वंदे मातरम् भारत का राष्ट्रीय गीत है जिसकी रचना बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय द्वारा की गई थी। इन्होंने 7 नवम्बर, 1876 ई. में बंगाल के कांतल पाडा नामक गाँव में इस गीत की रचना की थी। वंदे मातरम् गीत के प्रथम दो पद संस्कृत में तथा शेष पद बांग्ला भाषा में थे। राष्ट्रकवि रवींद्रनाथ टैगोर ने इस गीत को स्वरबद्ध किया और पहली बार 1896 में कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में यह गीत गाया गया। अरबिंदो घोष ने इस गीत का अंग्रेज़ी में और आरिफ़ मोहम्मद ख़ान ने इसका उर्दू में अनुवाद किया। ‘वंदे मातरम्’ का स्‍थान राष्ट्रीय गान ‘जन गण मन’ के बराबर है। यह गीत स्‍वतंत्रता की लड़ाई में लोगों के लिए प्ररेणा का स्रोत था।

वंदे मातरम्, वंदे मातरम्!
सुजलाम्, सुफलाम्, मलयज शीतलाम्,
शस्यश्यामलाम्, मातरम्!
वंदे मातरम्!
शुभ्रज्योत्सनाम् पुलकितयामिनीम्,
फुल्लकुसुमित द्रुमदल शोभिनीम्,
सुहासिनीम् सुमधुर भाषिणीम्,
सुखदाम् वरदाम्, मातरम्!
वंदे मातरम्, वंदे मातरम्॥

गद्य रूप में श्री अरबिन्‍द घोष द्वारा किए गए अंग्रेज़ी अनुवाद का हिन्‍दी अनुवाद इस प्रकार है-

मैं आपके सामने नतमस्‍तक होता हूँ। ओ माता,
पानी से सींची, फलों से भरी,
दक्षिण की वायु के साथ शान्‍त,
कटाई की फ़सलों के साथ गहरा,
माता!
उसकी रातें चाँदनी की गरिमा में प्रफुल्लित हो रही हैं,
उसकी ज़मीन खिलते फूलों वाले वृक्षों से बहुत सुंदर ढकी हुई है,
हंसी की मिठास, वाणी की मिठास,
माता, वरदान देने वाली, आनंद देने वाली।



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राष्‍ट्रगान ,  वन्दे मातरम् ,  सारे जहाँ से अच्छा  ,क़दम क़दम बढ़ाये जा   ,विजयी विश्व तिरंगा प्यारा   ,हम होंगे कामयाब  ,अपनी आज़ादी को हम  ,आओ बच्चों तुम्हें दिखाएँ  ,इंसाफ़ की डगर पे   ,नन्हा मुन्ना राही हूँ ,मेरा रंग दे बसंती चोला  ,ऐ मेरे प्यारे वतन  ,ऐ वतन ऐ वतन ,छोड़ो कल की बातें  ,जहाँ डाल डाल पर  ,ऐ मेरे वतन के लोगोंचन्दन है इस देश की माटी    ,जिस देश में गंगा बहती है  ,दे दी हमें आज़ादी  ,भारत हमको जान से प्यारा है  ,नन्हे मुन्ने बच्चे तेरी मुट्ठी  ,मेरे देश की धरती ,नफ़रत की लाठी तोड़ो  ,कर चले हम फ़िदा  ,है प्रीत जहाँ की रीत सदा  ,हर करम अपना करेंगे  ,हम लाये हैं तूफ़ान से  ,संदेशे आते हैं  ,सरफ़रोशी की तमन्ना  ,ये देश है वीर जवानों का  

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