सच्ची वीरता प्रज्ञा कक्षा 8 पाठ 3 | Sachchi Veerta Class 8 Pragya Chapter 3

तिरस्कार = अपमान, अनादर
शेखी =हेकड़ी, शान।
काफिर = ईश्वर को न मानने वाला, सत्य को छिपाने वाला
कलाम = वाणी, शब्द, वार्तालाप
अटक = सिन्धु नदी ।
नेपोलियन = फ्रांस का महान योद्धा (राजा)।
सत्त्वगुण = सादगी और सच्चाई से युक्त ।
‘सत्वगुण में डूबी हुई युवती कन्या = यहाँ लेखक फ्रांस की वीरांगना जोन आफ आर्क का उल्लेख कर रहा है, जिसने फ्रांस पर चढाई करने वाले शत्रुओं का डट कर मुकाबला किया और उन्हें परास्त किया।
शिकस्त = पराजय
अभिव्यक्ति = प्रकट होना, प्रकाशन, व्यक्त होना । अन्तः प्रेरणा = अपने मन की प्रेरणा
अरण्य = जंगल, वन।
बुजदिली = कायरता।
कुदरत = प्रकृति ।

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Sacchi Veerta पाठ का सार (सारांश)

पाठ का सार (सारांश) सच्चे वीर पुरुष धीर, गम्भीर और स्वतन्त्र होते हैं। वीरता की अभिव्यक्ति कई प्रकार की होती है। कुछ वीर युद्ध में वीरता दिखाते हैं तो कुछ गूढ़तत्व और सत्य की खोज में बुद्ध की तरह विरक्त होकर वीर हो जाते हैं। वीरता एक प्रकार की अन्त:प्रेरणा है। उसके दर्शन करके लोग अचम्भित हो जाते हैं। वीर पुरुष सबके साथ एकीकृत हृदय वाला और सबका होता है। यह देवदार के वृक्ष की भाँति स्वयं पैदा होकर, दूसरों को सहारा देने के लिए खड़ा हो जाता है। इसके प्रतिकूल बुजदिल (कायर लोग) जीवन को सब कुछ समझकर पीछे हटते रहते हैं।
वे गरजने वाले बादल हैं जो कभी बरसते नहीं। वीर पुरुष बरसने वाले बादल होते हैं जो मूसलाधार वर्षा करके चले जाते हैं। | वीर पुरुष का शरीर शक्ति का भंडार होता है। वीरों की नीति बल एकत्र करके उसकी वृद्धि में लगी होती है। वह वीर नहीं जो टीन के बर्तन की तरह झट से गर्म और ठण्डा हो जाए।
सत्य की सदा जीत होती है। यह वीरता का चिह्न है। जहाँ पवित्रता, प्रेम, धर्म और अटल आध्यात्मिक नियम हैं, वहीं जीत है। वीरता का प्रभाव पड़ता है परन्तु दिखावे के कारण लोग वीर नहीं बन पाते। टीन के बर्तन का स्वभाव छोड़कर हमें सच्चाई के रास्ते पर दृढ़ हो जाना चाहिए। हमें जीवन की गहराई में घुसकर नए रंग खिलाने चाहिए।

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Exercise ( अभ्यास )

विचार और कल्पना :
प्रश्न ( 1 ) : वीर पुरुष की तुलना बरसने वाले बादल से और कायर पुरुष की तुलना गरजने वाले बादल से क्यों की गई है ?
उत्तर – क्योंकि जिस प्रकार बरसने वाले बादल बिना बरसे नहीं जाते उसी प्रकार वीर पुरुष कभी भी पीछे नहीं हटते और कायर पुरुष यह सोचकर पीछे हट जाते है कि उनका मनोबल किसी और बड़े काम के लिए बच जाए जैसे गरजने वाले बादल ।

प्रश्न ( 2 ) : ‘ सच्चा वीर ‘ बनने के लिए आप अपने भीतर किन गुणों को विकसित करेंगे ?
उत्तर – सच्चा वीर बनने के लिए हमें धीर , गंभीर और आजाद बनना होगा ।

प्रश्न ( 3 ) : ‘ वीरों को बनाने के कारखाने कायम नहीं हो सकते ‘ – आप इस बात से सहमत हैं या असहमत कारण सहित स्पष्ट करें ।
उत्तर – सहमत हैं । क्योंकि वीर पुरुष खुद ब खुद पैदा होते हैं और स्वयं तैयार होकर अचानक ही दुनिया के मैदान में सामने आकर वे खड़े हो जाते हैं ।

निबन्ध से :
प्रश्न ( 1 ) : किसने क्या कहा ? कोष्ठक में दिए गए नामों से चुनकर वाक्य के सामने लिखिए –
( महाराजा रणजीत सिंह , मंसूर , नेपोलियन , बादशाह )

( क ) ‘अनहलक’ ( अहं ब्रम्हास्मि )। – मंसूर

( ख ) मैं तुमको अभी जान से मार डालूँगा । – बादशाह

( ग ) अटक के पार जाओ । – महाराजा रणजीत सिंह

( घ ) ‘ आल्प्स है ही नहीं । – नेपोलियन

प्रश्न ( 2 ) : लेखक के अनुसार दुनिया किस पर खड़ी है –
( क ) धन और दौलत पर ।

( ख ) ज्ञान और पांडित्य पर ।

( ग ) हिंसा और अत्याचार पर ।

( घ ) धर्म और अटल आध्यात्मिक नियमों पर ।

प्रश्न ( 3 ) : अपने अन्दर की वीरता को जगाने के लिए हमें क्या करना चाहिए ? उपयुक्त कथन पर सही का चिन्ह लगाइए –
( क ) हथियारों को एकत्र करना चाहिए ।

( ख ) वाद-विवाद करना चाहिए ।

( ग ) सच्चाई की चट्टान पर दृढ़ता से खड़ा होना चाहिए ।

( घ ) झूठी बातें करनी चाहिए ।

प्रश्न ( 4 ) : सच्चे वीर पुरुष में कौन-कौन से गुण होते हैं ?
उत्तर – सच्चे वीर पुरुष निडर , धीर , गंभीर और आजाद होते हैं ।

प्रश्न ( 5 ) बादशाह द्वारा जान से मारने की धमकी देने पर गुलाम ने क्या कहा ?
उत्तर – गुलाम ने कहा – ‘ हाँ ‘ मैं फांसी पर तो चढ़ जाऊँगा , पर तुम्हारा तिरस्कार तब भी कर सकता हूँ ।

प्रश्न ( 6 ) : शरीर पर जरा जोर से हाथ लगाने पर लोग मारे डर के अधमरे क्यों हो जाते हैं ?
उत्तर – क्योंकि लोग शरीर को अपने जीवन का केंद्र समझते हैं इसलिए जहां किसी ने शरीर पर ज़रा जोर से हाथ लगाने पर लोग मारे डर के अधमरे क्यों हो जाते हैं ।

प्रश्न ( 7 ) लेखक ने वीरों को देवदार के वृक्षों के समान क्यों कहा जाता है ?
उत्तर – क्योंकि जिस प्रकार देवदार के वृक्ष जंगल में स्वयं उग आते हैं उसी प्रकार वीर पुरुष भी जीवन रुपी अरण्य में खुद ब खुद पैदा होते हैं ।

भाषा की बात :
प्रश्न ( 1 ) : निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ लिखते हुए इनका वाक्य में प्रयोग कीजिए –
डर से अधमरा होना – अधिक डर जाना । शेर को सामे देखकर लकडहारा डर से अधमरा हो गया ।

छाती ठोंककर आगे बढ़ना – हिम्मत दिखाना । वीर योद्धा रणभूमि में छाती ठोंककर आगे बढ़ने लगे ।

रास्ता साफ़ होना – रुकावट न होना । शिवम ने परीक्षा में इतनी मेहनत की है कि उसका पास होने का रास्ता साफ़ हो चूका है ।

रंग चढ़ना – असर होना । वीर पुरुषों की कहानियाँ सुनकर वीरता का रंग चढना स्वाभाविक है ।

दिल को बाँध देना – सभी को प्रभावित करना । रमेश ने अपने व्यवहार से सभी का दिल बाँध लिया ।

प्रश्न ( 2 ) : आजाद , गुलाम , बादशाह , कैदी , फ़ौज , दरिया और कुदरत उर्दू के शब्द हैं । हिंदी में इनके समानार्थी शब्द लिखिए ।
आजाद – स्वतन्त्र

गुलाम – सेवक

कैदी – बन्दी

फ़ौज – सेना

दरिया – नदी

कुदरत – प्रकृति

प्रश्न ( 3 ) : ‘ सत्त्व ‘ शब्द में ‘त्व’ प्रत्यय जुड़कर सत् + त्व = सत्व बन गया है । नीचे लिखे शब्दो में ‘त्व’ जोड़कर नए शब्द बनाइए –
महत् + त्व = महत्त्व

प्रभु + त्व = प्रभुत्व

तत् + त्व = तत्व

वीर + त्व = वीरत्व

प्रश्न ( 4 ) : विलोम या निषेध के अर्थ में कुछ शब्दों के पूर्व ‘अ’ या ‘अन्’ जुड़ जाता है , जैसे -‘संभव’ से ‘असम्भव’ और ‘आवश्यक’ से अनावश्यक’शब्द बनता है । ‘अन्’ का प्रयोग उस समय होता है , जब शब्द के प्रारम्भ में कोई स्वर हो । अ , अन् की सहायता से नीचे लिखे शब्दों का विलोम शब्द बनाइए –
उपस्थिति , स्थायी , साधारण , समान , उदार

  1. अन् + उपस्थिति = अनुपस्थिति
  2. अ + स्थायी = अस्थायी
  3. अ + साधारण = असाधारण
  4. अ + समान = असमान
  5. अन् + उदार = अनुदार

प्रश्न (5 ) : ‘आल्प्स’ शब्द आ + ल् +प् + स् + अ से बना है । इसमें ल् ,प् , स् क्रम से तीन व्यंजन आये हैं । इन्हें व्यंजनगुच्छ कहा जाता है । पाठ से इस प्रकार के व्यंजनगुच्छ वाले शब्द चुनकर लिखिए ।
उत्तर – ब्रम्हास्मि , सत्त्वगुण ।

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कक्षा 8 की मंजरी के प्रश्न उत्तर chapter 3

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