प्रकृति की सीख | Prakriti Ki Seekh Class 5 |Class 5 Hindi Vatika Chapter 6 प्रकृति की सीख कक्षा 5
 प्रकृति की सीख Prakriti Ki Seekh Class 5 Class 5 Hindi Vatika Chapter 6
 प्रकृति की सीख प्रश्न उत्तर | Prakriti Ki Seekh Class 5 |Class 5 Hindi Vatika Chapter 6

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प्रकृति की सीख शब्दार्थ

तरल तरंग = चंचल लहर
मृदुल = कोमल
उमंग = उत्साह
धैर्य = धीरज।

प्रकृति की सीख कविता का सारांश भावार्थ

पर्वत कहता …………………………………………….. लाओ।

संदर्भ – यह पद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘कलरव’ के ‘प्रकृति की सीख’ नामक पाठ से लिया गया है। इसके रचयिता ‘सोहन लाल द्विवेदी’ हैं। कवि लिखता हैं कि प्रकृति अपने विभिन्न रूपों से हमें सीख देती है।

भावार्थ – पर्वत सिर उठाकर कहता है कि तुम सब मेरे समान ऊँचे बनो। समुद्र लहराकर कहता है, मन के अंदर गहराई लाओ। भाव यह है कि पर्वत और समुद्र मनुष्य को महान और गंभीर होने की प्रेरणा देता है।

समझ रहे ………………………………….…………… उमंग।

भावार्थ – क्या तम यह बात समझ पा रहे हो कि पानी की चपल या चंचल लहर. ऊपर उठ-उठकर; फिर नीचे गिर-गिरकर क्या संदेश दे रही है? यह कह रही है कि तुम अपने मन में मधुर उत्साह (जोश) भरो।

पृथ्वी कहती …………………………………….……….. सारा संसार।

भावार्थ – पृथ्वी के सिर पर बहुत अधिक भार है। यह इसे धैर्यपूर्वक सहती है और सबको धैर्यवान होने की प्रेरणा देती है। तथा आकाश भी सारे संसार को ढक लेने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है। अर्थात् व्यक्तित्व को महान बनाने की प्रेरणा देता है।

प्रश्न ( 1 ) बोध प्रश्न : उत्तर लिखिए

(क) पर्वत क्या सन्देश दे रहा है ?

उत्तर – पर्वत सन्देश दे रहा है कि तुम भी ऊँचे ( महान ) बन जाओ|

(ख) तरंग क्या कहती है ?

उत्तर – तरंग कहती है कि अपने ह्रदय में जोश भर लो , जिससे बड़े से बड़ा लक्ष्य प्राप्त कर सकोगे |

(ग) धैर्य के सम्बन्ध में पृथ्वी का क्या सन्देश है ?

उत्तर – पृथ्वी कह रही है कि कितनी ही जिम्मेदारियों का बोझ तुम्हारे सिर पर क्यों न हो ? तुम्हें धैर्य नहीं छोड़ना है |

(घ) संसार को ढक लेने की सीख कौन दे रहा है ?

उत्तर – संसार को ढक लेने की सीख आकाश दे रहा है |

प्रश्न (2) नीचे स्तम्भ ‘क’ में प्रकृति के कुछ अंगों के नाम लिखे गए हैं| स्तम्भ ‘ख’ में उनसे मिलने वाली सीख गलत क्रम में लिखी गई है, उन्हें सही क्रम में लिखिए –

‘क’‘ख’
पर्वतऊँचे बन जाओ
सागरमन में गहराई लाओ
तरंगह्रदय में मृदुल उमंग भर लो
पृथ्वीकभी धैर्य न छोड़ो
नभढक लो तुम सारा संसार
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प्रश्न (3) निम्नलिखित पंक्तियों के भाव स्पष्ट कीजिए –

(क) सागर कहता है लहराकर, मन में गहराई लाओ|

उत्तर – लहरें मारता हुआ सागर कह रहा है कि गंभीर बनो |

(ख) पृथ्वी कहती धैर्य न छोड़ो, कितना ही हो सिर पर भार|

उत्तर – पृथ्वी कह रही है कि कितनी ही जिम्मेदारियों का बोझ तुम्हारे सिर पर क्यों न हो ? तुम्हें धैर्य नहीं छोड़ना है |

(ग) भर लो, भर लो अपने मन में, मीठी-मीठी मृदुल उमंग|

उत्तर – तरंग कहती है कि अपने ह्रदय में जोश भर लो , जिससे बड़े से बड़ा लक्ष्य प्राप्त कर सकोगे |

(घ) नभ कहता है फैलो इतना, ढक लो तुम सारा संसार|

उत्तर – आकाश सीख दे रहा है कि ऐसे कार्य करो कि तुम्हारी कीर्ति पूरे संसार में फ़ैल जाए |

प्रश्न (4) सोच- विचार : बताइए –

हम सब हर समय कुछ न कुछ नया सीखते रहते हैं | हमारे आस-पास बहुत कुछ ऐसा होता है, जो सीखने में मदद देता है| बताइए, आपके आस-पास ऐसी कौन-कौन सी चीजें हैं जो आपको कुछ न कुछ सिखाती हैं |

प्रश्न (5) तुम्हारी कलम से –

लिखिए , क्या सीख मिलती है –

  • वृक्षों से – वृक्षों से परोपकार की सीख मिलती है
  • नदियों से – नदियों से भी परोपकार की सीख मिलती है
  • फूलों से – फूलों से दूसरों को आकर्षित करने की सीख मिलती है
  • कोयल से – कोयल से हमें वाणी में मधुरता लाने की सीख मिलती है

प्रश्न (6) अब करने की बारी –

(क) पर्वत और लहराते हुए सागर का चित्र बनाइए |

उत्तर – छात्र स्वयं बनाएँ |

(ख) ‘प्रकृति वर्णन’ से सम्बंधित कविताओं का संकलन कीजिए |

उत्तर –

ये वृक्षों में उगे परिन्दे
पंखुड़ि-पंखुड़ि पंख लिये
अग जग में अपनी सुगन्धित का
दूर-पास विस्तार किये।

झाँक रहे हैं नभ में किसको
फिर अनगिनती पाँखों से
जो न झाँक पाया संसृति-पथ
कोटि-कोटि निज आँखों से।

प्रकृति कुछ पाठ पढ़ाती है,
मार्ग वह हमें दिखाती है।
प्रकृति कुछ पाठ पढ़ाती है।

नदी कहती है’ बहो, बहो
जहाँ हो, पड़े न वहाँ रहो।
जहाँ गंतव्य, वहाँ जाओ,
पूर्णता जीवन की पाओ।
विश्व गति ही तो जीवन है,
अगति तो मृत्यु कहाती है।
प्रकृति कुछ पाठ पढ़ाती है।

नदी तब भी थी
जब कोई उसे नदी कहने वाला न था
पहाड़ तब भी थे
हिमालय भले ही इतना ऊॅचा न रहा हो
ना रहे हों समुद्र में इतने जीव

नदी पहाड हिमालय समुद्र
तब भी रहंेगे
जब नहीं रहेंगे इन्हें पुकारने वाले
इन पर गीत लिखने वाले
इनसे रोटी उगाने वाले

नदी पहाड़ हिमालय समुद्र
मनुष्य के बिना भी
नदी पहाड़ हिमालय समुद्र हैं
इनके बिना मनुष्य, मनुष्य नहीं।रेखा चमोली

(ग) इस कविता को कंठस्य कर कक्षा में सुनाइए |

उत्तर – छात्र स्वयं करें |

प्रश्न (7) मेरे दो प्रश्न : कविता के आधार पर दो सवाल बनाइए –

उत्तर – (1) प्रकृति की सीख कविता के रचयिता कौन हैं ?

(2) मन में गहराई लाने की सीख कौन दे रहा है ?

प्रश्न (8) इस कविता से –

(क) मैंने सीखा –

(ख) मैं करूंगा/करूंगी –

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