Vyanjan in Hindi आम भाषा में क से गया ज्ञ तक के वर्णों को व्यंजन कहते हैं। जिन वर्णों का उच्चारण बिना किसी दुसरे वर्णों के नहीं हो सकता उन्हें व्यंजन कहते हैं।
Vyanjan in Hindi
व्यंजन (Vyanjan in Hindi Varnmala)
Vyanjan ki paribhasha
व्यंजन (Vyanjan) हिंदी वर्णमाला में एक श्रेणी होती है जिसमें सभी स्वरों को छोड़कर अन्य सभी वर्ण शामिल होते हैं। इन वर्णों को हम व्यंजन (consonants) कहते हैं। हिंदी भाषा में कुल 33 व्यंजन होते हैं, इसके अलावा चार संयुक्त व्यंजन होते हैं। जो विभिन्न ढंग से उच्चारित किए जाते हैं और अलग-अलग ध्वनियों को प्रकट करते हैं। व्यंजन वर्णों का उपयोग विभिन्न स्वरों के साथ मिलकर शब्दों और भाषा के निर्माण में होता है।
हिंदी वर्णमाला में कितने व्यंजन होते हैं (How Many Vyanjan in Hindi Varnmala)
हिंदी वर्णमाला में कुल 39 व्यंजन होते हैं, जिनमें से 33 एकार्थी व्यंजन होते हैं (33 Vyanjan in Hindi) और बाकी 4 संयुक्त व्यंजन होते हैं। यह वर्णमाला हिंदी भाषा के व्याकरणिक अंश को समझने में मदद करती है और विभिन्न शब्दों के लिए आवाज़ का आकार और उच्चारण संदर्भ प्रदान करती है।
हिंदी व्यंजन की मात्रा (Hindi Vyanjan Ki Matra)
हिंदी व्यंजनों की अपनी कोई मात्रा नहीं होती है। हिंदी व्यंजनों की वाक्य या शब्दों में जब स्वरों की मात्राएँ जुड़ती हैं, तो वे व्यंजन वर्ण की मात्राएँ बन जाती हैं। इससे व्यंजन वर्णों की उच्चारण प्रक्रिया बदल जाती है और शब्दों का अर्थ परिवर्तित हो सकता है। स्वरों के संयोजन से अलग-अलग विभिन्न शब्द और अर्थों को प्रकट करने में व्यंजन वर्णों का महत्वपूर्ण योगदान होता है।
वर्णों का उच्चारण
हिंदी भाषा में वर्णों का उच्चारण मुख के विभिन्न भागों के स्पर्श स्थान के आधार पर श्रेणियों में विभाजित किया जाता है। निम्नलिखित हैं हिंदी वर्णों की उच्चारण श्रेणियाँ:
- कंठय (Velar): कंठ (throat) और निचली जीभ के स्पर्श से बोले जाने वाले वर्ण हैं। उदाहरण: अ, आ, क, ख, ग, ह, विसर्ग (अश्वस्थान)
- तालव्य (Palatal): तालु (palate) और जीभ के स्पर्श से बोले जाने वाले वर्ण हैं। उदाहरण: इ, ई, च, छ, ज, य, श
- मूर्द्धन्य (Cerebral): मूर्द्धा (cerebrum) और जीभ के स्पर्श से बोले जाने वाले वर्ण हैं। उदाहरण: ऋ, ट, ठ, र, ष
- दंत्य (Dental): दाँत (teeth) और जीभ के स्पर्श से बोले जाने वाले वर्ण हैं। उदाहरण: त, थ, द, ध, ल, स
- ओष्ठ्य (Labial): दोनों ओठों (lips) के स्पर्श से बोले जाने वाले वर्ण हैं। उदाहरण: उ, ऊ, प, फ
- कंठतालव्य (Velopalatal): कंठ (throat) और तालु (palate) जीभ के स्पर्श से बोले जाने वाले वर्ण हैं। उदाहरण: ए, ऐ
- कंठोष्ठ्य (Velolabial): कंठ (throat) और ओठों (lips) के कुछ स्पर्श से बोले जाने वाले वर्ण हैं। उदाहरण: ओ, औ
- दंतोष्ठ्य (Dentolabial): दाँत (teeth) से जीभ और ओठों (lips) के कुछ योग से बोले जाने वाला वर्ण हैं। उदाहरण: व
इन उच्चारण-स्थानों के अनुसार, हिंदी में सभी वर्ण उच्चारित होते हैं। यह वर्णों के व्याकरणिक अंश को समझने में मदद करता है और सही उच्चारण के साथ शब्दों का उचित उपयोग सुनिश्चित करता है।
vyanjan ke kitne bhed hote hain ( व्यंजन के भेद ):-
(1) स्पर्श
(2) अंत स्थ
(3) ऊष्म
(4) संयुक्त व्यंजन
1-स्पर्श व्यंजन-
ये कंठ, तालु, मूर्द्धा, दंत और ओष्ठ स्थानों के स्पर्श से बोले जाते हैं। इसी से इन्हें स्पर्श व्यंजन कहते हैं। इन्हें हम ‘वर्गीय व्यंजन’ भी कहते हैं, क्योंकि ये उच्चारण-स्थान की अलग-अलग एकता लिए हुए वर्गों में विभक्त है। इस जाति के पाँच-पाँच व्यंजनों के पाँच वर्ग बना लिए गए हैं। उदाहरणार्थ-
वर्ग | व्यंजन | स्पर्श स्थान |
---|---|---|
क वर्ग | क, ख, ग, घ, ङ | यह व्यंजन कण्ठ का स्पर्श करते है। |
च वर्ग | च, छ, ज, झ, ञ | यह व्यंजन तालु का स्पर्श करते है। |
ट वर्ग | ट, ठ, ड, ढ, ण (ड़, ढ़) | यह व्यंजन मूर्धा का स्पर्श करते है। |
त वर्ग | त, थ, द, ध, न | यह व्यंजन दांतों का स्पर्श करते है। |
प वर्ग | प, फ, ब, भ, म | यह व्यंजन होंठों का स्पर्श करते है। |
‘क’ से विसर्ग (:) तक सभी वर्ण व्यंजन कहलाते है। प्रत्येक व्यंजन के उच्चारण में ‘अ’ की ध्वनि छुपी होती है। ‘अ’ के बिना व्यंजन का उच्चारण असम्भव है। जिसके कुछ उदाहरण निम्न प्रकार से है:-
ख् + अ = ख |
प् + अ = प |
2-अंत:स्थ व्यंजन –
अंत:स्थ व्यंजन चार हैं-य, र, ल, व। इनका उच्चारण जीभ, तालु, दाँत और ओठों के परस्पर सटाने से होता है, किंतु कहीं भी पूर्ण स्पर्श नहीं होता। अतः, ये चारों अंतस्थ व्यंजन ‘अर्द्धस्वर’ कहलाते हैं।
य | र |
ल | व |
अन्तः = मध्य/बीच |
स्थ = स्थित |
3- ऊष्म व्यंजन-
ऊष्म व्यंजनों का उच्चारण एक प्रकार की रगड़ या घर्षण से उत्पन्न ऊष्म वायु से होता है। ये चार हैं- श, ष, स, ह।
श | ष |
स | ह |
उच्चारण के अंगों के आधार पर व्यंजनों को विभिन्न वर्गों में विभक्त किया गया है, जो कि निम्न प्रकार से है:-
उच्चारण के अंग | व्यंजन |
---|---|
कंठ्य (गले से) | क, ख, ग, घ, ङ |
तालव्य (कठोर तालु से) | च, छ, ज, झ, ञ, य, श |
मूर्धन्य (कठोर तालु के अगले भाग से) | ट, ठ, ड, ढ, ण, ड़, ढ़, ष |
दंत्य (दाँतों से) | त, थ, द, ध, न |
वर्त्सय (दाँतों के मूल से) | स, ज, र, ल |
ओष्ठय (दोनों होंठों से) | प, फ, ब, भ, म |
दंतौष्ठय (निचले होंठ व ऊपरी दाँतों से) | व, फ |
स्वर यंत्र से | ह |
4. संयुक्त व्यंजन
जब एक स्वर रहित व्यंजन अन्य स्वर सहित व्यंजन से मिलता है, तो उसे संयुक्त व्यंजन कहते है। अन्य शब्दों में, जो व्यंजन दो या दो से अधिक व्यंजनों के मिलकर बनते है, संयुक्त व्यंजन कहलाते है। संयुक्त व्यंजनों की कुल संख्या 4 होती है, जो कि निम्नलिखित है:-
क्ष | त्र |
ज्ञ | श्र |
क् + ष + अ = क्ष | रक्षक, भक्षक ,क्षोभ, क्षय |
त् + र् + अ = त्र | पत्रिका, त्राण, सर्वत्र, त्रिकोण |
ज् + ञ + अ = ज्ञ | सर्वज्ञ, ज्ञाता, विज्ञान, विज्ञापन |
श् + र् + अ = श्र | श्रीमती, श्रम, परिश्रम, श्रवण |
व्यंजन (Vyanjan) किसे कहते है?
व्यंजन एक व्याकरणिक शब्द है जो हिंदी भाषा की वर्णमाला में प्रयुक्त होता है। हिंदी वर्णमाला में व्यंजन वर्ण एक ऐसे वर्ण को कहते हैं जिसमें कोई स्वर (अ) नहीं होता है, और ये वर्ण ध्वनित होते हैं जिनमें विशेष ध्वनि के साथ व्यक्ति किया जाता है। हिंदी में कुल 39 व्यंजन होते हैं, जिनमें से 33 व्यंजन अकेले होते हैं और बाकी 4 संयुक्त व्यंजन होते हैं जो दो या दो से अधिक व्यंजनों के संयोजन से बनते हैं।
व्यंजन वर्ण भारतीय भाषाओं में आमतौर पर कई भाषाओं के लिए महत्वपूर्ण होते हैं, क्योंकि इन्हें स्वरों के साथ मिलाकर शब्दों और भाषा के निर्माण में उपयोग किया जाता है।
sanyukt vyanjan kise kahate hain
संयुक्त व्यंजन:दो या दो से अधिक व्यंजनों के मेल से बने होते हैं। चार प्रकार के संयुक्त व्यंजन है-क्ष(क्+ष),त्र(त्+र),ज्ञ(ज्+ञ),श्र(श्+र)। उदहारण:मोक्ष,ज्ञान,त्रिलोचन,श्रम आदि।
vyanjan kitne prakar ke hote hain
संयुक्त व्यंजन चार प्रकार के होते है-क्ष(क्+ष),त्र(त्+र),ज्ञ(ज्+ञ),श्र(श्+र)। उदहारण:मोक्ष,ज्ञान,त्रिलोचन,श्रम आदि।
sparsh vyanjan kitne hote hain
स्पर्श व्यंजन (Sparsh Vyanjan) हिंदी वर्णमाला में एक वर्ण का भेद है जो उच्चारण में व्यंजन के उच्चारण के समय जीभ को किसी न किसी विशेष स्थान पर आगे करके बनाया जाता है। इसमें व्यंजन को जीभ के छुआव से उच्चारित किया जाता है। स्पर्श व्यंजन का उच्चारण तभी संभव होता है जब जीभ को विशेष स्थान पर टटोला जाता है या उस स्थान से टकराया जाता है। हिंदी वर्णमाला में निम्नलिखित स्पर्श व्यंजन होते हैं:
क (ka) – वर्गीकरण: उच्च ध्वनियों (पालटल)
ख (kha) – वर्गीकरण: उच्च ध्वनियों (पालटल)
ग (ga) – वर्गीकरण: उच्च ध्वनियों (पालटल)
घ (gha) – वर्गीकरण: उच्च ध्वनियों (पालटल)
च (cha) – वर्गीकरण: उच्च ध्वनियों (पालटल)
छ (chha) – वर्गीकरण: उच्च ध्वनियों (पालटल)
ज (ja) – वर्गीकरण: उच्च ध्वनियों (पालटल)
झ (jha) – वर्गीकरण: उच्च ध्वनियों (पालटल)
ट (ṭa) – वर्गीकरण: मध्य ध्वनियों (रेट्रोफ्लेक्स)
ठ (ṭha) – वर्गीकरण: मध्य ध्वनियों (रेट्रोफ्लेक्स)
ड (ḍa) – वर्गीकरण: मध्य ध्वनियों (रेट्रोफ्लेक्स)
ढ (ḍha) – वर्गीकरण: मध्य ध्वनियों (रेट्रोफ्लेक्स)
त (ta) – वर्गीकरण: वेलर (नीचे ध्वनियों)
थ (tha) – वर्गीकरण: वेलर (नीचे ध्वनियों)
द (da) – वर्गीकरण: वेलर (नीचे ध्वनियों)
ध (dha) – वर्गीकरण: वेलर (नीचे ध्वनियों)
प (pa) – वर्गीकरण: ऊपरी ध्वनियों (लैबियल)
फ (pha) – वर्गीकरण: ऊपरी ध्वनियों (लैबियल)
ब (ba) – वर्गीकरण: ऊपरी ध्वनियों (लैबियल)
भ (bha) – वर्गीकरण: ऊपरी ध्वनियों (लैबियल)
म (ma) – वर्गीकरण: अनुस्वारी (नासल)
न (na) – वर्गीकरण: अनुस्वारी (नासल)
ङ (nga) – वर्गीकरण: अनुस्वारी (नासल)
ण (ṇa) – वर्गीकरण: अनुस्वारी (नासल)
य (ya) – वर्गीकरण: अवैयर्वर्ती (एप्रोक्सिमेंट)
र (ra) – वर्गीकरण: अवैयर्वर्ती (एप्रोक्सिमेंट)
ल (la) – वर्गीकरण: अवैयर्वर्ती (एप्रोक्सिमेंट)
व (va) – वर्गीकरण: अवैयर्वर्ती (एप्रोक्सिमेंट)
श (sha) – वर्गीकरण: स्पष्टवाचक (फ्रिकेटिव)
ष (ṣa) – वर्गीकरण: स्पष्टवाचक (फ्रिकेटिव)
स (sa) – वर्गीकरण: स्पष्टवाचक (फ्रिकेटिव)
ह (ha) – वर्गीकरण: स्पष्टवाचक (फ्रिकेटिव)
क्ष (kṣa) – संयुक्त व्यंजन: क और ष (स्पष्टवाचक + अवैयर्वर्ती)
त्र (tra) – संयुक्त व्यंजन: त और र (विकर्णी + अवैयर्वर्ती)
ज्ञ (jña) – संयुक्त व्यंजन: ज और ञ (विकर्णी + अनुस्वारी)
श्र (śra) – संयुक्त व्यंजन: श और र (स्पष्टवाचक + अवैयर्वर्ती)
यह थे हिंदी वर्णमाला में स्पर्श व्यंजनों के उदाहरण। स्पर्श व्यंजन के उच्चारण के लिए जीभ के छुआव का सही उपयोग करना शब्दों के सही अर्थ को बनाने में महत्वपूर्ण होता है।
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जब दो व्यंजन आपस में मिलकर नये व्यंजन बनाते हैं तो उसे संयुक्त व्यंजन कहते हैं। उदाहरण के लिए, क्+ श्= क्ष क्ष संयुक्त व्यंजन है। संयुक्त व्यंजन:दो या दो से अधिक व्यंजनों के मेल से बने होते हैं। चार प्रकार के संयुक्त व्यंजन है-क्ष(क्+ष),त्र(त्+र),ज्ञ(ज्+ञ),श्र(श्+र)। उदहारण:मोक्ष,ज्ञान,त्रिलोचन,श्रम आदि।
Vyanjan kitne hote hain ( व्यंजन कितने होते हैं ? )
हिंदी वर्णमाला में 33 व्यंजन (33 Vyanjan in Hindi) होते हैं। इसके अलावा चार संयुक्त व्यंजन होते हैं। अतः हिंदी में कुल व्यंजनों की संख्या 39 होती है।
वर्णों का उच्चारण स्थान कौन सा है?
वर्णों के उच्चारण स्थान मूलरूप से कुल सात (7) होते हैं- कंठ, तालु, मूर्धा, दंत, ओष्ठ, नासिका, और जीव्हामूल।
What is vyanjan in Hindi examples?
वह वर्ण जो स्वर की सहायता से उच्चारण किये जाते हैं Vyanjan ( व्यंजन ) कहलाते हैं। क से लेके ज्ञ तक के वर्णो को भी व्यंजन कहा जाता हैं। दूसरे शब्दो मे- जिन वर्णों का उच्चारण करते समय साँस कण्ठ, तालु आदि स्थानों से रुककर निकलती है, उन्हें ‘व्यंजन’ कहा जाता है।
व्हाट इस वंजन इन हिंदी उदहारण?
वह वर्ण जो स्वर की सहायता से उच्चारण किये जाते हैं Vyanjan ( व्यंजन ) कहलाते हैं। क से लेके ज्ञ तक के वर्णो को भी व्यंजन कहा जाता हैं।
hindi vyanjan
व्यंजन – क ख ग घ ङ च छ ज झ ञ ट ठ ड ढ ण त थ द ध न प फ ब भ म य र ल व श ष स ह (क़ ख़ ग़ ज़ ड़ ढ़ फ़ श़ )
संयुक्त व्यंजन– क्ष त्र ज्ञ श्र
swar vyanjan | hindi swar and vyanjan
स्वर – अ आ इ ई उ ऊ ऋ ए ऐ ओ औ ऑ
अनुस्वार – अं
विसर्ग – अ:
व्यंजन – क ख ग घ ङ च छ ज झ ञ ट ठ ड ढ ण त थ द ध न प फ ब भ म य र ल व श ष स ह (क़ ख़ ग़ ज़ ड़ ढ़ फ़ श़ )
संयुक्त व्यंजन– क्ष त्र ज्ञ श्र
sanyukt vyanjan संयुक्त व्यंजन का अर्थ क्या है?
जब दो व्यंजन आपस में मिलकर नये व्यंजन बनाते हैं तो उसे संयुक्त व्यंजन कहते हैं। उदाहरण के लिए, क्+ श्= क्ष क्ष संयुक्त व्यंजन है
vyanjan hindi
वह वर्ण जो स्वर की सहायता से उच्चारण किये जाते हैं Vyanjan ( व्यंजन ) कहलाते हैं। क से लेके ज्ञ तक के वर्णो को भी व्यंजन (Vyanjan in Hindi)कहा जाता हैं।
swar vyanjan in hindi
स्वर – अ आ इ ई उ ऊ ऋ ए ऐ ओ औ ऑ
अनुस्वार – अं
विसर्ग – अ:
व्यंजन – क ख ग घ ङ च छ ज झ ञ ट ठ ड ढ ण त थ द ध न प फ ब भ म य र ल व श ष स ह (क़ ख़ ग़ ज़ ड़ ढ़ फ़ श़ )
संयुक्त व्यंजन– क्ष त्र ज्ञ श्र
vyanjan kise kahate hain
आम भाषा में क से गया ज्ञ तक के वर्णों को व्यंजन कहते हैं।
sanyukt vyanjan in hindi
जब दो व्यंजन आपस में मिलकर नये व्यंजन बनाते हैं तो उसे संयुक्त व्यंजन कहते हैं। उदाहरण के लिए, क्+ श्= क्ष क्ष संयुक्त व्यंजन है