सरिता पाठ 4 कक्षा 5 हिंदी कलरव हिंदी कविता –Sarita Class 5 Hindi
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यह लघु सरिता का बहता जल
कितना शीतल कितना निर्मल
हिमगिरि के हिम से निकल निकल
यह निर्मल दूध सा हिम का जल
कर-कर निनाद कल-कल छल-छल
तन का चंचल मन का विह्वल
यह लघु सरिता का बहता जल
उँचे शिखरों से उतर-उतर
गिर-गिर, गिरि की चट्टानों पर
कंकड़-कंकड़ पैदल चलकर
दिन भर, रजनी भर, जीवन भर
धोता वसुधा का अन्तस्तल
यह लघु सरिता का बहता जल
हिम के पत्थर वो पिघल पिघल
बन गये धरा का वारि विमल
सुख पाता जिससे पथिक विकल
पी-पी कर अंजलि भर मृदुजल
नित जलकर भी कितना शीतल
यह लघु सरिता का बहता जल
कितना कोमल, कितना वत्सल
रे जननी का वह अन्तस्तल
जिसका यह शीतल करुणा जल
बहता रहता युग-युग अविरल
गंगा, यमुना, सरयू निर्मल
यह लघु सरिता का बहता जल – गोपाल सिंह नेपाली
सरिता | Sarita Class 5 Hindi | Class 5 Hindi Vatika Chapter 4
सरिता शब्दार्थ
विमल = स्वच्छ, साफ
निनाद = ध्वनि
विह्वल = व्याकुल
वसुधा = पृथ्वी
रजनी = रात
अन्तस्तल = हृदय
अविरल = निरन्तर, लगातार
सरिता पाठ 4 कक्षा 5 हिंदी कलरव हिंदी कविता में आए कठिन शब्दों का अर्थ –
यह लघु सरिता————————————-का बहता जल॥
संदर्भ – ‘यह पद्यखंड हमारी पाठ्यपुस्तक ‘कलरव’ के ‘सरिता’ नामक पाठ से लिया गया है। इसके रचयिता कविवर श्री गोपाल सिंह ‘नेपाली’ हैं।
प्रसंग – प्रस्तुत कविता में कवि ने सरिता ( नदी ) की विशेषताओं का सारगर्भित वर्णन किया है।
भावार्थ – कवि ने इसमें छोटी नदी के बहते हुए जल की खूबियों का बखान किया है | कवि कहता है कि इस छोटी नदी का बहता हुआ जल बहुत अधिक शीतल यानी ठंडा व निर्मल अर्थात स्वच्छ है । हिमालय से हिम से बहकर आनेवाला यह पानी दूध जैसा स्वच्छ, निर्मल है। यह जल कल-कल की ध्वनि में गान करते हुए, चंचल चाल और निर्मल भाव से वह आगे बढती है | नदी का बहता हुआ जल मानो शरीर की चंचलता और मन की लगन प्रदर्शित करता हो। ऐसा है इस छोटी नदी में प्रवाहित होता हुआ जल।
ऊँचे शिखरों से ————————————का बहता जल॥
भावार्थ – नदी का यह जल ऊँचे शिखरों यानी पर्वत चोटियों से नीचे उतरकर पहाड़ की चट्टानों पर गिरता रहता है। यह जल दिन-रात और जीवनपर्यन्त कंकड़-पत्थरों में बहते हुए पृथ्वी का तल (हृदय) धोता रहता है। ऐसा है इस छोटी नदी का बहता हुआ जल।
हिम के पत्थर————————————–का बहता जल॥
भावार्थ – यह जल पर्वत के कठोर हिम से पिघल-पिघलकर पृथ्वी का सुन्दर व स्वच्छ जल बन गया । इस जल को थोड़ा पीकर पथिक तृप्त हुआ । इस छोटी नदी का बहता हुआ जल निरंतर ताप सहकर भी अत्यधिक ठंडा है। ऐसा है इस छोटी नदी का प्रवाहित जल।
कितना कोमल————————————–का बहता जल॥
भावार्थ – हमारी धरती माँ का हृदय यानी धरातल बहुत ही कोमल, पुत्रवत् स्नेह प्रदान करने वाला है। माँ भर्ती का यह शीतल जल तृप्त करनेवाला है। गंगा, यमुना, सरयू का यह स्वच्छ जल युग-युग से निरंतर बहता चला आ रहा है। यह छोटी सरिता का बहता हुआ जल है।
सरिता | Sarita Class 5 Hindi | Class 5 Hindi Vatika Chapter 4
सरिता पाठ 4 के अभ्यास प्रश्न सरिता | Sarita Class 5 Hindi | Class 5 Hindi Vatika Chapter 4
भाव-बोध
1- उत्तर दो
(क) सरिता का जल कहाँ से आता है?
उत्तर:
सरिता का जल पर्वत की ऊँची बर्फ की (बर्फीली) चोटियों से आता है।
(ख) सरिता का जल रात-दिन बहते हुए कौन-सा कार्य करता है?
उत्तर:
सरिता का जल रात-दिन बहते हुए पृथ्वी के धरातल को धोने का कार्य करता है ।
(ग) पथिक सरिता के जल से किस प्रकार सुख पाता है?
उत्तर:
पथिक सरिता के शीतल जल को पीकर तृप्ति पाते हुए सुख पाता है ।
(घ) कवि ने जननी के अन्तस्तल को कोमल क्यों कहा है?
उत्तर:
धरती के भीतरी भाग (अन्तस्तल- हृदय) में जल के अविछिन्न व अजस्र जल स्रोत बहते हैं । अतः कवि ने जननी (धरती) को कोमल कहा है।
2- नीचे लिखी पंक्तियों का भाव स्पष्ट करो-
(क) ‘तन का चंचल मन का विह्वल, यह लघु सरिता का बहता जल’
(ख) “दिन भर, रजनी भर, जीवन भर, धोता वसुधा का अन्तस्तल’
(ग) “नित जलकर भी कितना शीतल’
(घ) ‘बहता रहता युग-युग अविरल’
उत्तर-
(क) ‘तन का चंचल मन का विह्वल, यह लघु सरिता का बहता जल
भावार्थ:
नदी का जल निरंतर प्रवाहित होता हुआ आगे बढ़ता रहता है।, इसी कारण नदी के जल को ‘तन का चंचल, मन का विह्वल’ कहा गया है।
(ख) “दिन भर, रजनी भर, जीवन भर, धोता वसुधा का अन्तस्तल’
भावार्थ:
सारा दिन सारी रात सारा जीवन यह धरती का हृदय धोता रहता है।
(ग) “नित जलकर भी कितना शीतल’
भावार्थ:
यह निरंतर पृथ्वी के अंदर के ताप व और सूर्य की किरणों से आते ताप को सहकर भी अत्यधिक ठंडा है ।
(घ) ‘बहता रहता युग-युग अविरल’
भावार्थ:
यह स्वच्छ जल युग-युग से निरंतर बहता चला आ रहा है।
3- सोच – विचार कर बताइए –
क्या कारण है कि – नदियों का जल उद्गम स्थल पर शुद्ध होता है जो आगे चलकर प्रदूषित हो जाता है ?
उत्तर – इस प्रश्न को छात्र शिक्षक के सहायता से स्वयं हल करें सरिता | Sarita Class 5 Hindi | Class 5 Hindi Vatika Chapter 4
4- भाषा के रंग –
(क) – कल-कल, छल-छल समान ध्वनि के शब्द हैं, जिनका एक साथ दोहरा प्रयोग हुआ है। इससे भाषा में सुंदरता बढ़ी है । कविता में आए इस प्रकार के अन्य शब्द लिखो।
उत्तर –
पिघल – पिघल
निकल – निकल
कर – कर
कंकड़ – कंकड़
युग – युग
उतर – उतर
गिर – गिर।
(ख ) – कविता की पंक्तियों के अंत में समान तुकवाले शब्द प्रयुक्त आए हैं- जैसे – विकल-निकल, जल-छल। इसी प्रकार समान तुकवाले शब्दों के जोड़े बनाओ-
उत्तर-
उतर – चट्टानों पर
चलकर – जीवन भर
अन्तस्तल – बहता जल
पिघल – विमल
विह्वल – जल
वत्सल – अन्तस्तल
करुणा जल – अविरल
निर्मल – बहता जल।
(ग) कविता में सरिता के जल के लिए अनेक विशेषण शब्दों का प्रयोग हुआ है, जैसे- शीतल, निर्मल आदि। ऐसे ही पाँच और विशेषण शब्दों को कविता से ढूँढकर लिखो।
उत्तर-
विमल
करुण
मृदु
कोमल
वत्सल।
(घ) – दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखो- सरिता, पर्वत, जल, वसुधा
उत्तर-
सरिता – नदी, तरंगिणी।
पर्वत – पहाड़, शैल।
जल – नीर, सलिल।
वसुधा – धरा, भूमि।
सरिता | Sarita Class 5 Hindi | Class 5 Hindi Vatika Chapter 4
अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न -
यह लघु सरिता का बहता जल किसकी रचना है?
यह लघु सरिता का बहता जल / गोपाल सिंह नेपाली
सरिता के जल को तंका चंचल क्यों कहा गया है?
नदी का जल निरंतर प्रवाहित होता हुआ आगे बढ़ता रहता है।, इसी कारण नदी के जल को ‘तन का चंचल, मन का विह्वल’ कहा गया है।
सरिता के जल की विशेषता क्या है?
सरिता के जल की विशेषता यह है कि इसका जल पीने योग्य होता है और साफ – सुथरा रहता है।
सरिता की तुलना जननी से क्यों की गई है?
कवि ने नदी की तुलना जननी के साथ की है क्योंकि जिस प्रकार नदी अपना मृदुल / मीठा जल देकर हमारी प्यास बुझाती है उसी प्रकार माता अपनी वत्सलता से हमारे प्रेम की प्यास को बुझाती है। जिस प्रकार नदी का जल युग-युग तक लगातार बहता रहता है उसी प्रकार माता का प्रेम भी हमारे प्रति हमेशा बना रहता है, कभी कम नहीं होता ।