UP Board Solutions for Class 8 Hindi Chapter 1 वीणावादिनी वर दे प्रज्ञा कक्षा 8 पाठ 1 | Veena Vadini var de Class 8 Pragya Chapter 1 के समस्त प्रश्न-उत्तर का हल आपके शुलभता के लिए।
वीणावादिनी वर दे प्रज्ञा कक्षा 8 पाठ 1 | Veena Vadini var de Class 8 Pragya Chapter 1
समस्त पद्यांशों की व्याख्या-वर दे वीणावादिनी वर दे कविता का भावार्थ

वीणावादिनि वर दे।………………………………………………………………… जग कर दे।
शब्दार्थ:
रव = ध्वनि,
अंध-उर = अज्ञानपूर्ण हृदय,
कलुष = मलिनता, पाप,
अमृत-मन्त्र = ऐसे मन्त्र जो अमरत्व की ओर ले जाएँ, कल्याणकारी मन्त्र।
संदर्भ- प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक
‘प्रज्ञा ’ के ‘वीणावादिनि वर दे‘ नामक कविता से ली गई है। इस पाठ के रचयिता सुविख्यात कवि सूर्यकान्त त्रिपाठी “निराला’ हैं।
प्रसंग-इसमें कवि ने सरस्वती माँ की वन्दना की है।
व्याख्या-कवि सरस्वती माता से प्रार्थना करता है कि हे वीणा वादिनी सरस्वती! तुम हमें वर दो
और भारत के नागरिकों में स्वतन्त्रता की भावना का अमृत मन्त्र भर दो। हे माता! तुम भारतवासियों के अन्धकार से व्याप्त हृदय के सभी बन्धन काट दो और ज्ञान का स्रोत बहाकर जितने भी पाप-दोष, अज्ञानता हैं, उन्हें दूर करो और उनके हृदयों को प्रकाश से जगमग कर दो।
वीणावादिनी वर दे कक्षा 8 पाठ 1
नव गति, नवे ……………………………………………………………………………. नव स्वर दे।
शब्दार्थ:
मन्द्ररव = गम्भीर ध्वनि,
विहग-वृन्द = पक्षियों का समूह
संदर्भ एवं प्रसंग-पूर्ववत्।
व्याख्या-कवि प्रार्थना करता है कि हे माँ सरस्वती! तुम हम भारतवासियों को नई गति, नई लय, नई ताल व नए छन्द्, नई वाणी और बादल के समान गम्भीर स्वरूप प्रदान करो। तुम नए आकाश में विचरण करने वाले नए-नए पक्षियों के समूह को नित्य नए-नए स्वर प्रदान करो। हे माँ सरस्वती! हमें ऐसा ही वर दो।
विचार और कल्पना :
इस कविता में कवि द्वारा माँ सरस्वती से भारत और संसार के लिए अनेक वरदान मांगे गए हैं | आप अपने विद्यालय के लिए क्या-क्या वरदान माँगना चाहेंगे –
उत्तर – हम वरदान मांगेंगे की हमारा विद्यालय , शिक्षा का सबसे अच्छा केंद्र बने, प्रसिद्धि प्राप्त करे और निरंतर प्रगति करे।
कविता से :
प्रश्न ( 1 ) : कविता में भारत के लिए क्या वरदान माँगा गया है ?
उत्तर – कविता में भारत के लोगों में स्वतंत्रता की भावना भरने , लोगों के ह्रदय से अज्ञानता रुपी अन्धकार को दूर करने और सम्पूर्ण जग के कल्याण का वरदान माँगा गया है।
प्रश्न ( 2 ) : तालिका के खण्ड ‘क’ और खण्ड ‘ख’ से शब्द चुनकर शब्द-युग्म बनाइए –
उत्तर – ‘ क ‘ ‘ ख ‘
वीणा वादिनी
स्वतन्त्र रव
अन्ध उर
विहग वृन्द
ताल छंद रव
बंधन स्तर
अमृत मन्त्र
जलद मन्द्र रव
प्रश्न ( 3 ) : पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए –
( क ) काट अंध-उर के बंधन-स्तर , बहा जननी , ज्योतिर्मय निर्झर।
उत्तर – प्रस्तुत पंक्ति में कवि का भाव है कि हे माता आप अज्ञानी लोगों के ह्रदय से अज्ञानता रुपी अन्धकार हटाकर उनमें ज्ञान रुपी प्रकाश फैला दो।
( ख ) कलुष-भेद तम-हर , प्रकाश भर , जगमग कर दे।
उत्तर – हे माँ लोगों के मन से इर्ष्या , द्वेष रुपी अन्धकार को दूर करो और ज्ञान के प्रकाश से सारे संसार को रोशन कर दो।
( ग ) नव गति , नव लय , ताल-छंद नव , नवल कंठ , नव जलद – मन्द्ररव।
उत्तर – कवि कहता है हे माँ आप हम भारतवासियों को नयी चाल, नयी लय ,नए ताल और नए स्वर देकर बादल के समान गंभीर ध्वनि प्रदान करो।
भाषा की बात :
प्रश्न (1 ) : कविता में आये ‘ वर दे ‘ , ‘ भर दे’ की तरह अन्य तुकान्त शब्दों को लिखिए।
उत्तर – कर दे ! , स्वर दे !
प्रश्न (2) : ज्योति: + मय = ज्योतिर्मय , नि: + झर = निर्झर। इन शब्दों में विसर्ग का रेफ हुआ है। यह विसर्ग संधि है। इसी प्रकार के दो शब्द लिखिए तथा उनका संधि विच्छेद कीजिए।
उत्तर – अंत: + गत = अंतर्गत
नि: + गुण = निर्गुण
प्रश्न (3) : विभक्ति को हटाकर शब्दों के मेल से बनने वाला शब्द समास कहलाता है। ‘ वीणा-वादिनि का अर्थ है ‘ वीणा को बजाने वाली ‘ अर्थात सरस्वती। यह बहुब्रीहि समास का उदाहरण है। इस प्रकार गजानन पीताम्बर , चतुरानन शब्दों में भी बहुब्रीहि समास है। इसका विग्रह कीजिए।
उत्तर – गजानन = गज ( हाथी ) के समान सिर है जिसका अर्थात गणेश
पीताम्बर = पीले हैं अम्बर जिसके अर्थात विष्णु
चतुरानन = चार हैं आनन ( सिर ) जिसके अर्थात ब्रह्मा
प्रश्न (4) : ‘नवगति’ में ‘नव’ गुणवाचक विशेषण है , यह गति , शब्द की विशेषता बताता है। कविता में ‘नव’ अन्य किन शब्दों के विशेषण के रूप में आया है , लिखिए।
उत्तर – कविता में नव शब्द कई शब्द की विशेषता बताता है जैसे – ‘लय’ , ‘ताल’ , ‘कंठ’ , ‘जलद ‘ , ‘नभ’ , ‘विहग’ ‘पर’ और ‘स्वर’
वीणावादिनी वर दे प्रज्ञा कक्षा 8 पाठ 1 | Veena Vadini var de Class 8 Pragya Chapter 1