पेड़ों के संग बढ़ना सीखो प्रज्ञा कक्षा 8 पाठ 4 (Pedo ke sang badhna sikho Class 8 Pragya Chapter 4)

पेड़ों के संग बढ़ना सीखो प्रज्ञा कक्षा 8 पाठ 4 | Pedo ke sang badhna sikho Class 8 Pragya Chapter 4

पेड़ों के संग बढ़ना सीखो प्रज्ञा कक्षा 8 पाठ 4 | Pedo ke sang badhna sikho Class 8 Pragya Chapter 4
पेड़ों के संग बढ़ना सीखो प्रज्ञा कक्षा 8 पाठ 4 | Pedo ke sang badhna sikho Class 8 Pragya Chapter 4

Pedo ke sang badhna sikho Class 8 Pragya Chapter 4

बहुत दिनों से ………………….…………………………………….. अंग भिगो लें।
संदर्भ एवं प्रसंग-प्रस्तुत काव्यांश हमारी हिंदी पाठ्य पुस्तक मंजरी-8 में संकलित कविता-‘पेड़ों के संग बढ़ना सीखो’ से उधृत है। इस कविता के कवि सर्वेश्वर दयाल सक्सेना हैं। कविता के माध्यम (UPBoardSolutions.com) से कवि ने पर्यावरण संरक्षण की प्रेरणा दी है।
व्याख्या-कवि कहता है कि बहुत दिनों से मैं सोच रहा हूँ कि थोड़ी-सी जमीन लेकर उस पर बाग-बगीचा लगाऊँ। जिसमें फल-फूल खिलें, चिड़ियाँ बोलें और सर्वत्र सुगंध बिखरे। बगीचे में एक जलाशय भी हो जिसमें ताजी हवा अपना अंग भिगोकर और भी ठंडी हो जाए।

हो सकता है ……….…………………………………………….. चिड़ियों को रोना।
संदर्भ एवं प्रसंग-पूर्ववत्।व्याख्या-कवि बच्चों से कहता है कि संभव है तुम्हारे पास तुम्हारी अपनी ज़मीन हो, फल-फूल से लदे बगीचे हों या अपनी खाली जमीन हो; या हो सकता है छोटी-सी क्यारी ही हो जो फूलों के खुश्बू से महक रही हो या फिर कुछ खेत हों जिसमें फसलें लगी हों। यह भी संभव है कि उनमें चौपाए यानी पशु घूमते हों या आँगन में पक्षी चहकते हों तो तुमसे विनती है कि तुम इनको मत मिटने देना, पेड़ों को कभी मत कटने देना। क्योंकि ऐसा करने से चिड़ियों का आश्रय छिन जाएगा और तुम्हें चिड़ियों के लिए तरसना पड़ जाएगा।

एक-एक पत्ती ……………………..………………………………….. संग हिलना।
संदर्भ एवं प्रसंग-पूर्ववत्।
व्याख्या-कवि कहता है कि पेड़ों-वनस्पतियों की एक-एक पत्ती हमारे लिए मूल्यवान हैं, क्योंकि वे हमारे सपनों को आधार देते हैं। जब पेड़ों की शाखाएँ कटती हैं तो वे भी शिशुओं की तरह रोते हैं। इसलिए अपने जीवन में पेड़ों के महत्व को समझते हुए पेड़ों के संग बढ़ना, इतराना और हिलना सीखो। यानी पेड़ों को अपने जीवन का अभिन्न हिस्सा बना लो।

बच्चे और पेड़ …………………………………………………………… बाँट रही है।
संदर्भ एवं प्रसंग-पूर्ववत्।
व्याख्या-कवि के अनुसार इस संसार की हरियाली और खुशहाली का आधार पेड़ व बच्चे हैं। जो इस बात को नहीं समझते, उन्हें पछताना पड़ता है। वर्तमान समय में सभ्यता वहशी बनी हुई है। अर्थात शहरीकरण व औद्योगीकरण ने मानवों को पेड़ों का दुश्मन बना दिया है। वे पेड़ों को काटते जा रहे हैं। पेड़ों के कटने से हवा जहरीली हो रही है, जिससे मनुष्य बीमार हो रहा है।

Exercise ( अभ्यास )
विचार और कल्पना :
प्रश्न ( 1 ) : अगर पेड़ न होंगे तो मनुष्य का जीवन कैसा हो जाएगा ? इस सम्बन्ध में अपने विचार व्यक्त कीजिए ।
उत्तर- अगर हमारे आसपास पेड़-पौधे नहीं होंगे तो सबसे पहले प्राणवायु ऑक्सीजन की कमी हो जायेगी । वर्षा में भी गिरावट होगी और उपजाऊ जमीन धीरे-धीरे बंजर में बदल जायेगी । जीव-जन्तु पानी , भोजन और ऑक्सीजन की कमी से मरने लगेंगे । जिसके कारण पृथ्वी से जीव-जंतुओं का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा ।

प्रश्न ( 2) : यदि पेड़ बोलने लगें तो अपनी कौन-कौन सी समस्या बताएँगे ?
उत्तर- अगर पेड़ बोलने लगें तो वे मनुष्यों द्वारा अपने ऊपर किये जाने वाले अत्याचार के विषय में बताएँगे । कैसे मनुष्य अंधाधुंध तरीके से पेड़ों का सफाया कर रहा है । कुछ पेड़ों की प्रजातियाँ विलुप्त होने के कगार पर हैं ।

कविता से :
प्रश्न ( 1 ) : “बहुत दिनों से सोच रहा था, थोड़ी सी धरती पाऊँ” से कवि का क्या आशय है ?
उत्तर- कवि का आशय है कि अगर उसे धरती का एक टुकड़ा मिल जाए तो वह उसे किस प्रकार पेड़-पौधों को लगाकर एक बगीचा तैयार करेगा । जिसमें फल-फूल लगेंगे और उस पर चिड़ियाँ चहचहायेंगी । बगीचे से मिलने वाली ताज़ी हवा जलाशय को छूकर निकलेगी ।

प्रश्न ( 2 ) : कविता में कवि की क्या चिन्ता है ?
उत्तर- प्रस्तुत कविता में कवि को चारों तरफ फ़ैली हरियाली, पेड़-पौधों , जीव-जंतुओं और साफ़-सुथरी हवा के खोने की चिंता है ।

प्रश्न ( 3 ) : कवि क्या विनती कर रहा है ?
उत्तर- कवि लोगों से विनती कर रहा है कि अगर आपके पास हरा-भरा बगीचा , खेत-खलिहान, पशु-पक्षी हैं तो उन्हें नष्ट मत होने देना ।

प्रश्न ( 4 ) : बच्चे और पेड़ संसार को हरा-भरा किस प्रकार रखते हैं ?
उत्तर- बच्चे और पेड़ में एक बहुत बड़ी समानता होती है कि पेड़ भी शिशुओं की तरह अपनी शाखाएं कटने पर रोते हैं । जैसे एक शिशु को देखकर आदमी प्रसन्न होता है उसी प्रकार अपने लगाए पेड़ को भी देखकर उसे उतनी ही प्रसन्नता होती है ।

भाषा की बात :
प्रश्न ( 1 ) : क्रिया के किस रूप से ज्ञात होता है कि कर्ता स्वयं कार्य न करके किसी दूसरे को कार्य करने के लिए प्रेरित कर रहा है, उसे ‘प्रेरणार्थक क्रिया’ कहते हैं , जैसे – पढ़ना-पढ़वाना ।
निम्नलिखित क्रिया शब्दों से प्रेरणार्थक क्रिया बनाइये –

खेलना – खेलवाना

रखना – रखवाना

घूमना – घुमवाना

काटना – कटवाना

बनाना – बनवाना

लिखना – लिखवाना

देखना – देखवाना

पिलाना – पिलवाना

प्रश्न ( 2 ) : जहाँ पर वर्णों की आकृति से काव्य की शोभा बढ़ती हो वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है । उदाहरण के लिए :- संग-संग , एक-एक , बाग़-बगीचा , फूल-फल आदि । आप अपनी पुस्तक से खोजकर अनुप्रास अलंकार के दो अन्य उदाहरण लिखिए ।
उत्तर- बोटी-बोटी , भर-भर , काँव-काँव , धीरे-धीरे , जीव-जंतु , पाँच-पाँच ।

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