राष्ट्रीय बालिका दिवस Rashtriya balika diwas (National Girl Child Day) 24 जनवरी को मनाया जाता है। 24 जनवरी के दिन इंदिरा गांधी को नारी शक्ति के रूप में याद किया जाता है। इस दिन इंदिरा गांधी पहली बार प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठी थी इसलिए इस दिन को राष्ट्रीय बालिका दिवस Rashtriya balika diwas के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया है। यह निर्णय राष्ट्रीय स्तर पर लिया गया है। आज की बालिका जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में आगे बढ़ रही है चाहे वो क्षेत्र खेल हो या राजनीति, घर हो या उद्योग। राष्ट्रमण्डल खेलों के गोल्ड मैडल हो या मुख्यमंत्री और राष्ट्रपति के पद पर आसीन होकर देश सेवा करने का काम हो सभी क्षेत्रों में लड़कियाँ समान रूप से भागीदारी ले रही है।

उद्देश्य राष्ट्रिय बालिका दिवस -Rashtriya balika diwas in hindi

  • देश में लड़कियों द्वारा सामना की जाने वाली सभी असमानताओं के बारे में लोगों में जागरूकता फैलाना।
  • बालिकाओं के अधिकारों के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देना।
  • बालिका शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण के महत्व पर जागरूकता बढ़ाना।

राष्ट्रीय बालिका दिवस किसकी याद में मनाया जाता है?भारत में हर साल 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस (National Girl Child Day) मनाया जाता है। इस दिन देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को नारी शक्ति के रूप में याद किया जाता है। इसी दिन पहली बार इंदिरा गांधी ने प्रधानमंत्री के रूप में कार्यभार संभाला था।

इस दिन का मुख्य उद्देश्य लोगों में बालिकाओं/लड़कियों द्वारा सामना की जाने वाली सभी असमानताओं के बारे में जागरूकता फैलाना, उनकी अच्छी शिक्षा, अच्छे स्वास्थ्य को लेकर लोगों को जागरूक करना और उनके अधिकारों के बारे में जागरूकता को बढ़ाना इन खास बातों को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया  जाता है। भारत में जहां प्रतिवर्ष 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है वहीं 11 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस (International Day of the Girl Child) के रूप में मनाया जाता है।राष्ट्रिय बालिका दिवस -25 January Rashtriya balika diwas

राष्ट्रिय बालिका दिवस -Rashtriya balika diwas मनाने का कारण

आज बालिका हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही है लेकिन आज भी वह अनेक कुरीतियों का शिकार हैं। ये कुरीतियों उसके आगे बढ़ने में बाधाएँ उत्पन्न करती है। पढ़े-लिखे लोग और जागरूक समाज भी इस समस्या से अछूता नहीं है। आज हज़ारों लड़कियों को जन्म लेने से पहले ही मार दिया जाता है या जन्म लेते ही लावारिस छोड़ दिया जाता है। आज भी समाज में कई घर ऐसे हैं, जहाँ बेटियों को बेटों की तरह अच्छा खाना और अच्छी शिक्षा नहीं दी जा रही है। भारत में 20 से 24 साल की शादीशुदा औरतों में से 44.5 प्रतिशत (क़रीब आधी) औरतें ऐसी हैं, जिनकी शादियाँ 18 साल के पहले हुईं हैं। इन 20 से 24 साल की शादीशुदा औरतों में से 22 प्रतिशत (क़रीब एक चौथाई) औरतें ऐसी हैं, जो 18 साल के पहले माँ बनी हैं। इन कम उम्र की लड़कियों से 73 प्रतिशत (सबसे ज़्यादा) बच्चे पैदा हुए हैं। इन बच्चों में 67 प्रतिशत (दो-तिहाई) कुपोषण के शिकार हैं।

वृद्धि दर में गिरावट

1991 की जनगणना से 2001 की जनगणना तक, हिन्दू और मुसलमानों दोनों की ही जनसंख्या वृद्धि दर में गिरावट आई है। 2001 की जनगणना का यह तथ्य सबसे ज़्यादा हैरान करता है कि 0 से 6 साल के बच्चों के लिंग अनुपात में भी भारी गिरावट आई है। यहाँ कुल लिंग अनुपात में 8 के अंतर के मुक़ाबले बच्चों के लिंग अनुपात में अब 24 का अंतर दर्ज है। यह उनके स्वास्थ्य और जीवन-स्तर में गिरावट का अनुपात भी है। यह अंतर भयावह भविष्य की ओर भी इशारा करता है। एशिया महाद्वीप में भारत की महिला साक्षरता दर सबसे कम है। गौरतलब है कि ‘नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रंस राइट्स’ यानी एनसीपीसीआर की एक रिपोर्ट में बताया गया था कि भारत में 6 से 14 साल तक की ज़्यादातर लड़कियों को हर दिन औसतन 8 घंटे से भी ज़्यादा समय केवल अपने घर के छोटे बच्चों को संभालने में बिताना पड़ता है। इसी तरह, सरकारी आँकड़ों में दर्शाया गया है कि 6 से 10 साल की जहाँ 25 प्रतिशत लड़कियों को स्कूल छोड़ना पड़ता है, वहीं 10 से 13 साल की 50 प्रतिशत (ठीक दोगुनी) से भी ज़्यादा लड़कियों को स्कूल छोड़ना पड़ता है। 2008 के एक सरकारी सर्वेक्षण में 42 प्रतिशत लड़कियों ने यह बताया कि वे स्कूल इसलिए छोड़ देती हैं, क्योंकि उनके माता-पिता उन्हें घर संभालने और अपने छोटे भाई-बहनों की देखभाल करने को कहते हैं। लोगों को इसके दुष्परिणामों के प्रति आगाह करने और लड़कियों को बचाने के लिए 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है।

बाधाएँ

लड़कियों के आगे न बढ़ने के कारण यह भी है कि अक्सर घरों में कहा जाता है कि अगर लड़की है, तो उन्हें घर संभालने और अपने छोटे भाई-बहनों की देखभाल करने की अधिक ज़रूरत है। इस प्रकार की बातें उसके सुधार की राह में बाधाएँ बनती हैं। इन्हीं सब स्थितियों और भेदभावों को मिटाने के मक़सद से ‘बालिका दिवस’ मनाने पर ज़ोर दिया जा रहा है। इसे बालिकाओं की अपनी पहचान न उभर पाने के पीछे छिपे असली कारणों को सामने लाने के रूप में मनाने की जरुरत है, जो सामाजिक धारणा को समझने के साथ-साथ बालिकाओं को बहन, बेटी, पत्नी या माँ के दायरों से बाहर निकालने और उन्हें सामाजिक भागीदारी के लिए प्रोत्साहित करने में मदद के तौर पर जाना जाए।

भेदभाव

समाज में आज भी बालक और बालिकाओं में भेदभाव किया जा रहा है। यही कारण है कि बालिकाओं को जन्म लेने से पहले (भ्रूण) ही खत्म करवाया जा रहा है। सभी को मिलकर इस कुरीति को मिटाना है। बाल विवाह, भ्रूण हत्या, शिशु मृत्यु दर रोके जाने, स्तनपान कराने, नियमित टीकाकरण, दहेज प्रथा एवं अन्य सामाजिक ज्वलंत विषयों में सुधार लाना चाहिए।

अनुपात

कन्या भ्रूण हत्या की वजह से लड़कियों के अनुपात में काफ़ी कमी आयी है। पूरे देश में लिंगानुपात 933:1000 है।

गर्ल्स डे क्यों महत्वपूर्ण है? राष्ट्रिय बालिका दिवस -Rashtriya balika diwas लड़कियों का दिन न केवल लड़कियों के सामने आने वाले मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने में मदद करता है, बल्कि उन समस्याओं के हल होने पर क्या होने की संभावना है । उदाहरण के लिए, लड़कियों को शिक्षित करने से बाल विवाह, बीमारी की दर को कम करने में मदद मिलती है और लड़कियों को उच्च भुगतान वाली नौकरियों तक पहुँचने में मदद करके अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में मदद मिलती है।

आत्मनिर्भरता

बालिकाओं की सेहत, पोषण व पढ़ाई जैसी चीज़ों पर ध्यान दिए जाने की ज़रूरत है ताकि बड़ी होकर वे शारीरिक, आर्थिक, मानसिक व भावनात्मक रूप से आत्मनिर्भर व सक्षम बन सकें। बालिकाओं को घरेलू हिंसा, बाल विवाह व दहेज जैसी चीज़ों के बारे में सचेत करना चाहिए। उन्हें अपने अधिकारों के प्रति भी जागरूक बनाया जाना चाहिए। किशोरियों व बालिकाओं के कल्याण के लिए सरकार ने ‘समग्र बाल विकास सेवा’, ‘धनलक्ष्मी’ जैसी योजनाएँ चलाई हैं। हाल ही में लागू हुई ‘सबला योजना’ किशोरियों के सशक्तीकरण के लिए समर्पित है। इन सबका उद्देश्य लड़कियों, ख़ासकर किशोरियों को सशक्त बनाना है ताकि वे आगे चलकर एक बेहतर समाज के निर्माण में योगदान दे सकें।

राष्ट्रिय बालिका दिवस -Rashtriya balika diwas

हम अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस क्यों मनाते हैं?विस्तार International Girl Child Day 2022: दुनियाभर में बालिकाओं की हिस्सेदारी बढ़ाने, उसके सेहतमंद जीवन से लेकर शिक्षा और करियर के लिए मार्ग बनाने के उद्देश्य से हर साल 11 अक्तूबर को अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है। इस दिन महिलाओं को उनके अधिकारों और महिला सशक्तिकरण के प्रति जागरूक किया जाता है।राष्ट्रिय बालिका दिवस -Rashtriya balika diwas

राष्ट्रीय बालिका दिवस की थीम क्या है?

National Girl Child Day 2023 Theme In Hindi | राष्ट्रीय बालिका दिवस थीम 2023. साल 2021 में राष्ट्रीय बालिका दिवस डिजिटल पीढ़ी, हमारी पीढ़ी (Digital Generation, Our generation) की थीम पर मनाया गया। साल 2019 में इसकी थीम एक उज्जवल कल के लिए लड़कियों का सशक्तीकरण थी।

राष्ट्रीय बालिका दिवस को इंग्लिश में क्या कहते हैं?

राष्ट्रीय बालिका दिवस (अंग्रेज़ी:National Girl Child Day) 24 जनवरी को मनाया जाता है।

राष्ट्रिय बालिका दिवस -25 January Rashtriya balika diwas in hindi

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