What is Number System – संख्या पद्धति
What is number in maths संख्या क्या है ?
संख्याएँ Number (sankhya paddhati in hindi) वे गणितीय वस्तुएँ हैं जिनका उपयोग मापने, गिनने और नामकरण करने के लिए किया जाता है। १, २, ३, ४ आदि प्राकृतिक संख्याएँ इसकी सबसे मूलभूत उदाहरण हैं। इसके अलावा वास्तविक संख्याएँ (जैसे १२.४५, ९९.७५ आदि) और अन्य प्रकार की संख्याएँ भी आधुनिक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में प्रयुक्त होतीं हैं। संख्याएँ हमारे जीवन के ढर्रे को निर्धरित करती हैं। केल्विन ने संख्याओं के बारे में कहा है कि आप किसी परिघटना के बारे में कुछ नहीं जानते यदि आप उसे संख्याओं के द्वारा अभिव्यक्त नहीं कर सकते।
Number System In Hindi संख्या पद्धति Questions And Formula With Trick Number System In Math
संख्याओं को दर्शाने की कई प्रणालियाँ (Number system in maths) हैं। इन प्रणालियों में सबसे अधिक प्रचलित प्रणाली दाशमिक प्रणाली है जिसे हिन्दू-अरेबिक संख्याकन पद्धति भी कहते हैं। इस प्रणाली के अंतर्गत किसी संख्या को दर्शाने के लिए हम चिह्न/संकेतों (0, 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8 और 9) का उपयोग करते हैं जिन्हें अंक कहते हैं। इन्हीं दस अंकों का उपयोग हम किसी संख्या को दर्शाने के लिए करते हैं।
अंक (Digits)
अंक (Digits)
अंक गणित में संख्याओं को लिखने के लिए हमें संकेतों के एक विशेष समूह की आवश्यकता होती है। ये दस संकेत 0, 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, और 9, हैं। इन्हें अंक कहा जाता है। इन अंकों से ही समस्त संख्याओं का निर्माण होता है।
अंकीय मान(Face value)
अंकीय मान(Face value): किसी अंक को , गणित में जिस मान से निर्धारित किया गया है उसे अंकीय मान कहते हैं :
जैसे : संख्या 47896 में
6 का अंकीय मान 6
9 का अंकीय मान 9
8 का अंकीय मान 8
7 का अंकीय मान 7
4 का अंकीय मान 4
एक दी गई संख्या में किसी अंक का शुद्धमान उस अंक का अपना मान है, चाहे वह अंक किसी भी स्थान पर है।
जैसे :- 67523 में 5 का शुद्धमान मान 5 है और 6 का शुद्धमान 6 ही है।
स्थानीय मान (Place value)
स्थानीय मान (Place value)
स्थानीय मान (Place value): किसी संख्या में, जब किसी अंक को उसकी स्थिति के आधार पर निर्धारित किया गया होता है, तो उसका निर्धारित मान ही स्थानीय मान कहलाता है |
जैसे: संख्या 47896 में,
6 का स्थानीय मान = 6 x 1 =6
9 का स्थानीय मान = 9 x 10 = 90
8 का स्थानीय मान = 8 x 100 =800
7 का स्थानीय मान = 7 x 1000 =7000
4 का स्थानीय मान = 7 x 10000 = 70000
दी गई संख्या में अंक जिस स्थान पर होता है, उस अंक का स्थानीय मान कहलाता है।
जैसे :- 67523 में 5 का स्थानीय मान 5 × 100 और 6 का स्थानीय मान 6 × 10000 है।
विशुद्ध मान (Absolute value)
विशुद्ध मान (Absolute value)
किसी संख्या का विशुद्ध मान उसके साथ लगे चिन्हों को हटाकर ज्ञात किया जाता है ।
जैसे :- +8 और -8 विशुद्ध मान 8 होगा ।
Types Of Number System संख्याओं के प्रकार
Number System – संख्या पद्धति
वास्तविक संख्याएं (Real Numbers)
वास्तविक संख्याएं (Real Numbers)
जिन संख्याओं को अंक पक्ति पर दर्शाया जा सकता है अर्थात आप उसे आसानी से पहचान सकतें और मात्रात्मक रूप में समझ सकतें हैं , उन्हें वास्तविक संखाएं कहतें हैं |
परिमेय तथा अपरिमेय संख्याओं को सम्मिलित रूप से वास्तविक संख्याएं कहते हैं ।
अवास्तविक या काल्पनिक संख्याएं (Imaginary Numbers)
अवास्तविक या काल्पनिक संख्याएं (Imaginary Numbers)
जो संख्याएं वास्तविक नहीं हैं , उनको काल्पनिक संख्याएं कहते हैं ।
जैसे :- √-4, √-7 आदि ।
प्राकृत संख्याएँ (Natural Numbers)
प्राकृत संख्याएँ: वस्तुओं को गिनने के लिए जिन संख्याओं का प्रयोग किया जाता है, उन संख्याओं को गणन संख्याएँ या प्राकृत ‘संख्याएँ’ कहते हैं।
जैसे- 1, 2, 3, 4, 5, ………..
पूर्ण संख्याएं (Whole Numbers)
पूर्ण संख्याएँ: प्राकृत संख्याओं में शून्य को सम्मिलित करने पर जो संख्याएँ प्राप्त होती हैं उन्हें ‘पूर्ण संख्याएँ’ कहते हैं।
जैसे- 0, 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ………….
पूर्णांक (integers)
पूर्णांक (integers) : – पूर्ण संख्याओं और ऋणात्मक संख्याओे के संग्रह को पूर्णांक कहते हैं ।
उदाहरण : …………-5,-4,-3,-2,-1,0,1,2,3,4,5,6………..
धनात्मक पूर्णांक (Positive Integers)
धनात्मक पूर्णांक (Positive Integers)
जिन संख्याओं के आगे धन ( Plus ) का चिन्ह होता है उन्हें धनात्मक पूर्णांक कहते हैं।
पूर्ण संख्याओं को धनात्मक पूर्णांक कहा जाता हैं । जैसे :- 1, 2, 3, या +1, +2, +3 आदि ।
ऋणात्मक पूर्णांक (Negative Integers)
जिन संख्याओं के आगे ऋण ( Minus ) का चिन्ह होता है उन्हें ऋणात्मक पूर्णांक कहते हैं।
धनात्मक पूर्णांक +a के योज्य प्रतिलोम -a को ऋणात्मक पूर्णांक कहते हैं ।
जैसे :- अत: 1, 2, के योज्य प्रतिलोम -1, -2 ऋणात्मक पूर्णांक हैं ।
सम संख्याएं (Even Numbers)
सम संख्याएँ: वे संख्याएँ जो 2 से पूर्णतः विभाजित हो जाती हैं उन्हें ‘सम संख्याएँ’ कहते हैं। इस प्रकार 2, 4, 8, 6, 1 2…….. आदि ‘सम संख्याएँ’ हैं।
विषम संख्याएं (Odd Numbers)
विषम संख्याएँ: वे संख्याएँ जो 2 से पूर्णतः विभाजित नहीं होती हैं उन्हें ‘विषम संख्याएँ कहते हैं।
जैसे- 1, 3, 5, 11, 17, 29, 39 …….. आदि ‘विषम संख्याएँ’ हैं।
सम ( Even number) और विषम संख्याओं (Odd number)के परिणाम:
सम ( Even number) और विषम संख्याओं (Odd number)के परिणाम:
सम + सम = समEven +Even = Even | सम – सम = समEven -Even = Even | सम x सम = समeven x even = even |
विषम + विषम = समodd + odd = even | विषम – विषम = समodd – odd = even | विषम x विषम = विषमodd x odd = odd |
विषम + सम = विषमodd + even = odd | विषम – सम = विषमodd – even = odd | विषम x सम = विषमodd x even = odd |
परिमेय संख्याएं (Rational Numbers)
परिमेय संख्याएं (Rational Numbers)
वे संख्याएँ जिन्हें p/q के रूप में लिखा जा सके ‘परिमेय संख्याएँ’ कहलाती हैं जहाँ p और q दोनों पूर्णांक हो लेकिन q कभी शून्य न हो।
एक पूर्णांक को दुसरे पूर्णांक (शून्य को छोड़कर) से भाग देने पर जो लघुत्तम प्राप्त होता है।
जैसे- 7, -2, 3/5, -2/4, -2/-6, 3/-7, 0 ……… आदि ‘परिमेय संख्याएँ’ हैं।
तुल्य परिमेय संख्या (equivalent rational number)
किसी भी परिमेय संख्या (उदाहरण के तौर पर 3/5 या -4/6) के अंश (numerator) व हर (denominator) में समान संख्या से गुणा (multiply) करने पर उस संख्या का मान नहीं बदलता बल्कि वह उस संख्या की तुल्य परिमेय संख्या (equivalent rational number) कहलाती है । किसी भी संख्या की अनगिनत (infinite) तुल्य संख्याऐं होती हैं ।
एक संख्या का दूसरी संख्या से गुणा
जब एक संख्या को दूसरी संख्या से गुणा करते हैं तो निम्न प्रकार के परिणाम प्राप्त होते हैं –
★ शेषफल शून्य हो जाता है या खुद की ही पुनरावृत्ति शुरू कर देता है
★ शेषों की पुनरावृत्ति श्रृंखला (repeatition seroes) में प्रविष्टियों (entries) की संख्या भाजक (divisor) से कम होती है
★ शेषों की पुनरावृत्ति (repeating) होती है तो भागफल (quotient) में अंकों का एक पुनरावृत्ति खण्ड प्राप्त होता है ।
यदि शेष (remainder) शून्य हो जाता है, ऐसी संख्याओं के दशमलव प्रसार (decimal expansion) को सांत दशमलव (terminating decimal) कहते हैं ।
उदाहरण : 7/8 = 0.875 1/2 = 0.5 2/5 = 0.4
( इस प्रकार की संख्याऐं परिमेय होती हैं )
कुछ चरणों के बाद कुछ संख्याओं की पुनरावृत्ति होने लगती है या भागफल में अंकों का एक पुनरावृत्ति खण्ड प्राप्त होता है इस प्रकार के दशमलव प्रसार को अनवसानी आवर्ती (non-terminating recurring) कहते हैं ।
उदाहरण : 1/7 = 0.142857142857142857……..
1/3 = 0.33333….
( इस प्रकार की संख्याऐं परिमेय होती हैं )
यदि भागफल में अनियमित रूप से (randomly) विभिन्न प्रकार की संख्याऐं प्राप्त होती हैं तो इस प्रकार के दशमलव प्रसार की अनवसानी अनावर्ती (non-terminating non recurring) कहा जाता है ।
उदाहरण : 0.10110111011110….. , 1.414213562373095048801……… , 3.141592653589793238…….
( इस प्रकार की संख्याऐं अपरिमेय होती हैं )
दशमलव संख्याओं का संख्या रेखा पर प्रदर्शन (plotting or representation of decimal numbers on number line) : –
कुछ याद रखने योग्य
परिमेय + अपरिमेय = अपरिमेय
● परिमेय – अपरिमेय = अपरिमेय
● परिमेय x अपरिमेय = अपरिमेय
● परिमेय ÷ अपरिमेय = अपरिमेय
● यदि दो अपरिमेय संख्याओं को परस्पर जोड़ें, घटायें, गुणा करें या भाग करें तो परिणाम कुछ भी हो सकता है परिमेय भी और अपरिमेय भी ।
कुछ याद रखने योग्य सर्वसमिकाएं (some important identities)
( जबकि a और b धनात्मक वास्तविक संख्याऐं हैं )
(i) √ab = √a√b
(ii) √(a/b) = √a/√b
(iii) (√a+√b)(√a-√b) = a-b
(iv) (a+√b)(a-√b) = a2-b
(v) (√a+√b)(√c+√d) = √ac+√ad+√bc+√bd
(vi) (√a+√b)2 = a+b+2√ab
हर का परिमेयकरण करना (rationalisation of denominator) :
उदाहरण के तौर पर 1/√2 के हर का परिमेयकरण करना है –
जैसा की आप जानते हैं कि अंश व हर में समान संख्या से गुणा कर देने पर संख्या का मान नहीं बदलता तो
1/√2 के अंश व हर में √2 से गुना करते हैं
1/√2 x √2/√2 = √2/2
अब संख्या का हर 2 है जोकि एक परिमेय संख्या है ।
अन्य उदाहरण :
1/3-√2 के हर का परिमेयकरण करो
1/3-√2 x 3+√2/3+√2 ( उसी संख्या से गुना करते हैं केवल चिन्ह बदलते हैं )
= 3+√2/9-2 = 3+√2/7
अब हर 7 है जोकि एक परिमेय संख्या है ।
अपरिमेय संख्याएं (Irrational Numbers)
अपरिमेय संख्याएं (Irrational Numbers)
वे संख्याएँ जिन्हें p/q के रूप में न लिखा जा सके अपरिमेय संख्याएँ कहलाती है। जहाँ p और q दोनों पूर्णांक हो लेकिन q कभी शून्य न हो।
जैसे- …… आदि अपरिमेय संख्याएँ हैं।
वास्तविक संख्याऐं (real numbers)
वास्तविक संख्याऐं (real numbers)
परिमेय तथा अपरिमेय संख्याओं के संग्रह को वास्तविक संख्याऐं (real numbers) कहते हैं ।
भाज्य संख्याएं (Composite Numbers)
भाज्य संख्याएं (Composite Numbers)
वे प्राकृतिक संख्याएं जो 1 या अपने को छोड़कर किसी दूसरी संख्या से भी विभाजित हो जाती है, भाज्य संख्याएं कहलाती हैं ।
जैसे :- 4, 6, 8, 9, आदि ।
अभाज्य संख्याएं (Prime Number)
अभाज्य संख्याएं (Prime Numbre)
वे प्राकृतिक संख्याएं जो केवल 1, या अपने आप से विभाजित हो सकें , अभाज्य संख्याएं कहलाती हैं ।
जैसे :- 2, 3, 5, 7, 11 आदि ।
100 तक की अभाज्य संख्याएं निम्नलिखित है ।
2, 3, 5, 7, 11, 13, 17, 19, 23, 29, 31, 37, 41, 43, 47, 53, 59, 61, 67, 71, 73, 79, 83, 89, 97
100 तक की कुल अभाज्य संख्याएं 25 है ।
असहभाज्य संख्याएं (Co-prime Numbers)
असहभाज्य संख्याएं (Co-prime Numbers)
दो या दो से अधिक वे प्राकृतिक संख्याएं जिनका महत्तम समापवर्तक 1 हो , असहभाज्य संख्याएं कहलाती हैं ।
ऐसे भी समझें –
संख्याओं का वह युग्म या जोड़ा जिनमें 1 के अतिरिक्त कोई अन्य उभयनिष्ठ गुणनखण्ड न हो , असहभाज्य संख्याएं कहलाती हैं।
जैसे :- (5, 7) और (8, 15) असहभाज्य संख्याएं हैं । क्योंकि इनका महत्तम समापवर्तक 1 है ।
खेल खेल में समझें Number System In hindi
Order of numbers-संख्याओं का वर्गीकरण
आरोही क्रम (Ascending order)
संख्याओं को छोटे से बड़े क्रम में लिखने को आरोही क्रम कहते हैं ।
जैसे :- 1, 2, 3, 5, 9, 15 आदि ।
अवरोही क्रम (Descending order)
संख्याओं को बड़े से छोटे क्रम में लिखने को अवरोही क्रम कहते हैं ।
जैसे :- 15, 9, 5, 3, 2, 1 आदि ।
क्रमागत पूर्णांक (Consecutive integer)
क्रम से आने वाले पूर्णांक क्रमागत पूर्णांक कहलाते हैं ।
जैस :- 7, 8, 9, 10, 11 आदि ।
निकटतम दो क्रमागत पूर्णांकों में सदैव 1 का अन्तर होता है ।
यदि x कोई पूर्णांक हो तो दूसरा क्रमागत पूर्णांक x + 1, तीसरा x + 2, चौथा x + 3 और पांचवां x + 4 … होगा ।
क्रमागत सम संख्याएं (Successive even numbers)
Number System In hindi क्रम से आने वाली सम संख्याएं क्रमागत सम संख्याएं कहलाती हैं ।
जैसे :- 2, 4, 6, 8, 10, 12 आदि ।
निकटतम दो क्रमागत सम संख्याओं में 2 का अन्तर होता है ।
यदि x कोई सम संख्या हो तो दूसरी क्रमागत सम संख्या x + 2, तीसरी x + 4, चौथी x + 6, पांचवीं x + 8, तथा छठी x + 10 होगी ।
क्रमागत विषम संख्याएं (Sequential odd numbers)
Number System In hindi क्रम से आने वाली विषम संख्याएं क्रमागत विषम संख्याएं कहलाती हैं ।
जैसे :- 1, 3, 5, 7, 9, 11 आदि ।
निकटतम दो क्रमागत विषम संख्याओं में भी 2 का अन्तर होता है ।
यदि x कोई विषम संख्या हो तो दूसरी क्रमागत विषम संख्या x + 2, तीसरी x + 4, चौथी x + 6, पांचवीं x + 8 तथा छठी x + 10 … होगी ।
Number System in math – संख्या पद्धति– Sankhya Paddhati in hindi || गणित के नियम
संख्याओं के गुण (Properties of Numbers)
क्रम विनिमय नियम (Commutative law of number system in maths)
क्रम विनिमय नियम (Commutative law of number system of maths)
(a) a + b = b + a
उदाहरण :- 6 + 4 = 10 या 4 + 6 = 10
30 + (-10) = 20 या (-10) + 30 = 20
(b) a × b = b × a
उदाहरण :- 4 × 5 = 20 या 5 × 4 = 20
3 × (-5) = -15 या (-5) × 3 = -15
साहचर्य नियम (Associative law for number system of maths)
साहचर्य नियम (Associative law for number system of maths)
(a) (a + b) + c = a + (b + c)
उदाहरण :- (2 + 4) + 6 = 2 + (4 + 6) = 12
(b) a × (b × c) = (a × b) × c
उदाहरण :- 2 × (3 × 4) = (2 × 3) × 4 = 24
बंटन नियम (Distributive law)
बंटन नियम (Distributive law)
a × (b + c) = (a × b) + (a × c)
उदाहरण :-
8 × (4 + 2) = (8 × 4) + (8 × 2) = 32 + 16 = 48
Number System In hindi || Number System In math
जोड़ के संवरक नियम (Closure law of Addition)
जोड़ के संवरक नियम (Closure law of Addition)
(1) यदि a और b दो धनात्मक संख्याएं हो तो a+b धनात्मक होगा ।
उदाहरण :- 10 + 14 = 24 , 60 + 40 = 100
(2) यदि a और b दो ऋणात्मक संख्याएं हों तो a+b ऋणात्मक होगा ।
उदाहरण :- (-10) + (-20) = -10 – 20 = -30
(3) यदि a धनात्मक और b ऋणात्मक संख्या हो तो –
(a) a+b धनात्मक होगा , यदि a का संख्यात्मक मान b के संख्यात्मक मान से बड़ा हो ।
उदाहरण :- 75 + (-45) = 30 , 80 + (-40) = 40
(b) a+b ऋणात्मक होगा , यदि a का संख्यात्मक मान b के संख्यात्मक मान से कम हो ।
उदाहरण :- 40 + (-80) = -40 , 30 + (-70) = -40
गुणा के संवरक नियम (Closure law of multiplication for number system of maths)
गुणा के संवरक नियम (Closure law of multiplication for number system of maths)
(a) यदि a और b दोनों धनात्मक हो तो (a × b) भी धनात्मक होगा ।
उदाहरण :- 20 × 4 = 100 , 16 × 5 = 80
(b) यदि a और b दोनों ऋणात्मक हो तो (a × b) भी धनात्मक होगा ।
उदाहरण :- (-6) × (-5) = 30 , (-15) × (-5) = 75
(c) यदि a और b में से एक धनात्मक और दूसरा ऋणात्मक हों तो (a × b) ऋणात्मक होगा ।
उदाहरण :- (-5) × (5) = -25 , (-15) × (4) = -60
दो संख्याओं के गुणनफल में चिन्हों का परिवर्तन
(i) (+) × (+) = (+) (ii) (+) × (-) = (-)
(iii) (-) × (+) = (-) (iv) (-) × (-) = (+)
दो संख्याओं के भागफल में चिन्हों का परिवर्तन
(i) (+) ÷ (+) = (+) (ii) (+) ÷ (-) = (-)
(iii) (-) ÷ (+) = (-) (iv) (-) ÷ (-) = (+)