सरफ़रोशी की तमन्ना (Sarfaroshi Ki Tamanna)

सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है,
देखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-कातिल में है।

करता नहीं क्यों दूसरा कुछ बातचीत,
देखता हूँ मैं जिसे वो चुप तेरी महफिल मैं है।

यों खड़ा मक़्तल में क़ातिल कह रहा है बार-बार
क्या तमन्ना-ए-शहादत भी किसी के दिल में है।

ऐ शहीदे-मुल्को-मिल्लत मैं तेरे ऊपर निसार
अब तेरी हिम्मत का चर्चा ग़ैर की महफिल में है।

वक्त आने दे बता देंगे तुझे ऐ आसमां,
हम अभी से क्या बतायें क्या हमारे दिल में है।

खींच कर लाई है सब को कत्ल होने की उम्मीद,
आशिक़ों का आज जमघट कूचा-ऐ-क़ातिल में है।

सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है,
देखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-क़ातिल में है।

सरफ़रोशी की तमन्ना (Sarfaroshi Ki Tamanna)

फ़िल्म : शहीद (1965), संगीतकार : प्रेम धवन, गायक : मो. रफ़ी, मन्ना डे, राजेन्द्र मेहता, रचनाकार : राम प्रसाद बिस्मिल


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राष्‍ट्रगान ,  वन्दे मातरम् ,  सारे जहाँ से अच्छा  ,क़दम क़दम बढ़ाये जा   ,विजयी विश्व तिरंगा प्यारा   ,हम होंगे कामयाब  ,अपनी आज़ादी को हम  ,आओ बच्चों तुम्हें दिखाएँ  ,इंसाफ़ की डगर पे   ,नन्हा मुन्ना राही हूँ ,मेरा रंग दे बसंती चोला  ,ऐ मेरे प्यारे वतन  ,ऐ वतन ऐ वतन ,छोड़ो कल की बातें  ,जहाँ डाल डाल पर  ,ऐ मेरे वतन के लोगोंचन्दन है इस देश की माटी    ,जिस देश में गंगा बहती है  ,दे दी हमें आज़ादी  ,भारत हमको जान से प्यारा है  ,नन्हे मुन्ने बच्चे तेरी मुट्ठी  ,मेरे देश की धरती ,नफ़रत की लाठी तोड़ो  ,कर चले हम फ़िदा  ,है प्रीत जहाँ की रीत सदा  ,हर करम अपना करेंगे  ,हम लाये हैं तूफ़ान से  ,संदेशे आते हैं  ,सरफ़रोशी की तमन्ना  ,ये देश है वीर जवानों का  

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