
Jhansi ki Rani ki Samadhi par झाँसी की रानी की समाधि पर सुभद्रा कुमारी चौहान (Subhadra Kumari Chauhan) द्वारा लिखित कविता है.
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झाँसी की रानी की समाधि पर Jhansi ki Rani ki Samadhi par Class 5 Hindi Vatika Chapter 17
इस समाधि में छिपी हुई है, एक राख की ढेरी।
जल कर जिसने स्वतंत्रता की, दिव्य आरती फेरी।।
यह समाधि यह लघु समाधि है, झाँसी की रानी की।
अंतिम लीलास्थली यही है, लक्ष्मी मरदानी की।।
यहीं कहीं पर बिखर गई वह, भग्न-विजय-माला-सी।
उसके फूल यहाँ संचित हैं, है यह स्मृति शाला-सी।
सहे वार पर वार अंत तक, लड़ी वीर बाला-सी।
आहुति-सी गिर चढ़ी चिता पर, चमक उठी ज्वाला-सी।
बढ़ जाता है मान वीर का, रण में बलि होने से।
मूल्यवती होती सोने की भस्म, यथा सोने से।।
रानी से भी अधिक हमे अब, यह समाधि है प्यारी।
यहाँ निहित है स्वतंत्रता की, आशा की चिनगारी।।
इससे भी सुन्दर समाधियाँ, हम जग में हैं पाते।
उनकी गाथा पर निशीथ में, क्षुद्र जंतु ही गाते।।
पर कवियों की अमर गिरा में, इसकी अमिट कहानी।
स्नेह और श्रद्धा से गाती, है वीरों की बानी।।
बुंदेले हरबोलों के मुख हमने सुनी कहानी।
खूब लड़ी मरदानी वह थी, झाँसी वाली रानी।।
यह समाधि यह चिर समाधि है , झाँसी की रानी की।
अंतिम लीला स्थली यही है, लक्ष्मी मरदानी की।।
झाँसी की रानी की समाधि पर Jhansi ki Rani ki Samadhi par Class 5 Hindi Vatika Chapter 17
इस समाधि ………………………………..……………….. मरदानी की।
संदर्भ – यह पद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘कलरव’ के ‘झाँसी की रानी की समाधि पर’ नामक पाठ से लिया गया है। इसकी कवयित्री ‘सुभद्रा कुमारी चौहान’ हैं।
भावार्थ – कवयित्री सुभद्राकुमारी चौहान रानी लक्ष्मीबाई की समाधि के विषय में कहती हैं कि इस समाधि में राख की एक ढेरी छिपी है। वह जलकर अमर हो गई। उसने स्वतंत्रता की बलिवेदी पर मिटकर अपनी चिता की ज्वाला के रूप में चमकती हुई सुन्दर आरती की। यह छोटी समाधि उस वीरांगना लक्ष्मीबाई की अंतिम लीलास्थली है।
यहीं कहीं ………………………………………… ज्वाला-सी॥
भावार्थ – रानी लक्ष्मीबाई टूटी हुई विजयमाला के समान इसी समाधि के आस-पास स्वर्ग सिधार गई। उनकी हड्डियों के अवशेष (फूल) यहीं पर इकट्ठे हैं, मानो यह समाधि उनका स्मृति स्थल हो। उस वीरांगना ने अंग्रेजों के अनेक हमले मरने तक सहन किए। उसने स्वाधीनता के महायज्ञ में अपनी आहुति दे दी। चिता की ज्वाला से उसका व्यक्तित्व और भी चमकीला बन गया।
बढ़ जाता है …………………………….…………. चिनगारी॥
भावार्थ – युद्ध में वीरगति पाने से वीर योद्धा का मान-सम्मान बढ़ जाता है, ठीक वैसे ही जैसे- स्वर्ण-भस्म स्वर्ण से भी मूल्यवान होती है। हमें अब रानी की समाधि, उनसे भी अधिक प्रिय लगने लगी है। क्योंकि इसमें स्वाधीनता की आशा की चिंगारी निहित है।
इससे भी सुन्दर …………………………………………….. बानी॥
भावार्थ – रानी लक्ष्मीबाई की समाधि से भी सुन्दर समाधियाँ संसार में मौजूद हैं परन्तु उन समाधियों की कहानी आधी रात में छोटे-मोटे जन्तु ही सुनते-सुनाते हैं। अर्थात् उन पर अन्धेरे में कीडे-मकोडे बोलते विचरते हैं लेकिन रानी लक्ष्मीबाई की समाधि की अमर कहानी कवियों की वाणी में चिरस्मरणीय हो गई है। वीरों की शौर्य-गाथाएँ कवि लोग स्नेह और श्रद्धा के साथ बखान करते हैं।
बुन्देले ……………………………………..………… वाली रानी॥
भावार्थ – कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान कहती हैं कि हमने बुन्देलखण्ड के रहनेवाले लोगों से रानी की वीरता की कहानियाँ सुनी हैं। इस वीरांगना ने अँगरेजों से डटकर लोहा लिया था, जिसके कारण वह झाँसी की रानी के नाम से प्रसिद्ध हुई।
झाँसी की रानी की समाधि पर Jhansi ki Rani ki Samadhi par Class 5 Hindi Vatika Chapter 17
प्रश्न-1. बोध प्रश्न : उत्तर लिखिए –
(क) रानी की समाधि किन-किन बातों की याद दिलाती है ?
उत्तर- रानी की समाधि 1857 के स्वतंत्रता आन्दोलन में वीर सेनानियों के त्याग की याद दिलाती है |
(ख) ‘रानी की समाधि में स्वतंत्रता की आशा की चिनगारी छिपी है’ – ऐसा क्यों कहा गया है ?
उत्तर- 1857 का स्वतंत्रता संग्रम्म ऐसी चिंगारी थी, जिसने पूरे भारत में स्वतंत्रता आन्दोलन को नयी दिशा प्रदान की | कविता में ऐसा इसीलिए कहा गया है |
(ग) रानी की समाधि तथा अन्य समाधियों में क्या अंतर है ?
उत्तर- रानी की समाधि देखकर जो स्वाभिमान एवं देशप्रेम की भावना लोगों में जागृत होती है वैसा अन्य समाधियों को देखकर नहीं आता है | आज भी लोग उस वीरांगना की वीरगाथा लोग बड़े आदरपूर्वक गाते हैं |
(घ) युद्ध भूमि में बलिदान के बाद वीर का मान बढ़ जाता है। इस कथन के समर्थन में कवि ने क्या उदाहरण दिया है ?
उत्तर- कवयित्री ने बतलाया है कि जिस प्रकार सोने की राख का मूल्य सोने से अधिक होता है, उसी प्रकार युद्ध में जो वीरगति को प्राप्त होता है, उसका भी मान बढ़ जाता है |
प्रश्न-2. नीचे लिखी पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए –
(क) पर कवियों की अमर गिरा में,
इसकी अमिट कहानी।
स्नेह और श्रद्धा से गाती,
है वीरों की बानी।।
भावार्थ – लेकिन रानी लक्ष्मीबाई की समाधि की अमर कहानी कवियों की लेखनी में अमिट हो गई है। वीरों की शौर्य-गाथाएँ कवि लोग बड़े स्नेह और श्रद्धा के साथ गाते हैं।
(ख) बढ़ जाता है मान वीर का,
रण में बलि होने से।
मूल्यवती होती सोने की,
भस्म यथा सोने से ।।
भावार्थ- जिस प्रकार स्वर्ण-भस्म, सोने से भी मूल्यवान होती है, उसी प्रकार युद्ध में वीरगति पाने से वीर योद्धा का मान-सम्मान बढ़ जाता है।
प्रश्न-3. -सोच- विचार : बताइए-
झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई का नाम इतिहास में अमर क्यों है ?
उत्तर- झांसी की रानी लक्ष्मी बाई ने वीरता का ऐसा उदाहरण प्रस्तुत किया जिसे देखकर देश भर में क्रान्ति की ज्वाला भड़क उठी | इस प्रकार उनका नाम इतिहास में अमर हो गया |
प्रश्न-4. भाषा के रंग –
‘क’ वर्ग में दिए गए शब्दों के समानार्थी शब्द ‘ख’ वर्ग से मिलान कीजिए –
(क) | (ख) |
---|---|
स्वतन्त्र | स्वाधीन |
रण | युद्ध |
गाथा | कहानी |
संचित | एकत्र |
गिरा | वाणी |
भस्म | राख |
प्रश्न-5. तुम्हारी कलम से –
अपने आस-पास की किसी महिला के द्वारा किए गए बहादुरी के कार्यों को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर- स्वयं लिखें |
प्रश्न-6. अब करने की बारी –
(क) सुभद्राकुमारी चौहान ने झाँसी की रानी पर ही एक और कविता लिखी है। उसे पुस्तकालय से खोजकर पढ़िए।
(ख) कविता की आठ पंक्तियाँ याद कर कक्षा में हाव-भाव के साथ सुनाइए।
(ग) आजादी की लड़ाई में अपने प्राणों का बलिदान देने वाले कुछ अन्य वीरों के नामों की सूची बनाइए ।
उत्तर- स्वयं लिखें |
प्रश्न-7. मेरे दो प्रश्न : कविता के आधार पर दो सवाल बनाइए –
- लक्ष्मी बाई कहाँ की रानी थी ?
- किसकी समाधि अन्य समाधियों से भिन्न है ?