“सौरमंडल का आश्चर्यजनक घटना ‘सौर ग्रहण’ – Solar Eclipse Surya Grahan-सूर्य ग्रहण का आनंद लें, जहाँ चंद्रमा धीरे से सूर्य को ढंकता है। इस सेलेस्टियल घटना के आध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्व को अन्वेषित करें, इसके मोहक दृश्यों को देखें, और सांस्कृतिक व्याख्याओं को समझें। हमारे साथ आइए, सौर ग्रहण के रहस्यों को खोलते हैं, एक दुर्लभ ब्रह्मांडीय दृश्य जो मनोबल को बढ़ाता है और जिज्ञासा को जाग्रत करता है।
सूर्य ग्रहण-Solar Eclipse Surya Grahan
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Eclipse-ग्रहण
ग्रहण एक खगोलीय अवस्था है जिसमें कोई खगोलिय पिंड जैसे ग्रह या उपग्रह किसी प्रकाश के स्रोत जैसे सूर्य और दूसरे खगोलिय पिंड जैसे पृथ्वी के बीच आ जाता है जिससे प्रकाश का कुछ समय के लिये अवरोध हो जाता है।
इनमें मुख्य रूप से पृथ्वी के साथ होने वाले ग्रहणों में निम्नलिखित उल्लेखनीय हैं:
- चंद्रग्रहण – इस ग्रहण में चाँद या [चंद्रमा और सूर्य के बीच पृथ्वी आ जाती है। ऐसी स्थिती में चाँद पृथवी की छाया से होकर गुजरता है। ऐसा सिर्फ पूर्णिमा के दिन संभव होता है।
- सूर्यग्रहण – इस ग्रहण में चंद्रमा सूर्य और पृथवी एक ही सीध में होते हैं और चाँद पृथवी और सूर्य के बीच होने की वजह से चंद्रमा की छाया पृथवी पर पड़ती है। ऐसा अक्सर अमावस्या के दिन होता है।
सूर्य ग्रहण-Solar Eclipse Surya Grahan
सूर्य ग्रहण एक तरह का ग्रहण है जब चन्द्रमा, पृथ्वी और सूर्य के मध्य से होकर गुजरता है तथा पृथ्वी से देखने पर सूर्य पूर्ण अथवा आंशिक रूप से चन्द्रमा द्वारा आच्छादित होता है।
सूर्य ग्रहण कब होता है (When does the solar eclipse occur)
आइए जानते है।
आप जानते होंगे की पृथ्वी हमारे सौर मंडल का एक ग्रह है और हम पृथ्वी पर रहते है पृथ्वी सूर्य के चारो और चक्कर लगाता है और चाँद पृथ्वी का चक्कर लगाता हैI
जब चाँद घूमते घूमते सूर्य और पृथ्वी के बिच में आ जाता है तो वह सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी तक नहीं पहुँचने देता इस लिए सूर्य का प्रकाश हम तक नहीं पहुँच पाता और सूर्य हमें दिखलायी नहीं देता इसे सूर्य ग्रहण कहते है इसे अंग्रेजी में ( Solar Eclipse ) कहते हैI
सूर्य ग्रहण प्रकार
चन्द्रमा द्वारा सूर्य के बिम्ब के पूरे या कम भाग के ढ़के जाने की वजह से सूर्य ग्रहण तीन प्रकार के होते हैं 1. पूर्ण सूर्य ग्रहण, 2. आंशिक सूर्य ग्रहण 3. वलयाकार सूर्य ग्रहण
1. पूर्ण सूर्य ग्रहण
पूर्ण सूर्य ग्रहण उस समय होता है जब चन्द्रमा पृथ्वी के काफ़ी पास रहते हुए पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है और चन्द्रमा पूरी तरह से पृ्थ्वी को अपने छाया क्षेत्र में ले ले फलस्वरूप सूर्य का प्रकाश पृ्थ्वी तक पहुँच नहीं पाता है और पृ्थ्वी पर अंधकार जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है तब पृथ्वी पर पूरा सूर्य दिखाई नहीं देता। इस प्रकार बनने वाला ग्रहण पूर्ण सूर्य ग्रहण कहलाता है।
2. आंशिक सूर्य ग्रहण
आंशिक सूर्यग्रहण में जब चन्द्रमा सूर्य व पृथ्वी के बीच में इस प्रकार आए कि सूर्य का कुछ ही भाग पृथ्वी से दिखाई नहीं देता है अर्थात चन्दमा, सूर्य के केवल कुछ भाग को ही अपनी छाया में ले पाता है। इससे सूर्य का कुछ भाग ग्रहण ग्रास में तथा कुछ भाग ग्रहण से अप्रभावित रहता है तो पृथ्वी के उस भाग विशेष में लगा ग्रहण आंशिक सूर्य ग्रहण कहलाता है।
3. वलयाकार सूर्य ग्रहण
वलयाकार सूर्य ग्रहण में जब चन्द्रमा पृथ्वी के काफ़ी दूर रहते हुए पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है अर्थात चन्द्र सूर्य को इस प्रकार से ढकता है, कि सूर्य का केवल मध्य भाग ही छाया क्षेत्र में आता है और पृथ्वी से देखने पर चन्द्रमा द्वारा सूर्य पूरी तरह ढका दिखाई नहीं देता बल्कि सूर्य के बाहर का क्षेत्र प्रकाशित होने के कारण कंगन या वलय के रूप में चमकता दिखाई देता है। कंगन आकार में बने सूर्यग्रहण को ही वलयाकार सूर्य ग्रहण कहलाता है।
चन्द्र ग्रहण कैसे होता है? INFORMATION ABOUT LUNAR ECLIPSE IN HINDI
Solar Eclipse Surya Grahan-सूर्य ग्रहण
surya grahan kab hai
सूर्य ग्रहण एक तरह का ग्रहण है जब चन्द्रमा, पृथ्वी और सूर्य के मध्य से होकर गुजरता है तथा पृथ्वी से देखने पर सूर्य पूर्ण अथवा आंशिक रूप से चन्द्रमा द्वारा आच्छादित होता है।
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