4 ) : निम्नलिखित कथनों को पढ़िए और उनके सामने खाली जगह में किसने-किससे कहा लिखिए –
- बेटा तुम्हारे साथ मेरा निबाह न होगा | तुम मुझे रुपये दे दिया करो , मैं अलग पका – खा लूँगी | – बूढ़ी खाला ने जुम्मन से
- रूपये क्या यहाँ फलते हैं ? – जुम्मन ने खाला से
- शेख जुम्मन ! हम तुम पुराने दोस्त हैं मगर इस समय तुम और बूढ़ी खाला दोनों हमारी निगाह में बराबर हो | – अलगू चौधरी ने जुम्मन से
- भाई पंचायत कर लो | जो कुछ तय हो जाए उसे स्वीकार कर लो – लोगों ने समझू साहु को
- समझू के लिए उचित है कि बैल का पूरा दाम दें | – जुम्मन ने पंचायत में
- पंच न किसी के दोस्त होते हैं न किसी के दुश्मन | – जुम्मन ने स्वयं को
प्रश्न ( 5 ) : नीचे लिखी पंक्तियों का आशय अपने शब्दों में लिखिए –
- रजिस्ट्री की मुहर लगते ही खातिरदारी पर भी मुहर लग गई | – जैसे ही खाला ने अपनी जायदाद जुम्मन के नाम लिख दी उसके बाद से जुम्मन और उसकी पत्नी ने खाला का ख्याल रखना कम कर दिया |
- कुछ दिनों तक और यों ही रो-धोकर काम चलता रहा | – कुछ समय तक खाला ने जुम्मन की पत्नी की कड़वी बातें सुनी और बर्दाश्त किया |
- जुम्मन ने धृष्टता के साथ उत्तर दिया ” रूपये क्या यहाँ फलते हैं ” ? – जुम्मन ने ढिठाई के साथ खाला को पैसे देने से साफ़ मना कर दिया |
- जुम्मन को यह फैसला आठों पहर खटकने लगा | – अलगू चौधरी का फैसला जुम्मन सहन नहीं कर पाए |
- ‘मैं इस समय न्याय के सर्वोच्च आसन पर बैठा हूँ | सत्य से जौ भर भी टलना मेरे लिए उचित नहीं है | – जब व्यक्ति न्याय करने के लिए बैठता है तो उसमें जिम्मेदारी का भाव आ जाता है इसलिए वह सदैव सत्य का साथ देता है |
प्रश्न (6) : भाषा के रंग –
(क) मुहावरों का सही अर्थ से मिलान कर अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए –
मुहावरा अर्थ
- मुहर लग जाना – पक्का हो जाना – रजिस्ट्री की मुहर लगते ही खातिरदारी पर भी मुहर लग गयी |
- सिर माथे चढ़ाना – ख़ुशी से स्वीकार करना – सभी ने यह फैसला ख़ुशी से स्वीकार कर लिया |
- सन्नाटे में आ जाना – चुप रह जाना – जज का फैसला सुनकर फरियादी सन्नाटे में आ गया |
- कलेजा धक-धक करना – अधिक घबरा जाना – जैसे ही विजेता की घोषणा होने लगी राम का कलेजा धक-धक करने लगा |
- दिल का मैल धुल जाना – मन साफ़ हो जाना – राम की बातें सुनकर रमेश के दिल का मैल धुल गया |
(ख) निम्नलिखित तद्भव शब्दों के तत्सम रूप लिखिए –
निबाह निर्वाह
निठुर निष्ठुर
पहर प्रहर
घर गृह
पूरा सम्पूर्ण
भगत भक्त
प्रश्न : 7 , 8 , 9 एवं 10 स्वयं करें |
अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न -
पंच परमेश्वर से हमें क्या सीख मिलती है?
पंच परमेश्वर कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है, कि पंच की भूमिका निभाते समय और न्याय की गद्दी पर बैठते समय पक्षपात नहीं करना चाहिए। कितना भी किसी से निकट संबंधी क्यों ना हो, हमेशा सही निर्णय लेना चाहिए पंच की गद्दी पर बैठने के बाद कौन किसका भाई, किसका बेटा यह सब नही सोचना चाहिए।
पंच परमेश्वर की कहानी का उद्देश्य क्या है?
पंच परमेश्वर कहानी का उद्देश्य यह है कि न्याय के सामने मित्रता, भाईचारा या किसी भी तरह का संबंध आड़े नहीं आने चाहिए। न्याय करते समय हमेशा निष्पक्ष होकर न्याय करना चाहिए। भले ही एक पक्ष न्याय करने वाले का मित्र क्यों ना हो। उसे केवल सही बात को सही और गलत बात को गलत ध्यान में रखकर न्याय करना चाहिए।
परमेश्वर के गुण क्या है?
जैसे सर्वज्ञानी, सर्वशक्तिमान, सर्वव्यापी, अनंतता, इत्यादि। और कुछ गुण है जो परमेश्वर ने मानवजाति के साथ सांझा किया है जैसे, प्रेम, दया, करुणा, इत्यादि। ये परमेश्वर के गुण है जिनको हम आने वाले समय में विस्तार से देखेंगे।