Bhojan Mantra

Bhojan Mantra भोजन मन्त्र अन्न ग्रहण करने से पहलेविचार मन मे करना हैकिस हेतु से इस शरीर कारक्षण पोषण करना हैहे परमेश्वर एक प्रार्थनानित्य तुम्हारे चरणों मेंलग जाये तन मन धन मेराविश्व धर्म की सेवा में ॥ ब्रह्मार्पणं ब्रह्महविर्ब्रह्माग्नौ ब्रह्मणा हुतम्।ब्रह्मैव तेन गन्तव्यं ब्रह्मकर्म समाधिना।। ॐ सह नाववतु।सह नौ भुनक्तु।सह वीर्यं करवावहै।तेजस्विनावधीतमस्तु।मा विद्‌विषावहै॥ॐ शान्ति: शान्ति:…

इतनी शक्ति हमें दे न दाता

इतनी शक्ति हमें दे न दाता इतनी शक्ति हमें दे न दाता मनका विश्वास कमज़ोर हो ना हम चलें नेक रास्ते पे हमसे भूलकर भी कोई भूल हो ना… दूर अज्ञान के हो अन्धेरे तू हमें ज्ञान की रौशनी दे हर बुराई से बचके रहें हम जितनी भी दे, भली ज़िन्दगी दे बैर हो ना…

वह शक्ति हमें दो दया निधे

वह शक्ति हमें दो दया निधे! वह शक्ति हमें दो दयानिधे,कर्त्तव्य मार्ग पर डट जावें।पर-सेवा पर-उपकार में हम,जग(निज)-जीवन सफल बना जावें॥॥ वह शक्ति हमें दो दयानिधे…॥ हम दीन-दुखी निबलों-विकलों के,सेवक बन संताप हरें।जो हैं अटके, भूले-भटके,उनको तारें खुद तर जावें॥॥ वह शक्ति हमें दो दयानिधे…॥ छल, दंभ-द्वेष, पाखंड-झूठ,अन्याय से निशिदिन दूर रहें।जीवन हो शुद्ध सरल…

क्रिया

क्रिया परिभाषा व भेद क्रिया: जिन शब्दों से किसी कार्य का होना या करना समझा जाए, उन्हें क्रिया कहते हैं। जैसे खाना-पीना, पढ़ना लिखना, चलना, दौड़ना इत्यादि। हिंदी में क्रिया के रूप लिंग, वचन और पुरुष के अनुसार बदलते हैं। क्रिया के मूल रूप को धातु कहते हैं। धातु के आगे ‘ना’ जोड़ने से क्रिया…

विशेषण किसे कहते हैं | Visheshan Kise Kahate Hain-विशेषण के परिभाषा, भेद एवं उदाहरण

विशेषण किसे कहते हैं | Visheshan Kise Kahate Hain-विशेषण के परिभाषा, भेद एवं उदाहरण विशेषण किसे कहते हैं | Visheshan Kise Kahate Hain विशेषण:- शब्द संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बतलाते हैं उन्हें विशेषण कहते हैं।अर्थात संज्ञा अथवा सर्वनाम शब्दों की विशेषता (गुण, दोष, संख्या, परिमाण आदि) बताने वाले शब्द ‘विशेषण’ कहलाते हैं। or विशेषण…

सर्वनाम

सर्वनाम की परिभाषा: संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त होने वाले शब्दों को सर्वनाम कहा जाता है। सर्वनाम संज्ञाओं की पुनरावृति रोककर वाक्यों को सौंदर्ययुक्त बनता है।मूलतः सर्वनामों की संख्या ग्यारह है –मैं, तू, आप, यह, वह, जो, सो, कौन, कोई और कुछ आदि। सर्वनाम के पांच भेद होते हैं – 1. पुरुषवाचक सर्वनाम 2. निजवाचक…

संज्ञा किसे कहते हैं (Sangya Ki Paribhasha) – परिभाषा, भेद एवं उदाहरण

संज्ञा भाषा का एक महत्वपूर्ण घटक है संज्ञा की परिभाषा (Sangya Ki Paribhasha) जो हमें व्यक्ति, वस्तु, जाति, भाव और स्थान को पहचानने, वर्णन करने और संवाद करने में मदद करता है। संज्ञा किसे कहते हैं (Sangya Kise Kahate Hain) संज्ञा की परिभाषा (Sangya Ki Paribhasha) किसी भी व्यक्ति, वस्तु, जाति, भाव या स्थान के नाम…

लिंग

लिंग लिंग की परिभाषा संज्ञा का वह रूप जिससे हमें किसी भी व्यक्ति, जीव, या वास्तु आदि की जाती पता चले, वे शब्द लिंग कहलाते हैं। इन शब्दों से यह पता चलता है कि वह पुरुष जाति का है या स्त्री जाती का। लिंग के उदाहरण पुरुष जाति : मोहन, सोहन, मानव, बकरा, मोर, मोहन, लड़का,…

वचन

वचन वचन की परिभाषा : वचन का शब्दिक अर्थ संख्यावचन होता है। संख्यावचन को ही वचन कहते हैं। वचन का एक अर्थ कहना भी होता है। संज्ञा के जिस रूप से किसी व्यक्ति , वस्तु के एक से अधिक होने का या एक होने का पता चले उसे वचन कहते हैं। अथार्त संज्ञा के जिस…

समास

समास समास की परिभाषा समास का मतलब है संक्षिप्तीकरण। दो या दो से अधिक शब्द मिलकर एक नया एवं सार्थक शब्द की रचना करते हैं। यह नया शब्द ही समास कहलाता है। यानी कम से कम शब्दों में अधिक से अधिक अर्थ को प्रकट किया जा सके वही समास होता है।  जैसे: समास के उदाहरण…