Vedic Maths in Hindi-वैदिक गणित के 16 सूत्र भारतीय गणितीय परंपरा का महत्वपूर्ण हिस्सा, अगर हम वैदिक गणित की परिभाषा को समझे तो ,  वैदिक गणित mathematics calculation करने की ऐसी पद्धति है, जिससे जटिल अंकगणितीय गणनाएं को सरल, आसान और कम समय में हल (solve) किया जा सकता है|

Vedic Maths in Hindi-वैदिक गणित के 16 सूत्र

गणित एक विज्ञान है जो हमारे दैनिक जीवन में व्यापक रूप से उपयोग होता है। गणितीय तत्वों और नियमों का अध्ययन हमें संख्याओं को बेहतरीन ढंग से समझने और उनके बीच संबंध बनाने की क्षमता प्रदान करता है। भारतीय संस्कृति में गणितीय परंपरा विशेष महत्व रखती है, और इसका एक महत्वपूर्ण हिस्सा है ‘वैदिक गणित’। वैदिक गणित एक प्राचीन भारतीय गणितीय पद्धति है जिसे भारतीय गणित की महत्वपूर्ण परंपराओं में से एक माना जाता है।

वैदिक गणित का मूल उद्देश्य संख्याओं के बीच गणना करने की सरलता और तेजी सुनिश्चित करना है। इसकी विशेषता यह है कि इसमें गणितीय सूत्रों और नियमों का उपयोग किया जाता है जो गणितीय कार्यों को सरल और सहज बनाते हैं। वैदिक गणित में सोलह मूल सूत्र हैं, जिन्हें स्वामी भारती कृष्ण तीर्थ द्वारा वर्ष 1965 में विरचित किया गया था। इन सूत्रों के माध्यम से, वैदिक गणित बच्चों से लेकर वयस्कों तक के लोगों द्वारा समझा और अपनाया जा सकता है।

Vedic Maths in Hindi-वैदिक गणित के 16 सूत्र

वैदिक गणित के सूत्रों में एकाधिकेन पूर्वेण, निखिलं नवतश्चरमं दशतः, ऊर्ध्वतिर्यग्भ्याम्, परावर्त्य योजयेत्, शून्यं साम्यसमुच्चये, (आनुरूप्ये) शून्यमन्यत्, संकलनव्यवकलनाभ्याम्, पूरणापूरणाभ्याम्, चलनकलनाभ्याम्, यावदूनम्, व्यष्टिसमष्टिः, शेषाण्यंकेन चरमेण, सोपान्त्यद्वयमन्त्च्यम्, एकन्यूनेन पूर्वेण, गुणितसमुच्चयः, और गुणकसमुच्चयः शामिल हैं। इन सूत्रों का उपयोग करके हम विभिन्न गणितीय प्रश्नों को हल कर सकते हैं, जैसे गुणा, भाग, योग, व्यवकलन, और अन्य गणितीय कार्यों को संपादित करना।

वैदिक गणित का उद्देश्य न केवल गणितीय ज्ञान को बढ़ाना है, बल्कि इसका अभ्यास करने से हमारी मानसिक गतिविधियों को भी स्पष्टता और तेजी मिलती है। वैदिक गणित बुद्धि को विकसित करता है, समस्याओं को विचारपूर्वक हल करने की क्षमता प्रदान करता है, और विचारशक्ति को सुदृढ़ करता है।

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इसके साथ ही, वैदिक गणित भारतीय संस्कृति और अध्यात्म के साथ गहरा जुड़ा हुआ है। यह गणितीय पद्धति वेदों और उनके परिशिष्टों में मौजूद विभिन्न सूत्रों और उपनिषदों के आधार पर विकसित की गई है। इसलिए इसे ‘वैदिक गणित’ कहा जाता है। यह गणितीय पद्धति संस्कृति, धर्म, और गणित के बीच एक मिश्रण है, जिससे इसका महत्व और विशेषता बढ़ती है।

वैदिक गणित एक महत्वपूर्ण गणितीय पद्धति है जो हमें संख्याओं को सरलता से गणना करने और समस्याओं को हल करने की क्षमता प्रदान करती है। यह गणितीय पद्धति हमारे बच्चों के बुद्धि का विकास करती है और हमें हमारी पुरानी संस्कृति और गणितीय विरासत की महत्वपूर्णता को याद दिलाती है। इसलिए, हमें वैदिक गणित को समझने, अध्ययन करने, और अपनाने की आवश्यकता है ताकि हम अपनी गणितीय योग्यता में सुधार कर सकें और इसे अपने जीवन में उपयोगी बना सकें।

वैदिक गणित के महत्वपूर्ण सूत्रों की सूची:

  1. एकाधिकेन पूर्वेण
  2. निखिलं नवतश्चरमं दशतः
  3. ऊर्ध्वतिर्यग्भ्याम्
  4. परावर्त्य योजयेत्
  5. शून्यं साम्यसमुच्चये
  6. (आनुरूप्ये) शून्यमन्यत्
  7. संकलनव्यवकलनाभ्याम्
  8. पूरणापूरणाभ्याम्
  9. चलनकलनाभ्याम्
  10. यावदूनम्
  11. व्यष्टिसमष्टिः
  12. शेषाण्यंकेन चरमेण
  13. सोपान्त्यद्वयमन्त्च्यम्
  14. एकन्यूनेन पूर्वेण
  15. गुणितसमुच्चयः
  16. गुणकसमुच्चयः

ये सूत्र वैदिक गणित में प्रयुक्त होते हैं और गणितीय कार्यों को सरल और सहज बनाने में मदद करते हैं। इन सूत्रों का अध्ययन और उनका उपयोग करके हम विभिन्न गणितीय प्रश्नों को हल कर सकते हैं और संख्याओं के बीच गणना करने की क्षमता विकसित कर सकते हैं।

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वैदिक गणित के 16 महत्वपूर्ण सूत्रों का अर्थ

  1. एकाधिकेन पूर्वेण: अर्थ: इस सूत्र के अनुसार, हमें पहले वाले अंक की तुलना में एक अधिक अंक के साथ गणितीय कार्य करना चाहिए। इसे गुणा और भाग दोनों में उपयोग किया जा सकता है। उदाहरण: 9 × 9 = ((9 × 10) + 1) = 81
  2. निखिलं नवतश्चरमं दशतः: अर्थ: इस सूत्र के अनुसार, हमें नव को दस के साथ जोड़ना चाहिए। इसे जोड़ने वाले दो अंकों को आसानी से जोड़कर उत्तर प्राप्त कर सकते हैं। उदाहरण: 8 + 9 = (8 + 10) = 18
  3. ऊर्ध्वतिर्यग्भ्याम्: अर्थ: इस सूत्र के अनुसार, हमें ऊपर और नीचे से आने वाले अंकों को एक साथ गणना करना चाहिए। इसे गुणा करने या विभाजन के दौरान उपयोग किया जा सकता है। उदाहरण: 12 × 11 = (12 + 1) = 132
  4. परावर्त्य योजयेत्: अर्थ: इस सूत्र के अनुसार, हमें प्रतिवर्ती अंकों को जोड़ना चाहिए। इसे दो अंकों की गणना के दौरान उपयोग किया जा सकता है। उदाहरण: 23 + 32 = 55
  5. शून्यं साम्यसमुच्चये: अर्थ: इस सूत्र के अनुसार, हमें शून्य को समता के साथ बढ़ाना चाहिए। यह सूत्र विभिन्न गणितीय आपूर्ति और अभाव समस्याओं के समाधान में उपयोगी होता है। उदाहरण: 105 + 95 = (100 + 5) = 200
  6. (आनुरूप्ये) शून्यमन्यत्: अर्थ: इस सूत्र के अनुसार, हमें आनुरूप्य (समता) के आधार पर शून्य को दूसरे अंक के साथ बदलना चाहिए। उदाहरण: 67 + 53 = (70 + 50) = 120
  7. संकलनव्यवकलनाभ्याम्: अर्थ: इस सूत्र के अनुसार, हमें दो संख्याओं को जोड़ना और घटाना चाहिए। यह सूत्र विभिन्न गणितीय कार्यों के लिए उपयोगी होता है। उदाहरण: 45 + 25 = 70 और 45 – 25 = 20
  8. पूरणापूरणाभ्याम्: अर्थ: इस सूत्र के अनुसार, हमें पूर्णांकों को जोड़ना और घटाना चाहिए। इसे गणितीय प्रक्रिया में उपयोग किया जा सकता है। उदाहरण: 25 + 25 = 50 और 25 – 25 = 0
  9. चलनकलनाभ्याम्: अर्थ: इस सूत्र के अनुसार, हमें गति (चलन) के आधार पर अंकों को जोड़ना और घटाना चाहिए। इसे संख्याओं की सामान्य गणना में उपयोग किया जा सकता है। उदाहरण: 85 + 10 = 95 और 85 – 10 = 75
  10. यावदूनम्: अर्थ: इस सूत्र के अनुसार, हमें जब तक नए अंकों की अपेक्षा न हो जाए, गणितीय कार्य को आगे बढ़ाना चाहिए। उदाहरण: 10, 20, 30, 40, … इत्यादि
  11. व्यष्टिसमष्टिः: अर्थ: इस सूत्र के अनुसार, हमें व्यक्तिगत (अलग-अलग) और समुचित (सभी को एक साथ) को जोड़ना चाहिए। उदाहरण: 5 + 6 + 7 + 8 = 26
  12. शेषाण्यंकेन चरमेण: अर्थ: इस सूत्र के अनुसार, हमें आखिरी (शेष) अंक के साथ कार्य करना चाहिए। उदाहरण: 53 × 4 = (50 × 4) + 12 = 200 + 12 = 212
  13. सोपान्त्यद्वयमन्त्च्यम्: अर्थ: इस सूत्र के अनुसार, हमें दो सोपानों (चरणों) के साथ कार्य करना चाहिए और उत्तरों को जोड़ना चाहिए। उदाहरण: 3 + 4 + 5 = 12
  14. एकन्यूनेन पूर्वेण: अर्थ: इस सूत्र के अनुसार, हमें न्यूनतम (एक कम) के साथ कार्य करना चाहिए। उदाहरण: 100 – 1 = 99
  15. गुणितसमुच्चयः: अर्थ: इस सूत्र के अनुसार, हमें गुणा और योग को साथ में जोड़ना चाहिए। उदाहरण: 13 × 14 = (13 + 1) × (13 + 4) = 14 × 17 = 238
  16. गुणकसमुच्चयः: अर्थ: इस सूत्र के अनुसार, हमें गुणांकों को एक साथ जोड़ना चाहिए। उदाहरण: 4 × 5 = 20

ये 16 सूत्र वैदिक गणित के मूल सूत्र हैं, जिनका उपयोग करके गणितीय कार्यों को सरल और सुलभ बनाया जाता है। इन सूत्रों को ध्यान में रखते हुए हम विभिन्न गणितीय प्रश्नों का आसानी से हल कर सकते हैं और गणितीय विचारशीलता को विकसित कर सकते हैं।

Vedic Maths in Hindi-वैदिक गणित के 16 सूत्र

वैदिक गणितीय सूत्रों की विशेषता और महत्त्व

वैदिक गणितीय सूत्रों की विशेषता और महत्त्व हिंदी में निम्नलिखित हैं:

  1. सरलता और सहजता: वैदिक गणितीय सूत्रों की विशेषता यह है कि वे गणित के विभिन्न पहलुओं में सरलता और सहजता को स्थापित करते हैं। इन सूत्रों का अनुप्रयोग करना आसान होता है और वे गणितीय कार्यों को आसान बनाने में मदद करते हैं।
  2. व्यापकता: वैदिक गणितीय सूत्रों की एक अद्वितीय विशेषता यह है कि वे गणित के सभी क्षेत्रों में लागू हो सकते हैं। इन सूत्रों का उपयोग अंकगणित, बीजगणित, रेखागणित, ज्यामिति, ज्योतिष, लोगारिदमिक्स, आदि जैसे विभिन्न गणितीय क्षेत्रों में किया जा सकता है।
  3. गतिशीलता: वैदिक गणितीय सूत्रों की एक और महत्त्वपूर्ण विशेषता यह है कि वे गतिशील हैं। यानी, इन सूत्रों का उपयोग गणितीय प्रश्नों को तेजी से हल करने में मदद करता है। इन सूत्रों के उपयोग से गणनाएं अत्यंत सरल, आसान और त्वरित बन जाती हैं।
  4. मनोरंजकता: वैदिक गणितीय सूत्रों की एक और विशेषता यह है कि इन्हें सीधे मनोरंजक बनाने के लिए विभिन्न गणितीय ट्रिक्स और खेल शामिल होते हैं। इन सूत्रों का अभ्यास करने से गणित का अध्ययन रोचक और मनोहारी हो जाता है।
  5. साधारणता: वैदिक गणितीय सूत्रों का उपयोग करने से गणितीय कार्यों को साधारण किया जा सकता है। ये सूत्र बहुदिगितीय गणनाओं को साधारित करने और गणित के विभिन्न प्रश्नों को सुलझाने में मदद करते हैं। इससे गणित का समझना और अध्ययन करना आसान हो जाता है।
वैदिक गणितीय सूत्रों की विशेषता और महत्त्व

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वैदिक गणितीय सूत्रों का महत्त्व इसलिए है कि वे हमें एक पुरानी और प्रभावी गणितीय परंपरा से जोड़ते हैं और गणित को अधिक सरल, तेज़ और मनोहारी बनाते हैं। इन सूत्रों का अभ्यास करना छात्रों को गणित के प्रश्नों को समझने और हल करने में सहायता प्रदान करता है और उनकी मानसिक गणना क्षमता को विकसित करता है।

Vedic Maths in Hindi-वैदिक गणित के 16 सूत्र

FAQ

वैदिक गणित से आप क्या समझते हैं?

गणित गणना की ऐसी पद्धति है, जिससे जटिल अंकगणितीय गणनाएं अत्यंत ही सरल, सहज व त्वरित संभव हैं


वैदिक गणित में कितने सूत्र होते हैं?

वैदिक गणित, जगद्गुरू स्वामी भारती कृष्ण तीर्थ द्वारा सन १९६५ में विरचित एक पुस्तक है जिसमें अंकगणितीय गणना की वैकल्पिक एवं संक्षिप्त विधियाँ दी गयीं हैं। इसमें १६ मूल सूत्र दिये गये हैं

वैदिक गणित के सूत्र कौन कौन से हैं?
(16 Sutras of Vedic Ganit with Examples)

वैदिक गणित के महत्वपूर्ण सूत्रों की सूची:
एकाधिकेन पूर्वेण
निखिलं नवतश्चरमं दशतः
ऊर्ध्वतिर्यग्भ्याम्
परावर्त्य योजयेत्
शून्यं साम्यसमुच्चये
(आनुरूप्ये) शून्यमन्यत्
संकलनव्यवकलनाभ्याम्
पूरणापूरणाभ्याम्
चलनकलनाभ्याम्
यावदूनम्
व्यष्टिसमष्टिः
शेषाण्यंकेन चरमेण
सोपान्त्यद्वयमन्त्च्यम्
एकन्यूनेन पूर्वेण
गुणितसमुच्चयः
गुणकसमुच्चयः


वैदिक गणित के जनक कौन है?

वैदिक गणित के जनक और पूरी पीठ के शंकराचार्य पूज्य स्वामी भारती कृष्ण तीर्थ जी महाराज ने गणना को सरल बनाने हेतु 16 सूत्र और 13 उपसूत्र का प्रतिपादन किया।

वैदिक गणित का उद्देश्य क्या है?

वैदिक गणित के सौलह सूत्रों व तेरह उपसूत्रों के द्वारा गणित की सभी प्रकार की समस्याओं को हल किया जा सकता हैं । अतः इसका मुख्य उद्देश्य प्रतियोगी परीक्षाओं की समस्याओं को आसान बनाने में है । वैदिक गणित का उद्देश्य जटिल समस्याओं को सरल से सरल बनाने का है


क्या वैदिक गणित असली है?

वैदिक गणित भारतीय भिक्षु भारती कृष्ण तीर्थ द्वारा लिखित एक पुस्तक है , और पहली बार 1965 में प्रकाशित हुई थी। इसमें गणितीय तकनीकों की एक सूची शामिल है, जिनके बारे में झूठा दावा किया गया था कि वे वेदों से प्राप्त की गई थीं और उनमें उन्नत गणितीय ज्ञान शामिल था।

वैदिक गणित को अंग्रेजी में क्या कहते हैं?

वैदिक गणित (Vedic Mathematics) एक ऐसी विधा है जिसके ज्ञान से गणित के प्रति विद्यार्थियों का भय समाप्त हो जाता है।


किस वेद में गणित है?

वेदों में भी एक (और उसके गणितीय गुण), अंकगणितीय प्रगति और अंकगणित श्रृंखला की अवधारणा देखी जाती है। अथर्ववेद में 1×1 तथा 1/1=1 होने का तथ्य बताया गया है।


वैदिक गणित के पांच नियम क्या हैं?

गणित में प्रतीकों एवं किसी तर्क-भाषा के रचना के नियमों का प्रयोग करते हुए बनाई गई समीकरण को सूत्र (फार्मूला) कहते हैं।” विज्ञान में किसी सूचना या विभिन्न राशियों के बीच गणितीय सम्बन्ध को छोटे रूप में दर्शाने को सूत्र कहते हैं।

वैदिक गणित क्या है (WHAT IS VEDIC MATH IN HINDI)

अगर हम वैदिक गणित की परिभाषा को समझे तो ,  वैदिक गणित mathematics calculation करने की ऐसी पद्धति है, जिससे जटिल अंकगणितीय गणनाएं को सरल, आसान और कम समय में हल (solve) किया जा सकता है|

Vedic Maths in Hindi-वैदिक गणित के 16 सूत्र

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