महत्तम समापवर्तक
(Highest Common Factor)
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Highest Common Factor | महत्तम समापवर्तक | HCF And LCM Question in Hindi |महत्तम समापवर्तक भाग विधि
LCM and HCF in Hindi
ल स और म स पर आधारित प्रश्न
Lcm and hcf short tricks
अपवर्तक (Factor or Divisor)
यदि कोई संख्या किसी दूसरी संख्या को पूरी-पूरी विभाजित कर दे तो विभाजित करने वाली संख्या को विभाजित होने वाली संख्या का अपवर्तक कहते हैं। दूसरे शब्दो में जो-जो संख्याएं किसी दी हुई संख्या को पूरी-पूरी विभाजित कर देती हैं तो उन्हें दी हुई संख्या का अपवर्तक कहते हैं। जैसे एक दी हुई संख्या 18 को क्रमशः 1, 2, 3, 6, 9 तथा 18 पूरी-पूरी विभाजित कर देते हैं अतः 1, 2, 3, 6, 9 तथा 18 को 18 का अपवर्तक कहेंगे। इसी प्रकार 24 के अपवर्तक होंगे-1, 2, 3, 4, 6, 8, 12 तथा 24।
समापवर्तक (Common Factor or Common Divisor )
यदि कोई संख्या किन्हीं दो या दो से अधिक संख्याओं को विभाजित करती है तो विभाजक संख्या को विभाज्य संख्याओं का समापवर्तक कहते हैं। दूसरे शब्दों में जो-
जो संख्याएं किन्हीं दो या दो से अधिक संख्याओं को विभाजित करती हैं उन विभाजक संख्याओं को विभाज्य संख्याओं का समापवर्तक कहते हैं। जैसे 12 तथा 18 दी हुई संख्याओं को 1, 2, 3, 6 पूरा-पूरा विभाजित करते हैं अतः 1, 2,3,
6 को 12 तथा 18 का समापवर्तक कहेंगे। इसी प्रकार 16, 24 तथा 32 के समापवर्तक हैं-1,2,4, 8।
महत्तम समापवर्तक (Highest Common Factor or Greatest Common Divisor)
वह बड़ी से बड़ी संख्या जो दी हुई दो या दो से अधिक संख्याओं को पूरा-पूरा विभाजित कर दे, दी हुई संख्याओं की म०स० कहलाती है। दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि दी हुई संख्याओं को विभाजित करने वाली संख्याओं में जो सबसे बड़ी होती है उसे म०स० कहते हैं। अर्थात् समापवर्तकों में जो सबसे बड़ा होता है वही म०स० होता है जैसे 12 तथा 18 के समापवर्तक 1,2, 3, 6 हैं अतः 12 तथा 18 का म०स० 6 होगा। इसी प्रकार 16, 24 तथा 32 के
समापवर्तक 1, 2, 4, 8 हैं अतः 16, 24 तथा 32 का म०स० 8 है।
महत्तम समापवर्तक ज्ञात करने की विधि
गुणनखण्ड विधि (Factor Method)
इस विधि में सर्वप्रथम दी हुई संख्याओं का बारी-बारी से अभाज्य गुणनखण्ड करते हैं तत्पश्चात् सर्वनिष्ठ गुणनखण्डों
(Common Factors) का आपस में गुणा करते हैं। इस प्रकार जो गुणनफल प्राप्त होता है वही म० स० होता है।
जैसे 24, 32, 40 का म०स० ज्ञात करना-
24 2x 2×2 x 3
32 =2 x 2x 2 x 2 x 2
40 2 x 2 x 2 × 5
म०स० = सर्वनिष्ठ गुणनखण्डों का गुणनफल %3 2 x 2x 2=8
भाग की प्रथम विधि (Division Method-I)
इस विधि में दी हुई संख्याओं को क्रमशः एक पंक्ति में लिखकर बारी-बारी से उन-उन संख्याओं से भाग देते हैं जिनसे
दी हुई सभी संख्याएं एक साथ विभाजित हों। इन भाजकों को बायें तरफ लिखते हैं। अन्त में इन भाजकों का आपस में गुणा
करते हैं। इससे जो गुणनफल प्राप्त होता है, वही अभीष्ट म० स० होता है जैसे-24, 32, 40 का म०स० ज्ञात करना-
2 | 24, 32, 40
2 | 12, 16, 20
2 | 6, 8, 10
| 3, 4, 5
अतः म०स० = 2 x 2x 2 = 8
भाग की द्वितीय विधि (Division Method-II)
इस विधि का प्रयोग तब करना चाहिए जब उपर्युक्त दोनों विधियों का प्रयोग आसानी से न हो सके के
संख्याओं का म०स० ज्ञात करना हो तो छोटी संख्या से बड़ी संख्या में भाग देते हैं। इस भाग में जो क
होता है उससे भाजक में भाग देते हैं। इससे जो शेष प्राप्त होता है उससे दूसरे भाजक में भाग देते हैं ान
क्रिया तब तक करते हैं, जब तक शेष शून्य प्राप्त हो जाये। इस प्रकार अन्तिम भाजक ही अभीघ म०
है। यदि तीन संख्याओं का म०स० ज्ञात करना हो तो सर्वप्रथम किन्हीं दो का उपय्युक्त विधि से स०य नार
करके इस म०स० और तीसरी संख्या का इसी विधि से म०स० ज्ञात करते हैं इससे जो म०म० प्रात के सात
वही तीनों संख्याओं का अभीष्ट म०स० होता है। जैसे
- 923 तथा 949 का म०स ० ज्ञात करना
923) 949 (1
923 - 26) 923 (35
78
143
130
13) 26
26
00
923 तथा 949 का म०स० = अन्तिम भाजक = 13 - 168, 189 तथा 231 का म० स० ज्ञात करना-
168 189
168
21) 168 (8
168
000
अतः 168 तथा 189 का म०स० = 21
अब 21 तथा 231 के म०स० के लिए-
21) 231
21
21
21
21 तथा 231 का म०स० = 21
अंतः दी हुई तीनों संख्याओं 168, 189 तथा 231 का म०स० = 21