यह पोस्ट ‘Motion of the earth in hindi’ |पृथ्वी की गतियां से सन्बन्धित है, जो कि आपको आने वाले सभी प्रकार के Competitive Exams में बहुत काम आयेगी !
Before we start Motion of the earth we should Learn about Globe and some other Keywords.Motion of the earth-पृथ्वी की गतियाँ
ग्लोब(Globe)
ग्लोब(Globe): ग्लोब हमारी पृथ्वी का एक छोटा मॉडल है। ग्लोब को दो पिवट के बीच लगा दिया जाता है ताकि यह एक अक्ष के चारों ओर घूम सके। ग्लोब अलग-अलग आकार में आते हैं। धरती के बारे में अध्ययन करने में ग्लोब से बहुत मदद मिलती है।
ध्रुव(Pole): पृथ्वी की ऊपरी और निचले भाग को ध्रुव कहते हैं। ऊपरी भाग को उत्तरी ध्रुव और निचले भाग को दक्षिणी धुव कहते हैं।
अक्ष(Axis): जिस तरह ग्लोब पिवट के चारों ओर घूमता है, उसी तरह धरती एक काल्पनिक रेखा के चारों ओर घूमती है। इस काल्पनिक रेखा को पृथ्वी का अक्ष कहते हैं।
विषुवत रेखा(Equator): पृथ्वी की सतह के बीच से एक काल्पनिक रेखा गुजरती है। इस रेखा को विषुवत रेखा या विषुवत वृत्त कहते हैं। यह रेखा पृथ्वी को दो बराबर भागों में बाँटती है। उत्तर वाले भाग को उत्तरी गोलार्ध और दक्षिण वाले भाग को दक्षिणी गोलार्ध कहते हैं।
Motion of the earth-पृथ्वी की गतियाँ
पृथ्वी की गतियाँ (Motions of the Earth)
पृथ्वी की गति दो प्रकार की है-
- घूर्णन(Rotation)
- परिक्रमण / परिभ्रमण (Revolution
घूर्णन(Rotation)
पृथ्वी अपने अक्ष पर घूमती है। पृथ्वी की इस गति को घूर्णन कहते हैं। पृथ्वी अपने अक्ष पर 24 घंटे में एक चक्कर लगाती है। घूर्णन में लगे इस समय को पृथ्वी दिन कहते हैं।
अक्ष: पृथ्वी जिस काल्पनिक रेखा पर घूमती है उसे कक्ष कहते हैं।
कक्ष या कक्षा: पृथ्वी जिस काल्पनिक रेखा पर चलकर सूर्य का चक्कर लगाती है उसे कक्ष या कक्षा कहते हैं। पृथ्वी से होकर इसकी कक्षा से जाने वाले समतल को कक्षीय समतल कहते हैं।
अक्ष का झुकाव: पृथ्वी का अक्ष इसके कक्षीय समतल से 66.5° का कोण बनाता है। पृथ्वी के कक्षीय समतल से समकोण बनाने वाली रेखा इसके अक्ष से 23.5° का कोण बनाती है।
यदि पृथ्वी का घूर्णन न हो-पृथ्वी के घूर्णव के कारण सभी भागों में क्रमिक रूप से दिन व रात होते हैं। ग्लोब पर वह वृत्त जो दिन तथा रात को विभाजित करता है उसे प्रदीप्ति वृत्त (Circle of Illumination) कहते हैं।
यदि पृथ्वी का घूर्णन नहीं होगा तो इसका आधा हिस्सा हमेशा सूर्य की रोशनी में रहेगा और बाकी आधे हिस्से में हमेशा रात रहेगी। जिस भाग में हमेशा दिन रहेगा वहाँ का तापमान बहुत ज्यादा हो जायेगा। जिस भाग में हमेशा रात रहेगी वहाँ का तापमान बहुत कम हो जायेगा। ऐसे में पृथ्वी पर जीवन संभव नहीं हो पायेगा।
परिक्रमण / परिभ्रमण (Revolution)
सूर्य के चारों ओर एक स्थिर कक्ष में पृथ्वी की गति को परिक्रमण कहते हैं।पृथ्वी सूर्य के चारों ओर दीर्घवृत्ताकार (Elliptical) कक्षा में चक्कर लगाती हैं।
वर्ष की गणना
पृथ्वी एक वर्ष या 365 दिन में सूर्य का एक चक्कर लगाती है। हम लोग एक वर्ष 365 दिन का मानते हैं तथा सुविध के लिए 6 घंटे को इसमें नहीं जोड़ते हैं। चार वर्षों में प्रत्येक वर्ष के बचे हुए 6 घंटे मिलकर एक दिन यानी 24 घंटे के बराबर हो जाते हैं। इसके अतिरिक्त दिन को फरवरी के महीने में जोड़ा जाता है। इस प्रकार प्रत्येक चैथे वर्ष फरवरी माह 28 के बदले 29 दिन का होता है। ऐसा वर्ष जिसमें 366 दिन होते हैं उसे लीप वर्ष कहा जाता है।
दीर्घवृत्ताकार पथ पर गति
पृथ्वी के कक्ष का आकार दीर्घवृत्ताकार होता है। कक्ष के इस आकार के कारण पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी पूरे साल में बदलती रहती है। कभी पृथ्वी सूर्य के बहुत नजदीक होती है तो कभी बहुत दूर हो जाती है।
उपसौर (Perihelion)पेरीहेलियन:परिक्रमा करती हुई पृथ्वी जब सूर्य के अत्यधिक नजदीक होती हैं तब इस स्थिति को उपसौर (Perihelion) कहते हैं। यह स्थिति 3 जनवरी को होती है।
अपसौर (Aphelion)एपहेलियन:पृथ्वी अपने परिक्रमण के दौरान जब सूर्य से अधिकतम दूरी पर होती है। तब इस स्थिति को अपसौर (Aphelion) कहते हैं। यह स्थिति 4 जुलाई को होती है।
ऋतु में परिवर्तन (Changes in Season)
ऋतुओं में परिवर्तन सूर्य के चारों ओर पृथ्वी की स्थिति में परिवर्तन के कारण होता है। पृथ्वी के परिक्रमण में निम्न अवस्थाएँ होती हैं –
1. उत्तर अयनांत (Summer Solstice)
सूर्य की किरणें 21 जून को कर्क रेखा (Tropic of Cancer) पर लम्बवत् पड़ती हैं। इसके कारण इन क्षेत्रों में अधिक ऊष्मा की प्राप्ति होती हैं तथा उत्तरी गोलार्द्ध में ग्रीष्म ऋतु (Summer Season) होता है। उत्तरी गोलार्द्ध के सूर्य के सम्मुख होने के कारण उत्तरी ध्रुव के समीपवर्ती क्षेत्रों में लगातार छ: महीने तक दिन रहता है। 21 जून को इन क्षेत्रों में सबसे बड़ा दिन तथा सबसे छोटी रात होती है।
दक्षिणी गोलार्द्ध में इस समय शीत ऋतु (Winter Season) होती हैं। पृथ्वी की इस अवस्था का उत्तर अयनांत कहते हैं
2. दक्षिण अयनांत (Winter Solstice)
सूर्य की किरणें 22 दिसम्बर को मकर रेखा (Tropic of Capricorn) पर लम्बवत् पड़ती हैं। इसीलिए दक्षिणी गोलार्द्ध के बहुत बड़े भाग में सूर्य प्रकाश प्राप्त होता है। इस स्थिति में दक्षिणी गोलार्द्ध में ग्रीष्म ऋतु (Summer Season) होती है Iजिसमें दिन की अवधि लम्बी तथा रातें छोटी होती हैं।
इसके विपरीत इस समय उत्तरी गोलार्द्ध में सूर्य की किरणें तिरछी पड़ने के कारण वहाँ शीत ऋतु होती है। 22 दिसम्बर को इन क्षेत्रों में सबसे बड़ी रात तथा सबसे छोटा दिन होती है।
विषुव (Equinox)(इक्वीनॉक्स):
सूर्य की किरणें 21 मार्च तथा 23 सितम्बर को विषुवत रेखा (Equator) पर लम्बवत् पड़ती हैं। इसलिए संपूर्ण पृथ्वी पर रात एवं दिन बराबर होते हैं।
23 सितंबर को उत्तरी गोलार्ध में शरद् ऋतु होती है, जबकि दक्षिणी गोलार्ध में वसंत ऋतु होती है।
21 मार्च को स्थिति इसके विपरीत होती है जब उत्तरी गोलार्ध में वसंत ऋतु तथा दक्षिणी गोलार्ध में शरद् ऋतु होती है।
21 जून तथा 22 दिसम्बर को क्रमश: 66 ½° उत्तरी एवं दक्षिणी अंक्षाशों पर सूर्य का प्रकाश पूरे दिन अर्थात् 24 घंटे रहता है। इस समय सूर्य आधी रात को भी चमकता है जिसे मध्य रात्रि को सूर्य (Mid Night Sun) कहते हैं। नार्वे को मध्य, अर्द्ध रात्रि के सूर्य का देश कहते हैं।
छ: महीने के दिन रात
21 मार्च से 23 सितंबर तक उत्तरी ध्रुव पर सूर्य की किरणें लगातार पड़ती रहती हैं। इसलिये उत्तरी ध्रुव पर इन छ: महीनों तक दिन होता है।
23 सितंबर से 21 मार्च तक दक्षिणी ध्रुव पर सूर्य की किरणें पड़ती रहती हैं। इसलिये दक्षिणी ध्रुव पर इन छ: महीनों तक दिन होता है।
Motion of the earth in Hindi |पृथ्वी की गतियाँ | मौसम क्यों बदलता है | परिक्रमण और परिभ्रमण | दिन रात क्यों होते हैं
Revision & Some other Important Facts
मौसम क्यों बदलता है
पृथ्वी पर मौसम क्यों बदलता है (Why does the weather change on earth) हमारी पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है जिसका अक्षीय झुकाव 23.44 डिग्री है। पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है तो कुछ झुकी होने के कारण सूर्य की किरणे कुछ स्थानों पर सीधी और कुछ स्थानों पर तिरछी पड़ती है जिसके कारण मौसन(Weather) बदलते रहते है।
दिन रात क्यों होते हैं
पृथ्वी जब अपनी धुरी पर घूमती है तो सूर्य के सामने आने वाले स्थान पर दिन और पीछे की साइड में रात होती है। पृथ्वी 24 घंटे में अपनी धुरी पर एक चक्कर लगाती है जिससे दिन और रात होते हैं। आपने एक लाईन बहुत बार सुनी होगी कि जब भारत में दिन होता है तो अमेरिका में रात होती है। ऐसा पृथ्वी के घूमने के कारण ही होता है।
परिक्रमण और परिभ्रमण में अंतर निम्नलिखित है |
जब पृथ्वी सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करती हुई अपनी धुरी पर भी घूमती है तो इसे परिभ्रमण कहते हैं।जब पृथ्वी सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाती है तो इसे परिक्रमण कहते हैं। जितने काल में पृथ्वी अपना परिक्रमण पूरा करती है उसे परिक्रमण काल कहते हैं।
- पृथ्वी के अक्ष का झुकाव कोण 66.5˚ है।
- घूर्णन: पृथ्वी का अपने अक्ष पर घूमने की प्रक्रिया को घूर्णन कहते हैं।
- परिक्रमण: सूर्य के चारों ओर एक स्थिर कक्षा में पृथ्वी की गति को परिक्रमण कहते हैं।
- लीप वर्ष :-ऐसा साल जो 366 दिन का होता है, उसे लीप वर्ष कहते हैं।
- उत्तर और दक्षिण अयनांतो में अंतर
उत्तर अयनांत | दक्षिण अयनांत |
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यह 21 जून को होता है। | यह 22 दिसम्बर को होता है। |
उत्तरी गोलार्ध में इस समय दिन लंबी और रातें छोटी होती है। | इस समय दक्षिणी गोलार्ध में दिन लम्बी और रातें छोटी होती है। |
दक्षिणी गोलार्ध में इस समय जाड़े का मौसम होता है। | उत्तरी गोलार्ध में जाड़े का मौसम होता है। |
उत्तरी गोलार्ध में गर्मी का मौसम होता है। | दक्षिणी गोलार्ध में गर्मी का मौसम होता है। |
- विषुव:-विषुव के दौरान पूरी पृथ्वी पर दिन और रात बराबर होते हैं। इस अवस्था में कोई भी ध्रुव सूर्य की तरफ नहीं झुका होता है। 21 मार्च और 23 सितम्बर को सूर्य की किरणें विषुवत वृत पर सीधी पड़ती है।
- 21 जून को सूर्य की किरणें कर्क रेखा पर सीधी पड़ती हैं। इस समय उत्तरी गोलार्ध में उत्तर अयनांत होता है।
- 22 दिसम्बर को मकर रेखा पर सूर्य की किरणें सीधी पड़ती हैं। इस समय दक्षिणी गोलार्ध में दक्षिण अयनांत होता है।
- 21 मार्च से 23 सितम्बर के बीच लगभग 6 महीने उत्तरी ध्रुव पर लगातार सूर्य की रोशनी पड़ती है। इसलिए उत्तरी ध्रुव पर 6 महीने दिन रहता है और दक्षिणी ध्रुव पर रात होती है। उसी तरह 23 सितम्बर से 21 मार्च के बीच दक्षिणी ध्रुव पर लगातार सूर्य की रोशनी पड़ती है। इसलिए दक्षिणी ध्रुव पर 6 महीने दिन रहता है और उत्तरी ध्रुव पर रात होती है।
- पृथ्वी की परिक्रमण गति के कारण ऋतुओं में परिवर्तन होता है।
- आस्ट्रेलिया गर्मी में क्रिसमस का पर्व मनाया जाता है।
- पृथ्वी सूर्य के चारो ओर दीर्घवृताकार कक्षा मे घूमती है।
- 21 जून को सूर्य की किरणें कर्क रेखा रेखा पर सीधी पड़ती है।